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Lohri 2023: लखनऊ में इस तरह मनाया जाएगा लोहड़ी का जश्न, तैयारियां हुईं तेज, सुख-समृद्धि के लिए अपनाएं ये विधि

बासमंडी चौराहा स्थित गुरुनानक बालिका डिग्री कॉलेज में लोहड़ी की तैयारियां तेजी से चल रही हैं. लोहड़ी जलाने के साथ ही गिद्दा और भांगड़ा किया जाएगा. पारंपरिक परिधानों को धारण करके लोग लोहड़ी को उल्लास के साथ मनाएंगे

Lucknow: लोहड़ी का नाम आते ही मन में खुशी और उल्लास का दृश्य आंखों के सामने आ जाता है. ढोल-ताशे पर भांगड़ा और गिद्दा का मनोरम दृश्य का सुखद एहसास पर्व को लेकर आस्था और विश्वास को और प्रगाढ़ करता है. लोहड़ी शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है. इसमें ‘ल’ का अर्थ है लकड़ी ‘ओह’ का अर्थ है गोहा यानी सूखे उपले और ‘ड़ी’ का मतलब यहां रेवड़ी से है. इसलिए लोहड़ी पर उपलों और लकड़ी की मदद से अग्नि जलायी जाती है.

गुरुनानक बालिका डिग्री कॉलेज में विशेष आयोजन

बासमंडी चौराहा स्थित गुरुनानक बालिका डिग्री कॉलेज में लोहड़ी की तैयारियां तेजी से चल रही हैं. लोहड़ी जलाने के साथ ही गिद्दा और भांगड़ा किया जाएगा. पारंपरिक परिधानों को धारण करके लोग लोहड़ी को उल्लास के साथ मनाएंगे. उत्सव के दौरान मक्का के दाने व मूंगफली और काले तिल के लड्डू आग में डाले जाएंगे.

इस बार लोहड़ी का शुभ मुहूर्त

मकर संक्राति की तरह लोहड़ी भी उतर भारत का प्रमुख त्योहार है. लोहड़ी का यह पर्व मकर संक्रांति से पहले मनाया जाता है. इस साल 15 जनवरी 2023 को मकर संक्रांति मनाई जा रही है. इसलिए इस बार लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन लोहड़ी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 8:57 पर है. इसके बाद लोग लोहरी जलाकर अन्य कार्यक्रम कर सकते हैं. पारंपरिक तौर पर यह त्योहार फसल की कटाई और नई फसल की बुवाई से जुड़ा हुआ है. किसान सूर्य और अग्निदेव स्तुति कर उनका आभार व्यक्त करते हैं ताकि उनकी कृपा से फसल अच्छी हो और घर में समृद्धि आए.

अग्नि की परिक्रमा कर सुखी जीवन की कामना

इस पावन पर्व पर लकड़ियों या उपलों से घर के बाहर या फिर किसी खुली जगह पर आग जलाई जाती है. लोहड़ी के इस पावन पर्व पर नई फसल को काटा जाता है. कटी हुई फसल का पहला भोग अग्नि को लगाया जाता है. आग के चारों तरफ चक्कर लगाकर सभी लोग अपने सुखी जीवन की कामना करते हैं.

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लोहड़ी की पूजाविधि

लोहड़ी के पावन पर्व पर घर के बाहर या किसी खुली जगह पर आग जलाई जाती है और फिर उस पवित्र आग की परिक्रमा करते हुए उसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं. इस मौके पर पारंपरिक गीत सुंदरिए मुंदरिए तेरा कौन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो, पर सिख-पंजाबी समाज के लोग जब नृत्य करते हैं, तो हर कोई इस खुशी में शामिल होने के लिए उत्सुक रहता है. गीतों के साथ आग में रेवड़ी, मूंगफली, पट्टी व मखाना डालकर खुशियां मनाने का लोगों को साल भर इंतजार रहता है. जिन लोगों के घर में नई बहू आती है या फिर किसी बच्‍चे का जन्‍म होता है, उन लोगों के घर में लोहड़ी का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है.

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