20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

UP Chunav 2022: खत्म हुआ किसान आंदोलन, क्या कृषि कानूनों की वापसी से चुनाव में बीजेपी को फायदा होगा?

कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही 1 साल 13 दिन चला किसानों का आंदोलन समाप्त हो गया है, लेकिन इस आंदोलन के क्या मायने हैं, और इसके खत्म होने से आगामी चुनाव पर क्या असर पढ़ेगा, जानने के लिए पढें ये रिपोर्ट...

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी अलग-अलग मागों को लेकर जारी किसान आंदोलन आखिर खत्म हो गया है. संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक,11 दिसंबर से किसान घर लौटना शुरू कर देंगे. केंद्र सरकार ने विरोध करने वाले किसानों की प्रमुख मांगों को स्वीकार किया और एक साल के विरोध प्रदर्शन के बाद तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को खत्म कर दिया. आइए समझते हैं इसका आगामी चुनावों पर क्या असर होगा.

कृषि कानून वापसी का कारण

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, देश के अलग-अलग राज्यों में किसानों द्वारा सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन, इस बीच हरियाणा जैसे राज्यों में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई और लगभग 700 किसानों की मौत ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक सवाल खड़ा कर दिया, जिसके बाद पीएम ने 19 नवंबर को घोषणा की कि उनकी सरकार ने कानूनों को रद्द करने का फैसला लिया है. अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि मैं क्षमा चाहता हूं कि तीन कृषि कानून को मैं समझा नहीं सका.

जब बीजेपी पर लगा किसान विरोधी होने का ठप्पा

किसान आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब यूपी सरकार में केंद्रीय मंत्री के बेटे की कार से विरोध प्रदर्शन से लौट रहे चार किसानों की मौत हो गई. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि, ये एक ऐसा समय था, जब भारतीय जनता पार्टी को किसानों का समर्थन खोने की चिंता सताने लगी. दरअसल, अगले साल यानी अब कुछ महीने बाद ही यूपी विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकार कोई गलती नहीं करना चाहती थी.

यूपी चुनाव से लोकसभा चुनाव 2024 का रास्ता

दरअसल, एक तरफ किसान आंदोलन दूसरी तरफ पंजाब और यूपी में चुनाव, जहां किसानों की संख्या बहुतायत में है. बीजेपी पंजाब में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रही है, एक ऐसा राज्य जहां किसानों के मुद्दे महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा यूपी विधानसभा चुनाव में ही भाजपा को 2024 के लिए लोकसभा चुनाव का रास्ता बनाना है. इन सब के बीच किसानों की जो भूमिका है उसे चाहकर भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है.

किसानों पर लगे गंभीर आरोप?

इधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार पर एक के बाद एक गंभीर आरोप लगाना शुरू कर दिया. टिकैत ने अलग अलग मंचों से कहा कि, पिछले 14 महीनों के आंदोलन के दौरान, किसानों को देशद्रोही, खालिस्तानी (सिख अलगाववादी) कहा गया. पूरे देश का पेट भरने वालों का यह अपमान देश देख रहा है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादक क्षेत्र से भारतीय किसान संघ के एक प्रभावशाली नेता टिकैत ने भाजपा से वोट छीनने की धमकी दी. उन्होंने रैलियों में कहा, ‘ये साफ है कि इनको वोट की चोट देनी होगी,’

चुनावी दौर में टिकैत के बयान

बता दें कि टिकैत जाटों के बीच शक्तिशाली बालियान खाप से ताल्लुक रखते हैं, जो पश्चिमी यूपी की राजनीतिक में अहम भूमिका निभाते हैं. किसान आंदोलन के दौरन किसानों ने हरियाणा और पंजाब में भाजपा नेताओं का बहिष्कार किया और उन्हें अक्सर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जाने से रोका जाता था, ये एक ऐसी स्थिति थी जो बीजेपी के लिए चुनाव में एक बड़ी मुश्किल पैदा कर सकती थी.

मोदी सरकार के पास थे दो विकल्प

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, मोदी सरकार के सामने दो ही विकल्प थे, या तो कानूनों को निरस्त कर दिया जाए, या फिर आगामी चुनाव में दिखती हार को स्वीकार किया जाए, लेकिन बीजेपी ने कानूनों को निरस्त करना उचित समझा, अब देखना होगा कि इसका असर पंजाब और यूपी के चुनाव पर कितना पड़ता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें