Lucknow: यूपी में मौसम लोगों से खिलवाड़ करता नजर आ रहा है. जुलाई में अब तक आधे से ज्यादा जिलों में जहां औसम से कम बारिश के कारण सूखे की स्थिति है. वहीं कई जगह नदियों में उफान जारी है. एक तरफ फसलों का पानी की बेहद जरूरत है तो दूसरी ओर नदियों के तेवर के कारण हजारों हेक्टेयर जमीन जलमग्न हो गई है.
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और मध्य क्षेत्र में जहां लोग अब अगस्त में भारी बारिश की उम्मीद लगाए बैठे हैं तो पश्चिमी यूपी सहित कुछ अन्य हिस्सों में लोग नदियों के तेवर ढीले होने की प्रार्थना कर रहे हैं, जिससे वह अपने घरों में लौट सकें.
इस बीच मौसम विभाग ने अगस्त माह के पहले सप्ताह में पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी दोनों में बारिश की संभावना जताई है. इस बार पूर्वांचल में बादल ज्यादा बरसने की उम्मीद है. ऐसे में अधिक बारिश वाले इलाकों में और बारिश होने से हालात और खराब हो सकते हैं.
आगरा के पिनाहट में कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद चंबल नदी में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. चंबल नदी तेज उफान के बाद तटवर्ती गांव में हड़कंप मचा हुआ है. जलस्तर इतना बढ़ा है कि घाट पर शिव मंदिर भी आधा डूब गया है. दरअसल राजस्थान के कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद पिनाहट में चंबल नदी का जलस्तर जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.
नदी का जलस्तर तेज उफान के साथ सोमवार को 115.40 मीटर पर पहुंच गया है. इस वजह से पिनाहट घाट पर बने शिव मंदिर के कपाट पूरी तरह से डूब गए हैं. वहीं नदी में पानी लगातार बढ़ने से आसपास के गांवों में हड़कंप मच गया है. प्रशासनिक अधिकारियों ने चंबल नदी के किनारे गांव के लोगों को अलर्ट कर दिया है. साथ ही निगरानी के लिए गांव-गांव राजस्व टीम लगा दी गई हैं.
प्रयागराज में यमुना उफान मार रही है. लखीमपुर खीरी में शारदा में पानी लगातार बढ़ रहा है. एनसीआर क्षेत्र में यमुना में खूब पानी है और तटीय गांवों में बाढ़ के हालात हैं. इसके अलावा बदायूं में गंगा के जल स्तर की बात करें तो 12 साल का रिकार्ड तोड़ने के बाद अब नदी स्थिर है. फर्रुखाबाद व नरौरा बुलंदशहर में भी यही आलम है.
बहराइच में सरयू में उतार-चढ़ाव जारी हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बना है. यहां सरयू खतरे के निशान 106.070 मीटर को लांघ गई थी और दो सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी. अब यह एक सेंटीमीटर नीचे बह रही है. इससे बाढ़ ग्रस्त इलाके के लोगों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. वहीं दूसरी ओर जिले में इस बार औसत से 25 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है. कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो सूखे जैसे हालात बन जाएंगे.
सीतापुर जनपद में सरयू व शारदा नदियों के उफनाने से पिछले सप्ताह सरयू का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया. इससे महमूदाबाद तहसील क्षेत्र के 30 गांव बाढ़ के पानी से घिर गए थे. हालांकि जलस्तर में 30 सेमी कमी आने से रास्तों और गांवों के आसपास भरा पानी घट गया है. लेकिन, लगभग 400 बीघा खेत बाढ़ की चपेट में हैं. इस बीच किसानों ने बरसात से धान की रोपाई में फायदा मिलने की बात कही है.
बाराबंकी में बाढ़ से रामसनेहीघाट, सिरौलीगौसपुर और रामनगर तहसील के 100 से अधिक गांव प्रभावित होते हैं. पिछले करीब 40 दिन से सरयू नदी का जलस्तर घट बढ़ रहा है. नदी किनारे बसे करीब 35 गांव के ग्रामीण अपना बोरिया-बिस्तर बांध कर बैठे हैं. 12 गांव नदी के उस पार बसे हैं जहां तक राहत पहुंचना मुश्किल है, ऐसे में ये लोग पलायन की तैयारी में हैं.
श्रावस्ती के तराई क्षेत्र में इस साल औसतन 485 एमएल के सापेक्ष अब तक मात्र 220.1 एमएल ही बरसात हुई है, जो औसत से करीब 53 प्रतिशत कम है. इसका सबसे ज्यादा असिंचित सिरसिया क्षेत्र प्रभाव पड़ा है. वहीं नेपाल सहित पहाड़ों पर होने वाली बरसात के कारण अब तक दो बार राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर से ऊपर जा चुका है.
अमेठी जनपद में जुलाई माह में 58.54 प्रतिशत बरसात हुई है. कई दिनों से बारिश नहीं होने से खरीफ सीजन की फसल सूखने के कगार पर पहुंच रही थी. लेकिन, शनिवार को 8.8 मिमी और फिर रविवार दोपहर बाद हुई झमाझम बरसात ने किसानों को वर्तमान में सूखे की परेशानी से निजात दिला दी. गोमती के तटीय क्षेत्र में जलस्तर से बढ़ने से तराई में जलभराव की समस्या है.
गोंडा में सरयू में लगातार बैराजों से छोड़े गए पानी का डिस्चार्ज हो रहा है. नदी खतरे के निशान से 29 सेंटीमीटर नीचे बह रही है. नदी में उफान से करनैलगंज के काफी लोग गांवों से पलायन कर बंधे पर अस्थाई रूप से रह रहे हैं. इसके अलावा तरबगंज तहसील के 12 पंचायतों के 34 गांवों के किनारे तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है. यहां के ढेमवाघाट का पहुंच मार्ग नदी में समा चुका है. फिलहाल कई गांव पानी से घिरे हैं.