Kalyan Singh Death Anniversary: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को आज ‘हिंदू गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य नेताओं ने कल्याण सिंह को पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि दी है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सेवा, सुशासन और सामाजिक न्याय के प्रतीक, श्री राम मंदिर आंदोलन के अग्रदूत, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, ‘पद्म विभूषण’ श्रद्धेय कल्याण सिंह ‘बाबूजी’ की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि गरीबों, पिछड़ों व वंचितों के अधिकारों के प्रबल संरक्षक, असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रेरणा स्रोत, उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं पद्म विभूषण से सम्मानित श्रद्धेय कल्याण सिंह ‘बाबूजी’ की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि. गरीबों, वंचितों एवं पिछड़ों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने तथा उनका उत्थान करने के लिए आपको सदैव स्मरण किया जाएगा.
गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को कल्याण सिंह की द्वितीय पुण्यतिथि पर अलीगढ़ में ‘हिंदू गौरव दिवस’ का शुभारंभ करेंगे. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित अन्य मंत्री व नेता मौजूद रहेंगे.
कल्याण सिंह को पुण्यतिथि पर याद करते हुए भाजपा अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के बीच हिंदुत्व के अपने एजेंडे को धार देने में जुट गई है. इसके साथ ही ओबीसी वर्ग को साधने की भी उसकी रणनीति है. दरअसल जाति-धर्म में उलझी उत्तर प्रदेश की सियासत को भेदकर भगवा दुर्ग की नींव कल्याण सिंह ने ही रखी. कारसेवकों पर अयोध्या में चली गोली के बाद हिंदुत्व के मुद्दे पर कल्याण सिंह जिस प्रखर तरीके से सामने आए, उसने यूपी की सियासत को एक नया मोड़ दिया और इससे भाजपा के ‘कल्याण’ का द्वार खुल गया.
अयोध्या आंदोलन ने भाजपा के कई नेताओं को राजनीतिक पहचान दी. इनमें कल्याण सिंह बड़े चेहरों में से एक रहे. मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर निर्माण की शपथ ली. सरकार के कार्यकाल को एक वर्ष भी नहीं गुजरा था कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया. इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण को जिम्मेदार माना गया. उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया. दूसरे दिन केंद्र सरकार ने प्रदेश की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया था.
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 50 से अधिक आरोपियों में से, कल्याण सिंह 2019 में अदालत में पेश होने वाले आखिरी भाजपा नेता थे. उन्हें दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई थी. उस समय राजस्थान के राज्यपाल होने के कारण उन्हें मुकदमे से छूट प्राप्त थी.
मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजे गए पूर्व राज्यपाल व पूर्व सीएम कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को अलीढ़ में अतरौली के गांव मढ़ौली में हुआ. वे 1967 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद उनके सियासी कदम पीछे नहीं हटे और वह भगवा राजनीति की पटकथा लिखने वाले नायक के रूप में उभरे. प्रदेश के मुख्यमंत्री तक बने. बाद में राजस्थान के राज्यपाल रहे. 21 अगस्त 2021 की रात 9:15 बजे लखनऊ पीजीआई में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया.
अतरौली विधानसभा से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले कल्याण सिंह पहली बार 1962 का चुनाव हारे. फिर 1967, 1969 व 1974 में लगातार अतरौली से विधायक चुने गए. इसके बाद कल्याण सिंह का राजनीति में कद बढ़ता चला गया. इस बीच वे आपातकाल में 1975 व 1977 में जेल भी गए. 1977 में चौथी बार फिर जीते और स्वास्थ्य मंत्री बने.
इसी बीच एक बार इंदिरा लहर में 1980 का चुनाव भी हारे. 1985 में फिर जीते और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने. 1989 में जीतकर नेता विधायक दल चुने गए. 1991 में जीत कर मुख्यमंत्री बने. 1993 में नेता विधायक दल और 1996 में फिर जीतकर मुख्यमंत्री व भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने. 2000-2001 में राक्रांपा का गठन किया.
2004 में भाजपा से बुलंदशहर से सांसद बने. 2009 में एटा से निर्दल सांसद बने. 2014 में राजस्थान के राज्यपाल बने. दो बार मुख्यमंत्री बने और राजस्थान में पूरे पांच वर्ष और कुछ समय के लिए हिमाचल के राज्यपाल भी रहे. वह कुल दस बार अतरौली से विधायक का चुनाव जीते. कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते रहे.
1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा टूटने के बाद कल्याण सिंह हिंदुत्व छवि वाले नेता के रूप में पहचाने गए. उनकी पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा वर्ष 2004 व 2007 में विधायक बनी. वर्तमान में कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह अतरौली से लगातार दूसरी बार विधायक हैं. वह प्रदेश सरकार में मंत्री हैं. कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह लगातार दो बार से उनकी परंपरागत सीट एटा से लोकसभा से सांसद हैं.