Lucknow: भ्रष्टाचार के आरोपी पूर्व आईएएस अफसर रामविलास यादव के खिलाफ उत्तराखंड के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में रामविलास यादव और उनके परिवार की 20.36 करोड़ की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है. इनमें 18 करोड़ रुपए की चल और दो करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति हैं. ईडी ने यह कार्रवाई लखनऊ और उत्तराखंड के देहरादून में की है.
लखनऊ के सोशल एक्टिविस्ट हेमंत मिश्रा की शिकायत पर उत्तराखंड सरकार ने विजिलेंस को जांच करने का आदेश दिया था. पिछले साल विजिलेंस की टीम ने तत्कालीन आईएएस अफसर रामविलास यादव के लखनऊ के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी.
इस दौरान सामने आया कि रामविलास यादव की वर्ष 2013 से 2016 के बीच ज्ञात स्रोतों से कमाई 78 लाख रुपये थी. जबकि, इस दौरान उन्होंने 21.40 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इस अवैध संपत्ति से उन्होंने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में संपत्तियों की खरीद की. इनमें लखनऊ और देहरादून में कई संपत्तियों के होने की बात सामने आई.
इस बारे में विजिलेंस के जवाब मांगने पर रामविलास यादव की ओर से मौन साध लिया गया. वहीं पिछले साल सेवानिवृत्त होने से सात दिन पहले 23 जून को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. विजिलेंस की चार्जशीट के मुताबिक रामविलास यादव की संपत्ति उनके ज्ञात स्रोत से 2626 प्रतिशत अधिक है.
इस प्रकरण में पिछले दिनों ईडी ने भी जांच पड़ताल शुरू की. इसके बाद 23 मई को रामविलास यादव को चार दिन की कस्टडी में लिया गया. इस दौरान लखनऊ और देहरादून में पूछताछ की गई. सभी संपत्तियों की मौके पर जाकर ईडी ने जांच की. वहीं अब ईडी ने राम विलास यादव की संपत्तियों को अटैच किया है.
ईडी के मताबिक रामविलास ने लखनऊ में परिवार के सदस्यों के नाम पर चार जमीनें और एक फ्लैट खरीदा. इसके अलावा लखनऊ के अलीगंज के पुरनिया स्थित आलीशान बंगला, गुडंबा कुर्सी रोड स्थित जनता विद्यालय, भवन समूह और स्व. रामकरन दादा मेमोरियल ट्रस्ट गाजीपुर की इमारतों को बनाने में भी अवैध धन का प्रयोग किया गया.
ईडी ने उनके परिवार के सदस्यों की 18.33 करोड़ की चल और लगभग 2.03 करोड़ की अचल संपत्ति को अटैच किया है. अचल संपत्तियों में विभिन्न बैंकों में परिवार के नाम की एफडी शामिल हैं। जबकि, अचल संपत्तियों में पैतृक गांव की जमीन शामिल है.