Lucknow News: भारत के मिशन चंद्रयान- 3 (Chandrayaan-3) की सॉफट लैंडिंग को लेकर बुधवार को पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं. इसे लेकर उत्तर प्रदेश में खास उत्साह का माहौल है, क्योंकि यहां की माटी का एक मेधावी भी इस महत्वपूर्ण मिशन का अहम हिस्सा है. चंद्रयान-3 के चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग के साथ ही यहां जश्न की तैयारी है.
मिशन चंद्रयान-3 देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के लिए भी खास है क्योंकि गाजीपुर जनपद के रेवतीपुर के कमलेश शर्मा भी मिशन की टीम का हिस्सा हैं. यही वजह है गाजीपुर के लोग टीवी और सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से चंद्रयान-3 की पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं. चंद्रयान-3 के कामयाबी लैंडिंग के लिए वह लगातार ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं.
गाजीपुर के रेवतीपुर क्षेत्र में तेजमल राय पट्टी निवासी अधिवक्ता वेद प्रकाश शर्मा के बेटे कमलेश कुमार शर्मा मिशन चंद्रयान-3 की टीम का अहम हिस्सा हैं. गाजीपुर में इंटरमीडिएट तक विज्ञान की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और गणित विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद वर्ष 2008 में लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहास में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर उन्होंने रिकॉर्ड 10 गोल्ड मेडल हासिल किए. इसके अलावा नेट और गेट में भी सफलता हासिल की.
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देश में वर्ष 2010 में इसरो (Indian Space Research Organisation) ने मैथमेटिक्स एक्सपर्ट का स्पेशल रिक्रूटमेंट किया. इसमें पूरे देश से सिर्फ 12 लोगों का चयन हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश के गाजीपुर निवासी कमलेश शर्मा भी शामिल थे. उन्होंने 12 अप्रैल 2010 को इसरो ज्वाइन किया. इसरो के कई सैटेलाइट मिशन में भाग लेकर कमलेश शर्मा ने अपने कौशल और प्रतिभा का परिचय दिया.
इनमें मार्स ऑर्बिटल मिशन (मंगलयान) कार्टोसेट- 1, ओशनसैट- 2, हैमसैट, कार्टोसेट- 2ए, इंडिया और फ्रांस के ज्वांइट वेंचर सेटेलाइट के सफल प्रक्षेपण में उन्होंने अहम भूमिका निभायी. इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) में मंगलयान की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमलेश शर्मा की प्रशंसा भी की थी.
वैज्ञानिक कमलेश के पिता अधिवक्ता वेद प्रकाश शर्मा ने बताया कि 15 दिन पहले उन्होंने बेटे से बात की थी. उसने उन्हें बताया कि मिशन चंद्रयान-3 में वह बेहद व्यस्त है. कमलेश ने दावा किया कि इस बार मिशन जरुर सफल होगा. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग करने के साथ भारत पूरी दुनिया में एक नया कीर्तिमान रचने को तैयार है.
कमलेश के माता-पिता पूरे परिवार के साथ लखनऊ में हैं. पूरा परिवार मिशन चंद्रयान-3 की कामयाबी के लिए लोगों के साथ प्रार्थना कर रहा है. उत्तर प्रदेश में जिस तरह से चंद्रयान-3 की कामयाबी के लिए लोग हवन पूजन, नमाज आदि कर रहे हैं, इसे लेकर परिवार से प्रसन्ना जाहिर की है. वहीं गाजीपुर जनपद के लोगों ने भी कमलेश शर्मा के चंद्रयान-3 से जुड़ने को गर्व की बात बताया है.
इस बीच चंद्रयान-3 को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अहम फैसला किया है. इसके तहत प्रदेश के स्कूलों में 23 अगस्त की शाम को मिशन चंद्रयान का लाइव टेलिकास्ट होगा. इसके लिए शाम को 5:15 से 6:15 तक एक घंटे के लिए स्कूलों को खोला जाएगा.
यूपी में 23 अगस्त की शाम को एक घंटे के लिए स्कूल खोले जाएंगे. प्रदेश में यह पहला मौका होगा, जब इस तरह के विशेष उद्देश्य के साथ स्कूलों को शाम को खोला जाएगा. इस दौरान चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लैंडिंग को प्रदेश के स्कूल के बच्चे टीवी या यूट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण के माध्यम से देख सकेंगे. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से मिले निर्देश के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसके लिए स्कूलों को व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं.
बताया गया है कि 23 अगस्त को शाम 5:27 पर चंद्रयान-3 का चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया का सीधा प्रसारण शुरू ISRO (Indian Space Research Organisation) की ऑफिशियल वेबसाइट https://www.isro.gov.in/ एवं का आधिकारिक यूट्यूब चैनल (https://www.youtube.com/@isroofficial5866) और डीडी नेशनल (DD National) पर किया जाएगा.
चंद्रयान-3 की सुरक्षित लैंडिंग पर ISRO के पूर्व वैज्ञानिक वाईएस राजन का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 में लगभग 80 प्रतिशत बदलाव किए गए हैं. इसरो ने चंद्रयान-3 में कई चीजें शामिल की हैं. पहले यह उतरते समय केवल ऊंचाई देखता था, जिसे अल्टीमीटर कहा जाता है. अब इसके अलावा उन्होंने एक वेलोसिटी मीटर भी जोड़ा गया है, जिसे डॉप्लर कहा जाता है. इससे ऊंचाई और वेग का भी पता चल जाएगा ताकि यह खुद को नियंत्रित कर सके.
इसरो के मुताबिक 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद 23 अगस्त चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश करेगा. इसरो के चंद्रयान-1 के मून इम्पैक्ट प्रोब, चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को भी उसी क्षेत्र में उतरने के लिए भेजा गया था. अब चंद्रयान 3 भी यहीं उतरने की कोशिश करेगा. हालांकि इससे पहले दोनों मौकों पर नाकामी हाथ लगी थी.
चंद्रयान-1 का मून इम्पैक्ट प्रोब, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जबकि चंद्रयान-2 के लैंडर से सॉफ्ट लैंडिंग के आखिरी मिनट में सिग्नल मिलना बंद हो गया था. अब एक बार फिर चंद्रयान-3 के साथ इसरो भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनाने की कोशिश कर रहा है.