Ayodhya: धर्मनगरी अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जारी है. पहले तल का काम पूरा चुका है और अब प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी शुरू हो गई है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण पत्र भेज दिया गया है. श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने महोत्सव के लिए 15 से 24 जनवरी के बीच समय मांगा है.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की गई है कि अयोध्या में इस प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में उनके शामिल होने से पूरे विश्व में भारत का मान बढ़ेगा. राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में आयोजन को ऐतिहासिक बनाने पर चर्चा हुई. इसके लिए रूपरेखा तैयार की जा रही है.
चंपत राय के मुताबिक गर्भगृह में पांच वर्षीय बालक के स्वरूप में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर के ऊपर के दूसरी और तीसरी मंजिल का निर्माण कार्य जारी रहेगा. वहीं श्रीराम मंदिर के निर्माण में पत्थरों को जोड़ने के लिए सीमेंट और रेत के बजाय तांबे की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है.
ट्रस्ट ने तय किया है कि आयोजन से पहले पूरे देश में अभियान चलाया जाएगा. इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे कि देश का कोई भी मंदिर, गांव, कस्बा महोत्सव के उल्लास से अछूता नहीं रह जाए. पूरे देश में महोत्सव की होर्डिंग लगाई जाएंगी. इसे ट्रस्ट तैयार करा रहा है.
आयोजन को भव्य रूप देने के लिए राम जन्मभूमि परिसर में महोत्सव के दौरान दस हजार कुर्सियां लगाने पर विचार किया जा रहा है, इसे लेकर स्थान भी देखा गया है. मेहमानों की सुविधाओं पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है. खास बात है कि प्राण प्रतिष्ठा प्रबंधन समिति की बैठक हर 15 दिन में हो रही है. प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या का क्या दृश्य होगा, इसे लेकर अनुभवी कार्यकर्ताओं की टीम के साथ लगातार मंथन चल रहा है.
चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर के परकोटे में 90 मूर्तियां बनाई जानी हैं, जो कि कांस्य की बनेंगी. मंदिर के खंभों में देवी-देवताओं की मूर्तियां बन रही हैं. इनकी संख्या 6000 से अधिक होगी. परकोटे में भी 90 पैनल को लगाए जाने की बात सामने आई है जो कांस्य के होंगे.
उन्होंने बताया कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो सिंह, दो गज, एक हनुमान जी और एक गरुण जी की मूर्ति बनेगी. परकोटा में भी छह मंदिर बनने हैं. उन मंदिरों के लिए मूर्तियों का चयन किए जाने के लिए ट्रस्ट का एक प्रतिनिधिमंडल अगस्त माह में राजस्थान जाएगा.
चंपत राय ने बताया कि भगवान श्री रामलला का भव्य मंदिर बिना बाधा के बने, इसके लिए अनेक प्रकार के अनुष्ठान चल रहे हैं. इस समय तीर्थ क्षेत्र भवन रामकोट में ऋग्वेद, सामवेद, कृष्ण यजुर्वेद, शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रों की आहुतियां चल रही हैं. वाल्मीकि रामायण और श्रीमद्भागवत का भी पाठ चल रहा है. काशी के वेद विद्वान और महाराष्ट्र के वैदिक आचार्य अलग-अलग अनुष्ठान कर रहे हैं. नवंबर 2022 से मंदिर निर्माण होने तक वैदिक मंत्रों का उच्चारण और हवन भी चल रहा है.
दिव्य-भव्य गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव अद्भुत व ऐतिहासिक होगा. इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. वहीं रामलला का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव अयोध्या में राम मंदिर सहित देशभर के पांच लाख मंदिरों में भी आयोजित किया जाएगा. इसे लेकर अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.
चंपत राय ने बताया कि सभी सनातनी अपने-अपने क्षेत्रों के मंदिरों में उत्सव में शामिल होंगे. इसके लिए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं. स्थानीय स्तर पर भी टोलियां बनाई जाएंगी. ये समारोह प्राण प्रतिष्ठा समारोह के 10 दिन पहले से शुरू होगा. लोग मंदिर में संकीर्तन करेंगे. वहीं सिख, जैन मत के श्रद्धालु की अपनी परंपरा के अनुसार स्थानीय स्तर पर अलग-अलग आयोजन करेंगे.
पूरे देश के मंदिरों में उत्सव के लिए संपर्क का जिम्मा तीर्थ न्यासी स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ, तीर्थ क्षेत्र कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरी महाराज को सौंपा गया है. इसके साथ ही अयोध्या के 500 मंदिरों में एलईडी स्क्रीन लगाने की भी बात कही जा रही है. हालांकि इसके लोगों किसी संस्था पर बोझ नहीं डाला जाएगा. लोग स्वेच्छा से प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ा उत्सव मना सकेंगे.
राममंदिर में देश की संस्कृति की झलक दिखेगी. श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि दो साल में जब पूरा मंदिर बन जाएगा तब पता चलेगा कि मंदिर निर्माण में सभी राज्यों का किसी न किसी प्रकार का योगदान है.
उन्होंने बताया कि मंदिर में जिन पत्थरों का प्रयोग हो रहा हैं वे राजस्थान व कर्नाटक से आए हैं. रामलला की अचल मूर्ति कर्नाटक और राजस्थान के पत्थरों से बन रही है. राममंदिर के दरवाजे महाराष्ट्र के सागौन की लकड़ियों से बन रहे हैं. दरवाजों पर नक्काशी का काम कन्या कुमारी के कारीगर कर रहे हैं. इस तरह मंदिर निर्माण में पूरे देश का योगदान है.