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Chhath Puja 2023: उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन, महिलाओं ने पूरा किया अखंड व्रत

लोक आस्था का महापर्व छठ उत्साह और उमंग के साथ मनाते हुए लोगों ने घाटों पर इसके अगले वर्ष जल्दी से आने की प्रार्थना की. कई लोगों ने कहा कि इस महापर्व के कारण वह अपने परिवार से मिलने पहुंचते हैं. इसलिए इसका पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है. इस पर्व में सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना की जाती है.

Chhath Puja 2023: नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का सोमवार को चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया. चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है. इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके लिए सुबह से ही राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश और विशेष तौर पर पूर्वांचल में लोग घाटों पर पहुंचे और उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठी मैया से व्रत के सकुशल समापन होने पर प्रार्थना की. लखनऊ में गोमती के घाट नहाय खाय के साथ ही छठ महार्व में लोगों की भीड़ से गुलजार हैं. घाटों पर छठ के गीत गूंज रहे हैं. छठ पर्व आयोजन समिति की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन व व्रती को किसी तरह की परेशानी न होने देने के बंदोबस्त किए गए. छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. छठ का पर्व यूपी के पूर्वांचल में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी इस महापर्व पर लोगों का काफी उत्साह देखने को मिला. घरों से लेकर कॉलोनियों, सोसाइटी और अन्य स्थानों पर इस महापर्व को लेकर विशेष इंतजाम किए गए और हर तरफ उत्साह का माहौल देखने को मिला.

लखनऊ में कई जगह लोगों ने दिया सूर्य को अर्घ्य

राजधानी लखनऊ में लक्ष्मण मेला स्थल पर बने छठ घाट, झूलेलाल घाट, पुराने शहर में पंचवटी घाट, गऊघाट, कुड़ियाघाट पर सूर्योपासना के लिए लोग जुटे नजर आए. इसके अलावा गोमतीनगर विस्तार में लखनऊ जनकल्याण महासमिति समेत आरडब्ल्यूए ने पूजन की व्यवस्था की गई. गोरखपुर जेल में 30 महिला बंदियों के छठ महापर्व पर व्रत रखा और सोमवार सुबह सूर्य को अर्घ्य दिया.

अगले वर्ष छठ महापर्व का इंतजार

लोक आस्था का महापर्व छठ उत्साह और उमंग के साथ मनाते हुए लोगों ने घाटों पर इसके अगले वर्ष जल्दी से आने की प्रार्थना की. कई लोगों ने कहा कि इस महापर्व के कारण वह अपने परिवार से मिलने पहुंचते हैं. इसलिए इसका पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है. इस पर्व में सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना की जाती है. ये व्रत संतान की दीर्घायु और परिवार की खुशहाली के लिए रखा जाता है. व्रती 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखकर डूबते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया और सोमवार को छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया गया. इस तरह ये एकलौता पर्व है, जिसमें अस्त होते और उगते सूर्य की आराधना की जा जाती है. छठ को लेकर घाटों पर जिस तरह से व्रती अपने परिवार के साथ पहुंचते हैं, छठ के गीत गाती हुई महिलाएं नजर आती हैं, उससे इस पर्व का उत्साह कई गुना बढ़ जाता है.

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