UP Flood: उत्तर प्रदेश में मौसम का अंदाज बदलने के बीच कई जनपदों में बाढ़ के हालात के कारण लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. पश्चिमी यूपी में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है. इसके अलावा कई जनपद भी नदियों के रौद्र रूप दिखाने के कारण बेहद प्रभावित हैं.
उत्तर प्रदेश के 13 जनपदों में सैकड़ों गांवों में बाढ़ की स्थिति से राहत नहीं मिली है. प्रदेश में गंगा, यमुना, हिंडन, शारदा सहित कई नदियां उफान पर हैं. अन्य इलाकों से पानी छोड़े जाने के कारण इनके जलस्तर में इजाफा देखने को मिल रहा है. गंगा नदी में जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है.
प्रदेश के अलीगढ़, बिजनौर, बदायूं, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, कासगंज, मथुरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शाहजहांपुर और शामली जिलों के 331 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. हजारों की संख्या में बेघर लोगों को राहत प्रदान करने के लिए 61 शरण स्थल बनाए गए हैं. इसके अलावा नदियों के जलस्तर की चौबीस घंटे निगरानी की जा रही है.
इस बीच नदियों के तेवर के कारण पर्यटन सेक्टर भी प्रभावित हुआ है. काशी में सावन माह के दौरान गंगा घाटों पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ी रहती है. लेकिन, इस बार गंगा में उफान के कारण बीते चार दिन में साढ़े चार हजार पर्यटकों ने बनारस यात्रा स्थगित की है. इसे आगे और बढ़ने की आशंका है. वाराणसी में गंगा की लहरें अब पर्यटकों को डरा रहीं हैं.
टूर ऑपरेटर और होटल कारोबारियों के मुताबिक पिछले चार दिन में साढ़े चार हजार पर्यटकों ने बुकिंग रद्द कराई है. गंगा में नौका परिचालन बंद होने की वजह से पर्यटक फिलहाल काशी की यात्रा करने से परहेज कर रहे हैं. वाराणसी टूरिज्म गिल्ड के प्रवीण मेहता व पंकज सिंह बताया कि गंगा में नौका परिचालन बंद होने से पर्यटक मायूस हैं.
शहर में पहले से मौजूद कुछ पर्यटकों के मुताबिक जिस बनारस को वो देखने आ रहे हैं, नौका परिचालन बंद होने से वंचित होना पड़ रहा है. होटल कारोबारी विजय जायसवाल ने बताया कि पर्यटकों के कार्यक्रम रद्द करने का असर क्रूज की बुकिंग पर भी पड़ा है.
दरअसल वाराणसी अपने कई विशाल मंदिरों के अलावा घाटों और अन्य कई लोकप्रिय स्थानों से हर साल यहां आने वाले लाखों पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है. ये जगह न केवल भारतियों को बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी काफी पसंद आती है. लेकिन, इस बार यहां सूनापन है.
यहां काशी विश्वनाथ धाम, बीएचयू विश्वनाथ मंदिर, दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट, मान मंदिर घाट, दुर्गाकुंड मंदिर, नमो घाट, तुलसी मानस मंदिर, नेपाली मंदिर ललिता घाट, संकट मोचन मंदिर, रामनगर किला, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, भारत माता मंदिर, मृत्युंजय महादेव मंदिर, टीएफसी आदि घूमने की जगहें हैं. सावन के दौरान मौसम खुशनुमा होने के कारण पर्यटकों की भीड़ और ज्यादा बढ़ जाती है. लेकिन गंगा में उफान के कारण इस बार काफी असर पड़ा है.
इस बीच हथिनीकुंड बैराज पर दबाव बढ़ने के कारण पानी छोड़े जाने के बाद सहारनपुर में अलर्ट जारी कर दिया गया है. तटवर्ती गांव के लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है. बैराज से छोड़े गए इस पानी से निचले क्षेत्रों में बाढ़ आ गई है. सहारनपुर के चिलकाना, सरसावा, नकुड़, गंगोह के अलावा शामली, बागपत के खादर क्षेत्र में बाढ़ से भारी नुकसान की संभावना बन गई है.
इसके साथ ही सरसावा क्षेत्र के गांवों बैंगनी, चोरीमंडी, हैदरपुर, शाहजहांपुर, झरौली, घंघोड़, कुतुबपुर, अपलाना, ढिक्का, मंधोर, भीक्खनपुर आदि के यमुना किनारे के खेत पानी से लबालब हैं. स्थिति ये है कि किसान अपने खेत पर जाने की स्थिति में नहीं हैं. किसानों के मुताबिक सबसे अधिक परेशानी पशुओं के हरे चारे की है. चारा पानी के चलते गिर गया है, ऐसे में चारा काटा भी नहीं जा सकता.
यमुना में पानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नदी पर बने पुल के आठों खंबे पानी से डूबने की स्थिति में हैं.यमुना नदी के दोनों छोर पानी में डूबे हैं. फिलहाल राहत मिलने के आसार नहीं हैं. सभी बाढ़ चौकियों को अलर्ट पर रखा गया है. जिस कर्मचारी की जहां पर ड्यूटी है, उसे वहीं पर रहने के लिए कहा गया है.
आगरा में यमुना फिर उफान पर है. लाल निशान से महज तीन इंच दूर है। मंगलवार को 10 घंटे में चार इंच जलस्तर बढ़ा है. लो फ्लड लेवल 495 फीट है. शाम छह बजे तक वॉटर वर्क्स पर यमुना जलस्तर 494.7 फीट था. यमुना में बढ़ते जलस्तर के मद्देनजर जिला प्रशासन ने फिर अलर्ट जारी किया है.
यमुना की बाढ़ से पिछले दिनों 40 गांव प्रभावित हुए थे. पहले हथिनीकुंड से 3.51 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. इसके बाद 13 साल में यमुना जलस्तर 499.3 फीट तक पहुंच गया. मीडियम फ्लड लेवल 499 फीट पर है. 21 जुलाई को फिर हथिनीकुंड से 2.51 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा है.
बाढ़ नियंत्रण प्रभारी राकेश बाबू के अनुसार हथिनीकुंड से छोड़े पानी के मद्देनजर ओखला व गोकुल बैराज के जलाशय को खाली किया जा रहा है. इस वजह से ओखला व गोकुल दोनों बैराज से डिस्चार्ज बढ़ गया है. उन्होंने बताया कि हर घंटे यमुना जलस्तर पर नजर रखी जा रही है. सभी कर्मियों की ड्यूटी लगाई है. आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए बाढ़ चौकियां अलर्ट की गई हैं.
इस बीच एत्मादउद्दौला स्मारक की यमुना की तरफ स्थित बारादरी के नीचे कमरों में पानी अभी भरा है. महताबाग बाग 18 जुलाई से पर्यटकों के लिए बंद है. ताज व्यू पॉइंट भी डूबा है। बगीचों में कीचड़ है. दोबारा जलस्तर बढ़ने से स्मारकों में फिर पानी भर सकता है.
उधर हिंडन का जलस्तर बढ़ने के कारण ग्रेटर नोएडा के करीब छह गांव में बाढ़ जैसे हालात बने हुए है. पानी लोगों के घरों में भर चुका है. अब तक करीब आठ सौ से ज्यादा लोगों को राहत केंद्रों में शिफ्ट किया गया है.
यमुना के बाद अब गाजियाबाद में हिंडन नदी उफान पर है. जलस्तर बढ़ने के कारण नदी से सटे इलाकों में पानी भर गया है. साथ ही कई मकानों में दरारें आनी शुरू हो गईं हैं. ऐसे में लोगों में डर बना हुआ है कि यदि पानी कम नहीं हुआ तो बड़ा हादसा हो सकता है. बताया जा रहा है कानाबनी इलाके में हिंडन नदी का जलस्तर आठ से दस फीट तक बढ़ गया है. जलस्तर बढ़ने से पानी लोगों के घरों तक पहुंच गया है. कुछ लोगों के घरों में दरार भी आ गई है. हिंडन नदी से सटे इलाके करहेड़ा, नगला, आठौर, कनाबनी में जलस्तर बढ़ा हुआ है.