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जाति गणना: नीतीश कुमार के दांव के बाद यूपी में गरमाया सियासी पारा, NDA और I-N-D-I-A के बीच शह-मात का खेल शुरू

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे सामाजिक न्याय का गणतीय आधार करार दिया है. उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं बल्कि सबके हक के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी.

Lucknow: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव एलायंस (I-N-D-I-A) के बीच शह और मात की लड़ाई शुरू हो चुकी है. भाजपा की ओर से महिला रिजर्वेशन का दांव चलने के बाद अब विपक्ष की ओर से नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के जरिए एनडीए को घेरने की चाल चली है. बिहार सरकार ने जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी है, जिसे विपक्ष अपना मास्टर स्ट्रोक बता रहा है. नीतीश कुमार के इस कदम के बाद विपक्षी गठबंधन के नेता अन्य जगहों में भाजपा पर दबाव बनाने में जुट गए हैं. इसके साथ ही इसके जरिए अपने पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार सरकार के इस फैसले से उत्तर प्रदेश का सियासी पारा भी चढ़ गया है.

बहुजन समाज के पक्ष में नई करवट ले रही है राजनीति

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा कि बिहार सरकार के कराए जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने की खबरें आज काफी सुर्खियों में हैं और उस पर गहन चर्चाएं जारी हैं. कुछ पार्टियां इससे असहज जरूर हैं लेकिन बीएसपी के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लम्बे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है. मायावती ने कहा कि बीएसपी को प्रसन्नता है कि देश की राजनीति उपेक्षित ‘बहुजन समाज’ के पक्ष में इस कारण नई करवट ले रही है. इसका नतीजा है कि एससी-एसटी आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और घोर ओबीसी व मण्डल विरोधी जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दल भी अपने भविष्य के प्रति चिंतित नजर आने लगे हैं.

यूपी सरकार भी तुंरत शुरू कराए जातिगत सर्वे

मायावती ने कहा कि वैसे तो यूपी सरकार को अब अपनी नीयत व नीति में जन भावना व जन अपेक्षा के अनुसार सुधार करके जातीय जनगणना-सर्वे अविलंब शुरू करा देना चाहिए, लेकिन इसका सही समाधान तभी होगा, जब केन्द्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराकर उन्हें उनका वाजिब हक देना सुनिश्चित करेगी.

संजय सिंह बोले- जातीय जनगणना नहीं कराने पर किसान आंदोलन से बड़ी लड़ाई

आम आदमी पार्टी के सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि मोदी जी और भाजपा दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों से नफरत, भेदभाव छूआछूत की भावना रखती है. इसीलिए जातीय जनगणना का विरोध करती है. संजय सिंह ने कहा कि मोदी जी को पूरे देश में जातीय जनगणना कराना ही होगा वरना किसान आंदोलन से बड़ा आंदोलन होगा. पूरे देश में जातीय जनगणना एक अहम मुद्दा है, जातीय जनगणना होनी चाहिए. जब तक आपको पता ही नहीं चलेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है. तब तक सरकार की तमाम स्कीमों एवं आरक्षण में सभी जातियों के साथ न्याय करना संभव नहीं है.

ओमप्रकाश राजभर बोले- 36 प्रतिशत आबादी को नहीं मिला न्याय

भाजपा के सहयोगी दल सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बिहार में 36 प्रतिशत अति पिछड़ी जातियों का आंकड़ा आया है. सामाजिक न्याय की दिखाई देने वाले लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार दोनों लोगों ने 36 प्रतिशत के साथ भेदभाव किया. 36 प्रतिशत आबादी के साथ किसी जाति को इन लोगों ने सामाजिक न्याय के दायरे में लाकर के मंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचाया. राजभर, भर, राजवंशी, पाल, प्रजापति जैसी छोटी जातियों का आंकड़ा प्रतिशत में भी नहीं आया है. यह प्रश्न चिह्न तो है कि जो जातियां राजनीति में है उनकी गिनती तो ठीक हो गई, जो राजनीति में नहीं है उनके आंकड़े एक जगह बैठकर पूछकर लिख दिए गए. उनके साथ अन्याय हुआ है.

राजद और जदयू से की मांग

वहीं सुभासपा के महासचिव अरुण राजभर ने कहा कि हमारी पार्टी हमेशा राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना की समर्थक रही है. इसके बिना वंचित, गरीब और उत्पीड़ित वर्गों का सामाजिक सशक्तीकरण संभव नहीं है. जातीय सर्वेक्षण डाटा जारी करने के लिए बिहार सरकार को बधाई देते हुए अरुण राजभर ने कहा कि केवल सर्वेक्षण डाटा प्रस्तुत करने से कोई बड़ा परिणाम नहीं निकलेगा. राजद और जदयू को यह भी डाटा जारी करना चाहिए कि उनकी सरकार ने विभिन्न पिछड़ी जातियों को कितना राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिया है. अरुण राजभर ने कहा कि राजभर, भर, राजवंशी, पाल, प्रजापति जैसी जातियों को सरकार और पार्टी में कितना प्रतिनिधित्व दिया गया है. उन्हें बताना चाहिए कि उनकी सरकार ने इन जातियों के उत्थान और सशक्तीकरण के लिए पिछले कुछ वर्षों में क्या कदम उठाए हैं? मुझे बिहार में राजवंशी समुदाय से कोई एमएलए, एमएलसी और एमपी नहीं दिखता है.

अखिलेश बोले- सच में अधिकार दिलवाने वाले कराते हैं जातिगत जनगणना

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे सामाजिक न्याय का गणतीय आधार करार दिया है. उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं बल्कि सबके हक के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी. उन्होंने कहा कि जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं. भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए.

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अखिलेश यादव ने कहा कि जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं, तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफी के खिलाफ एक सामाजिक चेतना भी, जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक्की के रास्ते में आने वाली बाधाओं को भी दूर करते हैं, नये रास्ते बनाते हैं और सत्ताओं और समाज के परम्परागत ताकतवर लोगों द्वारा किए जा रहे अन्याय का खात्मा भी करते हैं. सपा अध्यक्ष ने कहा कि इससे समाज बराबरी के मार्ग पर चलता है और समेकित रूप से देश का विकास होता है. जातिगत जनगणना देश की तरक्की का रास्ता है. अखिलेश यादव ने कहा कि अब ये निश्चित हो गया है कि पीडीए ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा. वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जातिवार जनगणना समय से पूरा कराने के लिए बिहार सरकार को बधाई, नीति और नियत साफ हो तो हर कार्य संभव.

चंद्रशेखर आजाद ने की पूरे देश में जल्द जातिगत जनगणना की मांग

आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि हम संपूर्ण सामाजिक न्याय की मांग करते हैं. बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़ों का हम स्वागत करते हैं. यह सामाजिक न्याय की पहली सीढ़ी है. अब पूरे देश में अतिशीघ्र जातिगत जनगणना की मांग करते हैं. उन्होंने कहा​ कि इसके बाद संख्या के अनुपात में एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाना चाहिए. दूसरे एससी, एसटी, ओबीसी को सभी अंगों- विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका में, संवैधानिक संस्थाओं और सभी राजकीय पदों पर जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण और हिस्सेदारी देने की हम मांग करते हैं. इसके बाद ही बाबा साहेब अंबेडकर का संपूर्ण सामाजिक न्याय का सपना पूरा होगा.

अनुप्रिया पटेल ने की ओबीसी मंत्रालय का गठन करने की मांग

दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष इस मुद्दे को लगातार हवा दे रहा है. कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार से जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं. बिहार की रिपोर्ट जारी होने के बाद माना जा रहा कि केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ेगा. इसकी शुरुआत भी हो गई है. एनडीए के सहयोगी अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जाति जनगणना व पिछड़ों की समस्याओं के निदान के लिए ओबीसी मंत्रालय का गठन होना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी पार्टी अपना दल एस शुरू से जाति जनगणना की पक्षधर रही है और निरंतर इस मुद्दे को मजबूती से उठाती रही है. उन्होंने कहा क जाति जनगणना समय की मांग है. इसी के बाद हम सही नीतियां बना सकेंगे. अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपना दल एस लोकतंत्र के सभी स्तंभों में सामजिक विविधता की पक्षधर रही है. हमारी पार्टी न्यायपालिका, सामजिक विविधिता की पक्षधर रही है. न्यायपालिका में समाज के दलित, पिछड़ों की उचित भागीदारी के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन चाहती है. माना जा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 करीब आते आते इस मुद्दे पर सियासत तेज होती जाएगी.

लक्ष्मीकांत वाजपेयी बोले- आंकड़े अविश्वसनीय

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने जातीय जनगणना के मामले में बिहार की नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने सरकारी आंकड़े झूठे बताए और कहा कि ये आंकड़े अविश्वसनीय हैं. लक्ष्मीकांत वाजपेई ने जाट आरक्षण बहाली पर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कि आरक्षण आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़ों के लिए है. पश्चिमी यूपी का जाट आर्थिक रूप से मजबूत और समृद्ध है.

बिहार में जातिगत आंकड़ा

बिहार सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. प्रदेश की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है. वहीं, ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है. अनुसूचित जाति राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है. वहीं, धर्म के अनुसार बिहार की आबादी में हिंदू समुदाय 81.9 प्रतिशत, मुस्लिम 17.7 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.0096 प्रतिशत और अन्य धर्मों के 0.12 प्रतिशत हैं. उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां भी ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक वोटबैंक को लेकर सियासी दलों के बीच जोरआजमाइश होती रही है. लोकसभा चुनाव से पहले भी इसे लेकर रणनीति बनना शुरू हो गई है.

महिला रिजर्वेशन और जातीय जनगणना बड़ा मुद्दा

इस तरह देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में महिला रिजर्वेशन और जातीय जनगणना बड़ा मुद्दा रहेंगे. भाजपा ने महिला रिजर्वेशन बिल के जरिए आधी आबादी को साधने की कोशिश की है. वहीं राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पार्टी अब यूपी सहित अन्य राज्यों में इसे लेकर अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई है. दूसरी तरफ विपक्षी दल इसे दिखावा करार करते हुए अपने समीकरण साधने की कोशिश कर रहे हैं. यूपी कांग्रेस ने महिला आरक्षण बिल को 2024 में लागू करने और ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यक महिलाओं को आरक्षण में शामिल किये जाने की मांग लेकर लखनऊ में प्रदर्शन भी किया. पार्टी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल पर यह सरकार खेल क्यों खेल रही है. हम सत्ता के इस छलावे को उजागर करके ही दम लेंगे. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले दोनों गठबंधन एक दूसरे को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की कोशिश करेंगे. फिलहाल महिला रिजर्वेशन और जातीय जनगणना से शुरुआत हो चुकी है. ये मामला काफी लंबा चलेगा.

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