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निकाय चुनाव से पहले कुरुक्षेत्र बना कानपुर विकास प्राधिकरण, पीसीएस अफसर को अधिशासी अभियंता से जान का खतरा

लखनऊ के गलियारों में एक बार फिर कानपुर विकास प्राधिकरण चर्चा में बना हुआ है. विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच रिपोर्ट फाइनल होने से पहले केडीए में तैनात 1 पीसीएस अफसर के पत्र ने खलबली मचा दी है.

कानपुर. यूपी निकाय चुनाव 2023 से पहले ब्यूरोक्रेसी की अंतकर्लह योगी सरकार के विजय रथ के सामने बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो गई है. आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के मुखिया योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवर के बावजूद प्राधिकरणों का माहौल बिगड़ता जा रहा हैं. लखनऊ के गलियारों में एक बार फिर कानपुर विकास प्राधिकरण चर्चा में बना हुआ है. विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच रिपोर्ट फाइनल होने से पहले केडीए में तैनात 1 पीसीएस अफसर के पत्र ने खलबली मचा दी है. एक अधिशासी अभियंता के खिलाफ ऐसा सनसनीखेज आरोप लगाया गया है कि टॉप लेवल पर बैठे अफसरों की कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आ रही है. सूत्रों का कहना है कि हाईकमान तक मामला पहुंच गया है. अब बस योगी सरकार का सुदर्शन चलना तय है.

आईजीआरएस से उठा सवाल

कानपुर विकास प्राधिकरण में तैनात एक पीसीएस अफसर ने आईजीआरएस से जुड़े संदर्भों के निस्तारण को लेकर पूर्व में जिलाधिकारी कार्यालय से जारी पत्र का हवाला देते हुए केडीए के तमाम विभागीय अधिकारियों को निस्तारण सम्बन्धी कार्रवाई के लिए संपर्क कर लिखित रूप से निर्देशित किया है. पत्र की भाषा के अनुसार 9 अधिकारियों के विभागों से जुड़े कुल 116 संदर्भ निस्तारित होने थे. पत्र जारी होने के बाद अधिकांश अधिकारी निस्तारण में जुड़ गए. इसके बाद आईजीआरएस निस्तारण के फॉलोअप को लेकर पीसीएस अफसर ने एक पत्र जारी किया. जिसे पढ़कर बाबू से लेकर अफसरों तक के होश उड़ गए हैं.

चिठ्ठी से आया भूचाल

प्रभात खबर के पास साक्ष्य के तौर पर पीसीएस अफसर की ओर से जारी इस पत्र की प्रति उपलब्ध है. जिससे केडीए के अंदर पॉलिटिक्स और अंतकर्लह खुल कर सामने आ गई है. 1 पीसीएस अफसर की ओर से केडीए उपाध्यक्ष सचिव समेत अन्य अधिकारियों को जारी किए गए पत्र में अफसर ने केडीए में तैनात एक अधिशासी अभियंता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. हालांकि, पत्रकारिता के नियमों का पालन करते हुए इस समाचार में संबंधित अफसर और अधिशासी अभियंता के नामों का खुलासा नहीं किया जा रहा है.

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आईआरएस पर टकराव

जारी पत्र की भाषा के अनुसार पीसीएस अफसर ने अधिशासी अभियंता पर आरोप लगाया है कि आईजीआरएस संदर्भों के निस्तारण को लेकर जब अधीशासी अभियंता से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया. अभियंता द्वारा पूर्व में भी फोन रिसीव नहीं किए गए हैं. जिसके संबंध में केडीए सचिव को भी अवगत कराया गया था. 20 मार्च 2023 को भी उपाध्यक्ष कार्यालय में अधिशासी अभियंता से आईजीआरएस संदर्भों के निस्तारण को लेकर अनुरोध किया गया था. लेकिन, उसके जवाब में अधीशासी अभियंता ने कहा कि आईजीआरएस प्रकरणों को महीने के अंतिम दिन देखा करें. इतना ही नहीं पीसीएस अफसर ने आरोप लगाया है कि जब भी आईजीआरएस के संबंध में अधीशासी अभियंता के चैंबर में पूछा जाता है तो वह आक्रोशित हो जाते हैं और चैंबर आने पर भी आपत्ति करते है.

अनहोनी का खतरा

इसके अतिरिक्त विशेष अफसर ने अधिशासी अभियंता के खिलाफ पत्र में लिखा है. जन चर्चा है कि इनके द्वारा भ्रष्टाचार के माध्यम से काफी धन अर्जित कर लिया है. जिसके कारण धनमद के प्रभाव में रहते है. जिसकी जांच सक्षम एजेंसी के द्वारा कराई जा सकती है. यहा पर यह अवगत कराना समाचीन होगा कि वह पीसीएस अफसर कार्यालय से आवास पैदल जाता है. उस परिस्थिति में अधीशासी अभियंता मेरे साथ(PCS Officer) कोई भी घटना करा सकते है. अतः भविष्य मेरे साथ कोई भी अनहोनी होती है तो अधीशासी अभियंता को जांच के दायरे में रखा जाए. चूंकि अधीशासी अभियंता ना तो दूरभाष से संपर्क करते हैं न ही अपने चेंबर पर आने देते हैं. ऐसी स्थिति में इनसे आईजीआरएस प्रकरणों के संबंध में संपर्क नहीं हो पाया है. इस संबंध में सचिव को भी अवगत करा दिया गया है. गौरतलब है कि पीसीएस अफसर की ओर से जारी पत्र में 24 मार्च 2023 की तिथि का उल्लेख किया गया है.

अफसरों ने लिया यू-टर्न

इस सनसनीखेज प्रकरण को लेकर केडीए के सक्षम अधिकारियों से बयान लेने का भी प्रयास किया गया है. लेकिन, अधिकारियों ने साफ मना कर दिया है. हालांकि नाम ना छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने पीसीएस अफसर के पत्र को लेकर उठे घटनाक्रम को स्वीकार करते हुए कहा है कि प्रकरण संज्ञान में आने के बाद दोनों अधिकारियों को बुलाकर बात की गई है. इसके बाद पीसीएस अफसर ने अपने द्वारा अधीशासी अभियंता के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर खेद प्रकट किया है. केडीए प्रशासन के मुताबिक मामले का पटाक्षेप हो गया है. हालांकि सूत्रों का कहना है कि यह मामला शासन के बड़े अफसरों तक पहुंच गया है. आने वाले दिनों में इसका साइड इफेक्ट भी देखने को मिलेगा.

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