Lucknow News: उत्तर प्रदेश के मौसम में एक बार फिर बदलाव देखने को मिला रहा है. जुलाई में मौसम के उतार चढ़ाव के बीच अगस्त में अभी तक मानसून मेहरबान रहा. हालांकि पिछले 48 घंटे में उमस एक बार फिर प्रभावी हुई है. ऐसे में लोग जहां बारिश का इंतजार कर रहे हैं, वहीं प्रदेश के तराई इलाके सहित कई जगह नदियां एक बार अपने तेवर दिखा रही हैं.
पहाड़ों पर बारिश और कई जगह से पानी छोड़े जाने के कारण गंगा, यमुना, सरयू और घाघरा सहित कई नदियां उत्तर प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. प्रदेश के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. पूर्वी यूपी में गंगा और सरयू नदी भी उफान पर है और विकराल रूप दिखा रही है. ये नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. ऐसे में बांध और नदी के बीच के गांव बाढ़ की जद में आ गए हैं. लोगों को नाव की मदद से ही आवाजाही करनी पड़ रही है.
अयोध्या में सरयू नदी का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है, जिससे नदी से कुछ दूर बसे कई गांवों में पानी प्रवेश कर गया है. बाढ़ की जद में आए लोग घरों का सामान निकालकर सुरक्षित जगह ले जा रहे हैं. प्रशासन ने भी प्रभावित क्षेत्रों में नावों की व्यवस्था की है.
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बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता के मुताबिक पूर्व अनुमान लगाया गया कि अब 17 अगस्त से जल स्तर घटने लगेगा. शासन के निर्देश पर बंधों की चौबीस घंटे निगरानी की जा रही है. बंधे की चौकियों पर लगे कर्मियों की छुट्टियों को रद्द कर उन्हें नजर बनाए रखने को कहा गया है. सरयू , गिरिजा और शारदा पूरा बाजार क्षेत्र में कटान की जद में लोगों के आवास आ गए हैं. बैराज से सवा लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित रुदौली के कैथी, सल्लाहपुर, बरौचा और महंगू का पुरवा सहित सदर के रामपुर पुआरी आदि गांवों के लोग हुए हैं.
बाराबंकी में भी सरयू का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. बुधवार को जलस्तर 62 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया. बुधवार को फिर नेपाल बैराज से सवा तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ने पर नदी का जलस्तर और और इजाफा होने की संभावना है. सरसण्डा गांव में बना पंचायत भवन व 14 मकान कटान के मुहाने पर आ चुके हैं. 35 गांव बाढ़ से घिरे हैं. ऐसे में लोग सुरक्षित स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं.
बस्ती में सरयू नदी के तेवर देखकर लोग सहम गए हैं. सरयू के बढ़ते जलस्तर से कई गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. सरयू नदी खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. इसका जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. उपजिलाधिकारी गुलाब चंद्र ने कटरिया तटबंध का निरीक्षण करने के साथ ग्रामीणों को बढ़ते जल स्तर के मद्देनजर अलर्ट किया. उन्होंने विसुंदासपुर में प्रधान और ग्रामीणों से बातचीत की. बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है.
गोंडा में घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. नदी के 50 सेंटीमीटर ऊपर बहने से तरबगंज तहसील के 16 गांवों की 17 हजार की आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है. प्रशासन ने क्षेत्र में 92 नावें लगा दी हैं. बताया जा रहा है कि घाघरा नदी वर्तमान में खतरे के निशान से 62 सेमी ऊपर बहने लगी है, जिससे प्रभावित गांव की संख्या बढ़ सकती है.
मौजूदा हालात में तराबगनज तहसील के दत्तनगर ब्योन्दा मांझा गुकुला समेत 16 गांवों में बाढ़ ने कहर मचा दिया है, जिससे मवेशियों के लिए चारे का संकट पैदा हो गया है. अपर जिलाधिकारी सुरेश सोनी ने बताया कि घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. तरबगंज क्षेत्र प्रभावित हुआ है. प्रशासन बाढ़ की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है.
फतेहपुर के मलवां और देवमई ब्लॉक क्षेत्र में गंगा और पांडु नदी के तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा हैत्र बेनीखेड़ा और बिंदकी फॉर्म गांव टापू बन गए हैं। सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो चुकी है. गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के कारण जलस्तर खतरे के निशान से सिर्फ नौ सेंटीमीटर दूर है. बेनीखेड़ा व बिंदकी फॉर्म गांव के हालात को देखते हुए यहां से 150 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं.
पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश से गंगा नदी में उफान है. पानी से कटरी क्षेत्र में सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई है. भिटौरा में खतरे का निशान 100.86 मीटर पर है, गंगा और पांडु नदी का जलस्तर एक समान हो गया है. इससे बेनीखेड़ा और बिंदकी फॉर्म गांव के चारों तरफ पानी भर गया है. जूनियर विद्यालय बड़ाखेड़ा पढ़ने जाने वाले छात्र सड़क पर भरे पानी से निकल रहे हैं.
कटरी के किसान बाढ़ से हुई तबाही को लेकर चिंतित हैं. कुछ दिन पहले बाढ़ की उम्मीद बिलकुल समाप्त जैसी थी. बाढ़ की चिंता छोड़ कर किसानों ने अपना ध्यान खेती पर लगाया था. धान और मिर्च के पौधों की रोपाई, गेंदा, गुलदवरी की रोपाई, सब्जी की बुआई का काम काफी हद तक पूर्ण हो चुका था. एक बार फिर गंगा के बढ़ते जलस्तर ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है. किसानों ने बाढ़ की आशंका से बोआई का रकबा पहले ही आधा कर दिया था. जो बोआई की थी वह भी बाढ़ की चपेट में है. किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
संभल में पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश से गंगा में बाढ़ आ गई है. नरौरा बैराज पर खतरे से निशान से 22 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. इस समय 2.67 लाख क्यूसेक पानी नरौरा से छोड़ा जा रहा है. दस साल बाद गंगा खतरे के निशान से ऊपर गई है. गंगा में बाढ़ के रौद्र रूप के बाद जुनावई व रजपुरा क्षेत्र के पांच गांवों में आबादी के निकट तक पानी पहुंच गया है. रौद्र रूप को देखते हुए जगह जगह मिट्टी डालकर तटबंध की मरम्मत शुरू करा दी है.
जुनावई क्षेत्र के गांव सालिंग की मड़ैया, नरूपुरा, बझांगी, मेंगरा, रजपुरा क्षेत्र के गांव चाऊपुर डांडा में आबादी के निकट बाढ़ का पानी पहुंच गया है. अधिकारियों के अनुसार तेजी के साथ बाढ़ का पानी बढ़ रहा है. इन गांवों की फसल पूरी तरह से बाढ़ के पानी में डूब चुकी है. गांव में बाढ़ चौकियों पर लेखपाल तैनात कर दिए गए हैं. साथ ही पल पल की खबर प्रशासनिक अधिकारियों को देने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासनिक अधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं.
संभल की अधिकांश सीमा में गंगा में आने वाली बाढ़ से बचाव के लिए तटबंध बना हुआ है. जगह-जगह से तटबंध की स्थिति ठीक नहीं है। गंगा में आई भयानक बाढ़ से तटबंध को बचाने के लिए प्रशासन अभी से जुट गया है. गांव गंगावास व उसके आगे के स्थान पर तटबंध पर जगह जगह मिट्टी डलवाई जा रही है. ताकि बाढ़ के पानी से पहले ही तटबंध को मजबूत किया जा सके.
बिजनौर में पहाड़ की बारिश से गंगा में आया उफान अभी बरकरार बना हुआ है. जनपद के 24 से अधिक गांव टापू बन गए हैं. कई गांव की आबादी में पानी भरा हुआ है. रास्तों में भी नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. बिजनौर बैराज पर गंगा का जलस्तर 219.90 मीटर दर्ज किया गया है जोकि खतरे के निशान से महज 0.10 मीटर ही दूर है. बीते दिनों हरिद्वार से तीन लाख 70 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जिसके चलते बिजनौर में सोमवार को ही गंगा खतरे के निशान को पार कर गई थी.
अधिकारियों के मुताबिक जलस्तर में अब मामूली कमी देखने को मिली है, लेकिन गंगा के आस पास भरा हुआ बाढ़ का पानी अभी जस का तस बना हुआ है. बिजनौर बैराज के पास नवलपुर, ब्रहमपुरी, रावली आदि की आबादी में घरों तक पानी भरा हुआ है. इसके साथ ही खेतों में कई कई फीट पानी भरा हुआ है. फसलें पानी में पूरी तरह डूब चुकी हैं, जिनके चौपट होने का डर किसानों को सता रहा है.
उधर, बिजनौर बैराज से एक लाख 65 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया जबकि हरिद्वार के भीमगोड़ा बैराज से एक लाख 29 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. बाढ़ के चलते गंगा में भारी सिल्ट भी आ चुकी है. इस वजह से जलस्तर ज्यादा बना हुआ है.
रायबरेली में गंगा नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु पार कर गया है. ऐसे में अब कटरी क्षेत्र के लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. जिस तरह जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि जलस्तर खतरे के निशान को भी पार कर जाएगा. बाढ़ का खतरा देखते हुए नावों और गोताखोरों की तैनाती कर दी गई है.
गंगा नदी का चेतावनी बिंदु 98.360 मीटर और खतरे का निशान 99.360 मीटर है. केंद्रीय जल आयोग डलमऊ के मुताबिक, शाम पांच बजे तक जलस्तर 98.400 मीटर तक पहुंच गया. इससे कटरी क्षेत्र के गांव चकमलिक भीटी, जमालनगर, मोहिद्दीनपुर, जहांगीराबाद, बबुरा, अंबहा, पूरे रेवती सिंह समेत अन्य गांवों में रहने वाले ग्रामीणों में दहशत है. चेतावनी बिंदु पार करने के बाद नदी का पानी नाला आदि के रास्ते गांव के किनारे तक पहुंचने लगा है और गंगा कटरी क्षेत्र की हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है. इससे पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है.
ग्रामीणों के मुताबिक कई दिनों से गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. इसके चलते नदी का पानी नाले आदि के जरिए गांव के चारों ओर पहुंचने लगा है. दूसरी ओर गंगा कटरी क्षेत्र की हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न होने से मवेशियों को हरा चारा नहीं मिल पा रहा है. नदी के पानी से जहरीले जीव आबादी क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं.
उपजिलाधिकारी डलमऊ अभिषेक वर्मा ने कटरी क्षेत्र के गांवों का जायजा लिया. उन्होंने बताया कि पूर्व निर्धारित पर चौकिया पर कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है. आबादी क्षेत्र में गंगा नदी का पानी पहुंचते ही लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए नाव, नाविक और गोताखोरों की व्यवस्था कर ली गई है.
बागपत में यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर बढ़ गया है, जिसके साथ किसानों की चिंता भी बढ़ गई. यमुना के तेवर देख बाढ़ चौकियां भी अलर्ट हो गई हैं. किसानों को यमुना किनारे नहीं जाने की सलाह दी गई है. यमुना नदी में कुछ दिन पहले बाढ़ आ गई थी, जिससे यमुना खादर में हजारों बीघा खेतों में उगाई गई फसल बर्बाद हो गई थी.
पिछले कुछ दिन से यमुना का जलस्तर घट रहा था तो किसान भी खेतों में पहुंचकर दोबारा फसल की बुआई की तैयारी में जुट गये थे, लेकिन अब फिर से जलस्तर बढ़ गया और किनारों तक पहुंच गया. दोबारा खेती की तैयारी में जुटे किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है.यमुना का जलस्तर बढ़ने पर अधिकारियों ने बाढ़ चौकियों को भी अलर्ट कर दिया है.