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कृषि कानूनों पर BJP नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी पर मायावती सख्त, बोलीं- ऐसे कैसे होगा जनता को पीएम मोदी पर यकीन

बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा कृषि कानूनों को फिर से लाने की बात पर बसपा सुप्रीमों ने नाराजगी व्यक्त की है. ऐसे में मायावती ने ट्वीट कर कहा कि....

Lucknow News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन नए कृषि कानूनों की वापसी को लेकर प्रतिक्रियाओं का सिलसिला लगातार जारी है. ऐसे में अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर किसानों की अन्य मांगों के समाधान की बात रखी है, ताकि किसान आंदोलन खत्म कर वापस अपने घर लौट सकें. साथ ही उन्होंने बीजेपी को अहम सुझाव दिया है

किसानों की अन्य मांगों का भी हो समाधान- मायावती

पूर्व सीएम ने ट्वीट कर कहा- पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लगभग एक वर्ष से आन्दोलित किसानों की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग स्वीकारने के साथ-साथ उनकी कुछ अन्य जायज मांगों का भी सामयिक समाधान जरूरी है, ताकि वे संतुष्ट होकर अपने-अपने घरों में वापस लौट कर अपने कार्यों में पूरी तरह फिर से जुट स कें.

बीजेपी नेताओं के भड़काऊ बयानों पर मायावती सख्त

मायावती ने आगे कहा कि, कृषि कानूनों की वापसी की केन्द्र सरकार की खास घोषणा के प्रति किसानों में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है कि भाजपा के नेताओं की बयानबाजी पर लगाम लगे, जो पीएम की घोषणा के बावजूद अपने भड़काऊ बयानों आदि से लोगों में संदेह पैदा करके माहौल को खराब कर रहे हैं.

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दरअसल, उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा था कि राष्ट्र विरोधी ताकतों की वजह से बिल वापस लिया गया है. उन्होंने कहा, बिल का क्या है? बनता है, बिगड़ता है. फिर वापस आ जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि किसान आंदोलन के मंच से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाते थे.

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कृषि कानूनों की वापसी को लेकर बयानबाजी का मामला सिर्फ बीजेपी सांसद तक ही सीमित नहीं है. दरअसल, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी कानूनों की वापसी को लेकर कहा था कि सरकार किसानों को समझाने की सफल नहीं रही, जरूरत पड़ी तो किसान बिल फिर लाया जाएगा.

किसानों की महापंचायत पर नजर

इधर, किसान बिल की वापसी के बाद संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से आज लखनऊ के ईको गार्डन में महापंचायत बुलाई गई है. इसमें कृषि कानूनों की वापसी के बाद आगे की प्लानिंग तैयार की जाएगी. ऐसे में मायावती के ट्वीट का स्पष्ट मतलब है कि बीजेपी के नेता ऐसा कुछ भी न करें, जिसे आंदोलन खत्म होने की जगह और आगे बढ़ जाए.

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