वाराणसी: काशी में ‘देव दीपावली’ के खास अवसर पर इस बार कुछ रोशनी और ढेर सारी खुशबू मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर के ‘हवन दीपों’ की भी होगी. ये ‘हवन दीपों’ देशी गाय के गोबर से से बन रहे हैं. इसके लिए सिद्धि विनायक वूमेन स्ट्रेंथ सोसाइटी की संगीता पांडेय को प्रदेश के एमएसएमई विभाग की ओर से संचालित यूपी डिजाइन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से ऑर्डर मिला है.
हवन दीप पूरी तरह प्रदूषण मुक्त होता है. जलने के बाद राख को छोड़ इससे कोई अपशिष्ट बचता ही नहीं. इसे बनाने के लिए पहले देशी गाय का गोबर एकत्र कर उसमें अगरबत्ती को सुगंधित करने वाला पदार्थ डाला जाता है. फिर गोबर को खूब सानकर उसे कफ सिरप के आकार के ऊपर से कटी शीशी के चारो तरफ लपेटा जाता है. सूखने पर शीशी को गोबर से अलग कर देते हैं. फिर इसमें हवन में प्रयोग की जाने वाली सारी सामग्री (सुपारी, जौ, तिल, देशी घी, गुग्गुल आदि) डालकर लोहबान से लॉक कर दिया जाता है. ऊपर से आसानी से जलने के लिए कुछ कपूर रख दिया जाता है. ये सारी चीजें रोशनी और खुशबू देने के बाद राख में तब्दील हो हो जाती हैं.
हवन दीप देशी गाय के गोबर से ही क्यों? इस सवाल पर संगीता का कहना है कि विदेशी नस्ल की गायों की गोबर की तुलना में देशी का गोबर टाइट होने की वजह से इसे शेप (आकार) देना आसान होता है. इस समय गोरखपुर से सटे गुलरिहा गांव की करीब 50 महिलाएं हवन दीपों को अपने हुनरमंद हाथों से आकर देने में जुटीं हैं.
संगीता पांडेय ने बताया कि करीब तीन हफ्ते पहले एक ऑर्डर के तहत वह 5000 हवन दीप अमेरिका भी भेज चुकीं हैं. विदेशों से और भी ऑर्डर हैं. संगीता का कहना है कि मेरे लिए पहले अपना उत्तर प्रदेश और देश सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि जिस तरह योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हमारे पर्व और त्योहार जीवंत हो उठे, उसे और जीवंत करने में अगर मुझे कोई मौका मिलता है तो यह मेरा सौभाग्य है. मैं गोरखपुर से हूं. यहां के हर किसी के लिए गोरक्षपीठ शक्ति ऊर्जा का केंद्र है. सीएम योगी सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं इस पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं. उनके किसी काम में किंचित भूमिका भी मेरे लिए मायने रखती है.
संगीता पांडेय ने बच्चों और परिवार के बेहतर भविष्य के लिए कुछ साल पहले मात्र 1500 रुपये से पैकेजिंग का काम शुरू किया था. आज उन्हें सफल महिला उद्यमियों में शामिल किया जाता है. हाल ही में उन्होंने ग्रेटर नोएडा के एक्सपो में भी अपने प्रोडक्ट्स के साथ प्रतिभाग किया था. उनको स्थानीय और प्रदेश स्तर पर कई सम्मान भी मिल चुके हैं.
गौरतलब है कि देवाधिदेव महादेव के त्रिशूल पर पतित पावनी गंगा के किनारे बसी काशी। इसका शुमार दुनिया के प्राचीनतम नगरों में होता है. कहा गया है कि काशी तीनों लोकों से न्यारी है. काशी ही नहीं यहां की हर चीज बाकी जगहों से न्यारी है. लोग, अड़ी, होली और दीपावली भी. यूं तो काशी वर्ष पर्यंत उल्लास में रहती है, पर यहां के कुछ आयोजन बेहद विशिष्ट माने जाते हैं. इन्हीं में से एक है देव दीपावली. जिसका आयोजन दीपावली के बाद होता है. इसी देव दीपावली में हवन दीप का इस्तेमाल किया जाएगा.
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