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Independence Day: देवरिया में रामजी सहाय के मकान से बनती थी आजादी के आंदोलन की रणनीति, यहां आए बापू के कई पत्र

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामजी सहाय का मकान रुद्रपुर के लिए आजादी की लड़ाई का स्मारक बन गया है. उनके दत्तक पुत्र राजेश श्रीवास्तव की इस मकान से गहरी आस्था है. इस कारण वह मकान के ढ़ांचे में कोई परिवर्तन नहीं कराना चाहते हैं. इस मकान को सुरक्षित रखने के लिए हर साल वह खपरैल को दुरुस्त कराते रहते हैं.

Independence Day: देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. आजादी की लड़ाई में अपने जीवन की आहुति देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद किया जा रहा है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में रुद्रपुर तहसील के रामजी सहाय जैसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को नमन करने के लिए लोग उनके पुस्तैनी मकान पर तिरंगा फहराने पहुंचते हैं. नगर के मस्जिद वार्ड में स्थित खपरैल की पुरानी मकान है, जिसके पते पर कभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अपने हाथ से लिखी गईं वर्धा और साबरमती आश्रम से चिठ्ठियां आया करती थीं.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और रुद्रपुर के पहले विधायक स्व. रामजी सहाय की किलकारी इसी घर में गूंजी थी. बापू के निर्देश पर यहीं से आजादी के आंदोलन को धार देने के लिए रामजी सहाय रणनीति बनाया करते थे. इस घर में तमाम स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खात्मे के लिए हफ़्तों-महीनों तक अंडरग्राउंड रहकर योजनाए बनाईं.

मकान में कोई परिवर्तन नहीं कराना चाहता- राजेश श्रीवास्तव

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामजी सहाय का मकान रुद्रपुर के लिए आजादी की लड़ाई का स्मारक बन गया है. उनके दत्तक पुत्र राजेश श्रीवास्तव की इस मकान से गहरी आस्था है. इस कारण वह मकान के ढ़ांचे में कोई परिवर्तन नहीं कराना चाहते हैं. इस मकान को सुरक्षित रखने के लिए हर साल वह खपरैल को दुरुस्त कराते रहते हैं.

उन्होंने रामजी सहाय को बापू की ओर से लिखे गए पत्रों का अवलोकन कराते हुए कहा कि महात्मा गांधी हर पत्र में उन्हें भाई रामजी सहाय लिख कर संबोधित करते थे. उन्होंने वर्धा और साबरमती आश्रम से सहाय जी को कई पत्र लिखे हैं जो आज भी सुरक्षित हैं. बाबू के आश्रम में रामजी सहाय का आना-जाना हुआ करता था.

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गोरखपुर में आंदोलन की जिम्मेदारी सहाय जी को मिली थी

गोरखपुर में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की जिम्मेदारी सहाय जी को दी गई थी. वह अपनी मकान पर लोगों का जुटान कर आजादी के आंदोलन के लिए सेना तैयार करते थे. इसके लिए उन्हें छह बार जेल की यात्रा करनी पड़ी. करीब तीन साल तक कठोर कारावास और जुर्माने की रकम चुका कर वह जेल से लौटे तो आंदोलन को चरामोत्कर्ष पर पहुंचाने में फिर जुट गए.

सारी जमापूंजी से शिक्षा की अलख जगाई

आजाद भारत में वह रुद्रपुर के पहले विधायक बने. उन्होंने दो बार यूपी के सदन में रुद्रपुर का प्रतिनिधित्व किया. जीवन की सारी जमापूंजी रामजी सहाय पीजी कॉलेज और दुग्धेश्वरनाथ इंटर कॉलेज में लगा दी. शिक्षा से अछूता रहे इस क्षेत्र में अपनी सारी चल-अचल संपत्ति दान कर शिक्षा की अलख जगाई. रुद्रपुर, मछागर और महादेव छपरा की पुस्तैनी जमीन दान कर दी.

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