Cyber Crime: इंटरनेट के युग में हर हाथों में स्मार्टफोन है और हर कोई इंटरनेट का प्रयोग कर रहा है. डिजिटल के इस खेल में अधिकांश काम ऑनलाइन हो गया है. अपनी सुविधा के लिए हर कोई ऑनलाइन का सहारा ले रहा है. इस आदत का लाभ उठाकर साइबर ठग नए-नए पैंतरों के जरिए लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं.
लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में साइबर ठग ने आशीष सिंह नामक व्यक्ति से डेढ़ लाख रुपए की ठगी कर ली. इसके लिए वीडियो डीपफेक फेस स्वैपिंग टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया. साइबर ठगों ने पीड़ित आशीष के दोस्त का नकली चेहरा बनाया और वीडियो कॉल की. आशीष के पास उसके दोस्त की वीडियो कॉल आई जो कि महज कुछ सेकंड की थी, जिसमें उसने इमरजेंसी बताकर डेढ़ लाख रुपए की मांग की और फिर फोन कट कर दिया और फिर आशीष ने अपना दोस्त की मजबूरी समझकर रुपए ट्रांसफर कर दिए, लेकिन उसको ठगी का एहसास तब हुआ जब उसने अपने दोस्त से कॉल करके पूछा कि अचानक ऐसी क्या इमरजेंसी आ गई. तब जाकर साइबर अपराध का खुलासा हुआ और आशीष को पता चला कि उसके पास जो वीडियो कॉल आई थी वह उसके साथी की नहीं बल्कि साइबर ठगों की थी.
ठगों ने अब गूगल लोकेशन के मैप में सेंध लगा ली है. उसमें घुसपैठ करके दुकान का लोकेशन शेयर करने वालों को ठग रहे हैं. जब लोग ठगी का शिकार हो जा रहे हैं, तब उन्हें एहसास हो रहा है कि उनसे गलती हो गई है. सिद्धार्थनगर जनपद में लोकेशन के जरिए अब तक ठगी करने के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें साइबर टीम छानबीन कर रही है. साइबर सेल के विशेषज्ञों के मुताबिक कोई भी कॉल अगर आती है और अच्छी-अच्छी बात करके रुपए ऑनलाइन पेमेंट करने की बात करता है तो उसके झांसे में नहीं आएं. साइबर ठग गूगल मैप पर प्रचार-प्रचार के लिए डाले गए दुकान की लोकेशन को देख रहे हैं. इसके बाद कॉल करके फंसा रहे हैं. इसलिए बिना जान पहचान के कोई व्यक्ति काॅल करता है तो उसके झांसे में न आएं और ऑनलाइन पेमेंट न करें.
सहारनपुर के देवबंद स्थित मकबरा गांव का एक ग्रामीण ऑनलाइन ठगी का शिकार हो गया. 80 हजार रुपए का पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर उससे आठ हजार रुपए की ठगी कर ली गई. फोन करने वाले ने खुद को एक प्रसिद्ध ऑनलाइन कंपनी का मैनेजर बताया. इसके बाद उससे लोन अप्रूवल के नाम पर ठगी की गई. पुलिस मामले की जांच पड़ताल में लगी है.
संतकबीरनगर जिला अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर को ऑनलाइन पुराना फर्नीचर बेचना था. साइबर अपराधी ने संपर्क साधा तो उनके हाईस्कूल में पढ़ने वाले बेटे ने फोन उठाया. साइबर अपराधी ने बातों-बातों में बेटे को फंसा लिया और रुपए ट्रांसफर करने के लिए क्यूआर कोड मांगा. उसमें पहले दो रुपए भेजकर तस्दीक की और फिर पांच बार में कुल 98,000 रुपए खाते से निकाल लिए. पुलिस अधीक्षक ने साइबर सेल को मामले की जांच सौंप दी है.
साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों के मद्देनजर बागपत पुलिस ने 110 नंबरों की एक सूची तैयार की है, जिनसे बार-बार कॉल कर लोगों से ठगी की जा रही है. इनकी सूची को संबंधित टेली कम्युनिकेशन कंपनी को भेजा जाएगा, वहां से सेवा प्रदाता कंपनी से यह पता लगाया जाएगा कि यह नंबर किस मोबाइल फोन पर चल रहा है. उसकी अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान संख्या यानी आईएमईआई नंबर क्या है? फिर उस नंबर और संबंधित फोन को हमेशा के लिए ब्लॉक करा दिया जाएगा, ताकि उन नंबरों से दोबारा फोन भी नहीं कर किया जा सके. पुलिस ने लोगों से ऐसे मामलों में 1930 नंबर पर शिकायत दर्ज कराने को कहा है, मामला दर्ज होने पर आपकी ठगी गई राशि के वापस मिलने की संभावना बनी रहती है.
इस बीच अब सरकार ने कॉमर्शियल कनेक्शन का नया प्रावधान भी बनाया है. सिम कार्ड का कारोबार करने वाले डीलर्स और ग्राहकों के लिए KYC नियमों का पालन अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार नकली सिम कार्ड की बिक्री से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है. केंद्र सरकार ने 52 लाख मोबाइल कनेक्शन रद्द कर दिए हैं. मई 2023 से सिम कार्ड डीलरों के खिलाफ 300 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 67,000 डीलरों को ब्लैकलिस्ट किया गया है.
जानें किन नियमों में किया है बदलाव?
नए नियमों के मुताबिक, सभी नए सिम कार्ड विक्रेताओं को पुलिस और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन कराना होगा.
सभी पॉइंट-ऑफ-सेल डीलरों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा.
सिम कार्ड डीलरों का वेरिफिकेशन लाइसेंसधारी या संबंधित दूरसंचार ऑपरेटर द्वारा किया जाएगा.
अगर कोई इन नियमों का का उल्लंघन करता है तो उस पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.