लखनऊ. हापुड़ में वकील और पुलिस के बीच विवाद की घटना पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया है. हापुड़ की घटना के संबंध में मुख्यमंत्री ने कमिश्नर मेरठ की अध्यक्षता में त्रिसदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है.आईजी मेरठ तथा डीआईजी मुरादाबाद इसके सदस्य हैं. जांच कमेटी को घटना के सभी पहलुओं की जांच कर एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत देगी.वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हापुड़ में पुलिस द्वारा वकीलों पर बर्बर लाठीचार्ज की निंदा की है.
हापुड़ में पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में वकील आक्रामक हो रहे हैं. प्रयागराज में वकीलों ने पुलिसकर्मी को थप्पड़ जड़ दिया. विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील हड़ताल पर चले गए हैं. साथ ही उच्च न्यायालय के अलग-अलग गेटों पर प्रदर्शन किया. वकीलों ने गेट नंबर तीन के बाहर पुतला फूंका. वह दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के वकील भी न्यायिक कार्य से विरत हैं. यूपी में कई जिलों के वकीलों ने भी आज कार्य बहिष्कार किया है. यूपी बार काउंसिल ने भी कार्रवाई की मांग करते हुए दोषी पुलिस कर्मियों पर एफआइआर दर्ज करने की मांग की है. आवेश में आए वकीलों ने हाईकोर्ट में पेशी पर आए एक पुलिसकर्मी को पीट दिया. अलीगढ़ में पथराव कर दिया, पुलिसवालों ने भागकर जान बचाई.लखनऊ में वकीलों ने बस से खींचकर ड्राइवर को गिरा दिया . लखनऊ बार के पदाधिकारियों ने डीएम को ज्ञापन सौंपा है.
अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अराजकता व्याप्त है. भाजपा सरकार में पुलिस बेलगाम है. पुलिस ने कोर्ट परिसर में घुसकर जिस तरह से वकीलों और महिलाओं को बर्बरता से पीटा है वह घोर निन्दनीय है. भाजपा सरकार में अन्याय, अत्याचार चरम पर है. किसी को न्याय नहीं मिल रहा है. अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर सरकार के इशारे पर पुलिस का व्यवहार अलोकतांत्रिक एवं अमानवीय है.अखिलेश यादव ने कहा कि पुलिस ने लाठीचार्ज में महिला वकीलों को भी दौड़ा-दौड़ाकर मारा. पुलिस कानून व्यवस्था बनाने के बजाय खुद अराजकता और अव्यवस्था फैला रही है. इसकी भाजपा को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.