Lucknow: उत्तर प्रदेश में मऊ जनपद की घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस ने विपक्ष की एकता की दिशा में कदम बढ़ाया है. पार्ट ने उपचुनाव में सपा उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा की है.
कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि मऊ का चुनाव लोकतंत्र बचाने और सामाजिक सद्भाव बढ़ाने का चुनाव है. कांग्रेस पूरी तन्मयता से साथ रहेगी. खास बात है कि समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में इस उपचुनाव को लेकर कांग्रेस से अभी तक समर्थन नहीं मांगा है. इसके बावजूद कांग्रेस की ओर से स्वयं आगे बढ़कर इस तरह की पहल की गई है.
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि कांग्रेस का दिल बड़ा है. इसलिए दिल खोलकर मौजूदा सियासी स्थितियों को ध्यान में रखकर सपा को समर्थन दे रही है. अजय राय ने उपचुनाव में सपा को कांग्रेस के समर्थन की चिट्ठी भी जारी कर दी है. इसके अनुसार कांग्रेस पार्टी ने घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार सुधाकर सिंह को समर्थन देने का एलान किया है.
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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की तरफ से जारी किए गए समर्थन पत्र में लिखा है कि समाजवादी पार्टी इंडियन नेशनल डेवलेपमेन्टल इंक्लूसिव एलाइंस (इंडिया) का हिस्सा है. इसलिए 5 सितंबर 2023 को उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के अन्तर्गत 354- घोसी विधानसभा के होने वाले उप-चुनाव में कांग्रेस पार्टी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन प्रदान करती है और अपने सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आवाहन करती है कि वे समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशी को पूर्ण सहयोग प्रदान करें.
घोसी विधानसभा सीट पर 5 सितंबर को उपचुनाव होने के लिए सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस उपुचनाव के लिए सत्तारूढ़ दल भाजपा ने दारा सिंह चौहान और समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव के लिए सुधाकर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने अब सपा उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. माना जा रहा है कि इसके बाद कुछ अन्य दल भी समर्थन का ऐलान कर सकते हैं.
बसपा ने उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारा है. पार्टी सुप्रीमो मायावती ने National Democratic Alliance (NDA) और India National Developmental Inclusive Alliance (I-N-D-I-A) दोनों गठबंधन से दूरी बनाने का ऐलान किया है. पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए अकेले ही मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है.
सपा का दावा है कि बतौर विधायक दारा सिंह चौहान ने जिस तरह से अचानक सीट से इस्तीफा दिया और फिर भाजपा में शामिल हो गए, उससे घोसी की जनता उनसे काफी नाराज है. पार्टी ने उपचुनाव में एक बार फिर सपा की जीत के दावे किए हैं. वहीं भाजपा नेताओंं के मुताबिक दारा सिंह चौहान एक बार फिर घोसी जीत दर्ज करेंगे और इस बार यहां कमल खिलेगा. घोषी सीट पर हो रहा उपचुनाव लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक तरह से विपक्ष की एकजुटता की परीक्षा माना जा रहा है.
सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह दो बार पहले भी विधायक रह चुके हैं. वह वर्ष 1996 में नत्थूपुर विधानसभा सीट से विधायक बने थे. परिसीमन के बाद इस सीट का नाम बदलकर घोसी कर दिया गया. 2012 के चुनाव में भी सुधाकर सिंह यहां से जीते. वर्ष 2017 के चुनाव में सपा ने सुधाकर सिंह को एक बार फिर टिकट दिया. लेकिन, तब भाजपा प्रत्याशी फागू सिंह चौहान ने उन्हें शिकस्त दे दी. वर्ष 2020 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में भी सुधाकर सिंह को पराजय मिली.
वर्ष 2022 के चुनाव में भाजपा छोड़कर सपा में आए तत्कालीन कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान को पार्टी ने यहां से लड़ाया और उन्होंने जीत दर्ज की. हाल ही में दारा सिंह चौहान अपनी विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र भाजपा में शामिल हो गए.
घोसी विधानसभा सीट पर सियासी समीकरण पर नजर डालें तो सपा के सामने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है. इस विधानसभा क्षेत्र में राजभर मतदाताओं की संख्या अधिक है. पिछली बार 2022 में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर सपा के साथ थे. इस बार वह एनडीए में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में परिस्थितियां बदल चुकी हैं.
दारा सिंह चौहान की नोनिया जाति के भी मतदाता यहां निर्णायक भूमिका में माने जाते हैं. सपा की कोशिश है कि वह दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर के साथ छोड़ने के बावजूद यहां से खुद को मजबूत साबित करने की कोशिश करे, जिससे लोकसभा चुनाव से पहले I-N-D-I-A बनाम NDA की लडाई में वह खुद को मजबूत स्तंभ साबित कर सके. इससे जरिए वह I-N-D-I-A के घटक दलों में यूपी में खुद को नंबर वन साबित करने का दावा और मजबूत कर सकेगी.
दूसरी ओर भाजपा के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का विषय है. जिस तरीके से वह लोकसभा चुनाव में यूपी में मिशन 80 के तहत सभी सीटें जीतने का दावा कर रही है, उसके लिए जरूरी है कि उपचुनाव में उसका प्रत्याशी भारी मतों से विपक्ष के उम्मीदवार को शिकस्त दे. इसके जरिए वह पूर्वांचल में अपनी ताकत और मजबूत होने का दावा कर सकेगी. ऐसे में देखा जाए तो I-N-D-I-A बनाम NDA दोनों के लिए घोसी उपचुनाव की लड़ाई बेहद अहम है.
अगर दारा सिंह चौहान 2022 वाला करिश्मा दोहराने में कामयाब हो जाते हैं, तो योगी सरकार में उनका मंत्री बनना तय है. वहीं अगर वह चुनाव नहीं जीत सके तो पूर्वांचल में भाजपा का योजना फेल हो सकती है. क्योंकि, इस नतीजे का असर और संदेश 2024 के लोकसभा चुनाव तक जाएगा.
दारा सिंह चौहान के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो 1996 से लेकर 2022 तक दारा सिंह चौहान बसपा से लेकर सपा और भाजपा के साथ वक्त और मौका देखकर रिश्ता जोड़ते और तोड़ते आए हैं. ऐसा पहली बार है, जब किसी दल से हाथ छुड़ाकर उन्होंने दोबारा इतनी जल्दी हाथ मिला लिया. 2022 के चुनाव से ठीक पहले भाजपा से अलग होकर दारा चौहान ने सपा का दामन थाम लिया था. हालांकि, अखिलेश की सरकार नहीं बन सकी, तो उन्होंने फौरन पैंतरा बदलते हुए भाजपा में वापसी कर ली.
इस बीच पूर्वांचल का मऊ जनपद और यहां का चुनावी समर दारा सिंह चौहान के लिए नई बात नहीं है. 2009 में वो पहली बार मऊ जिले की घोसी लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीते चुके हैं. 2017 में भाजपा के टिकट पर घोसी के पड़ोस वाली मधुबन विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव जीतकर पिछली योगी सरकार में मंत्री भी बने थे. फिर 2022 में सपा के टिकट पर घोसी विधानसभा से जीत दर्ज की थी. ऐसा पहली बार हुआ है कि वह मऊ जिले में विधानसभा चुनाव किसी पार्टी के टिकट पर दोबारा लड़ रहे हैं.
दारा सिंह चौहान के सामने घोसी का चुनावी मैदान तो वही है, लेकिन चुनौती पूरी तरह बदल चुकी है. 2022 में वो सपा के टिकट पर भाजपा के विजय राजभर को 22 हजार वोटों से हराकर जीते थे, लेकिन, इस बार उन्हें भाजपा के टिकट पर सपा को हराना होगा.
मऊ जनपद की बात करें तो यहां की चार विधानसभा सीटों में अब तक सपा का दबदबा है. घोसी और मोहम्मदाबाद गोहना सीट 2022 में सपा के खाते में आई थी. मऊ सदर सीट सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के टिकट पर बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने जीती थी. भाजपा को मधुबन विधानसभा सीट पर जीत मिली थी. इसलिए दारा सिंह चौहान पर ये बड़ी जिम्मेदारी होगी कि वो घोसी उपचुनाव जीतकर लोगों का भरोसा जीतें और भाजपा के लिए भी भरोसेमंद बने रहें.
घोसी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा वोट मुस्लिम के हैं. शिया 45 और सुन्नी 35 हजार हैं यानी कुल 80 हजार. दूसरे नंबर पर 70 हजार की संख्या के साथ मल्लाह वोटर हैं. तीसरे नंबर पर आते हैं दलित, जिनके वोट करीब 60 हजार हैं. दारा सिंह चौहान जिस बिरादरी से आते हैं, वो नोनिया चौहान वोटर हैं. उनकी संख्या 45 हजार है. इसके अलावा राजभर वोट भाजपा को यहां मिलते रहे हैं. इसलिए 35 हजार राजभर वोटर बड़ा खेल कर सकते हैं.
हालांकि, दारा सिंह चौहान की लड़ाई इतनी आसान नहीं होगी. उनकी सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वो सपा के यादव और मुस्लिम समीकरण का मजबूती से मुकाबला करें. इन दोनों बिरादरी के वोट लगभग शत प्रतिशत पड़ते हैं. ऐसे में दारा सिंह चौहान को जीत के लिए किसी भी सूरत में सवा लाख वोट चाहिए होंगे. उनका खेल तभी बन सकता है, जब बसपा किसी मुस्लिम प्रत्याशी को उतार दे.
घोसी विधानसभा सीट पर करीब साढ़े चार लाख से ज्यादा मतदाता हैं. करीब 2.40 लाख पुरुष और 2 लाख से ज्यादा महिला वोटर हैं. पिछड़ों में शुमार नोनिया चौहान बिरादरी के मतदाता एकमुश्त वोट डालते हैं और जातिगत उम्मीदवार से पूरी वफा निभाते हैं. दारा सिंह चौहान हों या सपा, बसपा के उम्मीदवार. चौहान, राजभर, यादव, मुस्लिम प्रत्याशी सीट जीतने की लगभग गारंटी बन चुके हैं.
घोसी विधानसभा सीट पर 2022 के चुनाव नतीजों पर नजर डालें, तो दारा सिंह चौहान 108430 वोट पाकर ही जीत गए थे. लेकिन, भाजपा ने उनका काफी दूर तक पीछा किया. बसपा के वसीम इकबाल 54 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थे. अगर मुस्लिम वोटर सपा के पाले में चले गए, तो दारा या भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती है. इसलिए, इस बार दारा सिंह चौहान और भाजपा दोनों को ऐसा खेल रचना होगा, जिसमें पिछली बार की तरह दारा तो जीत जाएं, लेकिन सपा हार जाए.
नोनिया चौहान वोटर्स मऊ जनपद में किसानी से लेकर व्यापार तक हर स्तर पर अपना दखल रखते हैं. फागू चौहान ने लोकदल से लेकर जनता पार्टी तक और फिर भाजपा तक चौहान वोटर्स के दम पर सियासी बुलंदियां हासिल की थीं. उनके बाद चौहान बिरादरी को सिरमाथे रखकर दारा सिंह चौहान ने अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाई.
मऊ जनपद के चौहान वोटर्स और सपा, बसपा समेत भाजपा के परंपरागत वोटर्स ने उन्हें जीत दिलाई है. लेकिन, इस बार उनकी जीत सबसे खास होगी. क्योंकि, ये जीत योगी सरकार में उनकी मंत्री वाली सीट पक्की करेगी, तो वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खाते में पूर्वांचल की कुछ सीटें बढ़ाने का काम करेगी.