Lucknow: राजधानी लखनऊ के वजीर हसन रोड में अलाया अपार्टमेंट के गिरने के मामले ने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इस हादसे के बाद भले ही तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया और अभी तक एक भी मौत नहीं हुई है. लेकिन, जिस तरह से लखनऊ विकास प्राधिकरण और अन्य संबंधित विभागों के के जिम्मेदार अधिकारी सोते रहे, उसका खामियाजा एक बार कई परिवार भुगतने को मजबूर हुए.
मंडलायुक्त रोशन जैकब ने भी बुधवार को स्वीकार किया कि बिल्डिंग पूरी तरह से अवैध थी. इसके अलावा इसमें ग्रांडड फ्लोर पर गतिविधियां चल रही थीं. इस वजह से बिल्डिंग गिर गई. उन्होंने कहा कि नियमानुसार लखनऊ विकास प्राधिकरण के जिम्मेदारों को जब बिल्डिंग का निर्माण हो रहा था. तभी नक्शे को लेकर कदम उठाना चाहिए था. लेकिन, ऐसा नहीं किया गया. इसमें कड़ी कार्रवाई की जाएगी. किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
दरअसल अलाया अपार्टमेंट की जमीन सपा सरकार के कद्दावर मंत्री रहे शाहिद मंजूर के बेटे नवाजिश व भतीजे तारिक ने 2003 में खरीदी थी. इसके बाद इस जमीन पर अपार्टमेंट बनाने के लिए बिल्डर एग्रीमेंट यजदान बिल्डर्स से किया. यजदान बिल्डर्स ने इस जमीन पर पांच मंजिला भवन तैयार किया. इसके अलावा एक पेंट हाउस का निर्माण कराया था. इस पेंट हाउस को पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर के परिवार को दिया गया था, जिसे बाद में शाहिद ने सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अब्बास हैदर को बेच दिया था.
अपार्टमेंट में शाहिद मंजूर के हिस्से में दो फ्लैट बचे थे. एक में शाहिद ने अपनी बेटी व दामाद को दे दिया था. वहीं फ्लैट नंबर 401 अभी उनके पास ही था. इसके अलावा शाहिद के बेटे नवाजिश ने भूतल पार्किंग में अपना कार्यालय भी बना रखा था, जिसमें एक हिस्सा यजदान बिल्डर्स भी प्रयोग कर रहा था. बेचे गए फ्लैट की रजिस्ट्री पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर के बेटे नवाजिश व भतीजे तारिक के नाम से की गई है. इससे भी उनकी पार्टनरशिप इसमें सामने आ रही है.
यजदान बिल्डर की बात करें तो यह राजधानी में विवादों का दूसरा नाम बन गया है. हाल ही में प्राग नरायन रोड पर एलडीए ने बिल्डर की एक अपार्टमेंट इसीलिए तोड़ी. वहीं, महानगर विस्तार में भी स्वीकृत नक्शे से अलग सात मंजिला इमारत बिल्डर ने खड़ी कर दी. यजदान बिल्डर की लापरवाही का खामियाजा यहां रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ा.
ऐसा नहीं है कि यजदान बिल्डर की मनमानी पर लोगों ने सवाल नहीं उठाए. लेकिन उसके दबदबे के आगे किसी की नहीं चली. फ्लैट में रहने वालों के मुताबिक कई बार बिल्डिंग में नियमों को ताक पर रखकर किए जा रहे निर्माण कार्यों पर उन्होंने विरोध जताया. लेकिन, इसके बाद भी उनकी नहीं सुनी गई. पेंट हाउस का निर्माण तो डिजाइन में ही नहीं था. इसके बाद भी उसे रसूख दिखाकर जबरन बनाया गया. कमजोर ढांचा यह सह नहीं पाया.
अभी तक की जानकारी में सामने आया है कि सिर्फ 9 इंच के पिलर पर इमारत बना दी गई थी. पांच मंजिला इमारत के पिलर 9-9 इंच के थे. इस पर भी कमजोर बुनियाद के बावजूद बेसमेंट में खुदाई हो रही थी. इस वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ और लोगों का जीवन दांव पर लग गया, गृहस्थी तबाह हो गई.
वहीं इस प्रकरण में बिल्डर के अवैध निर्माण के लिए एलडीए के इंजीनियरों और अधिकारियों के अलावा पुलिस, अग्निशमन विभाग की भी सांठगांठ पर भी सवाल उठ रहे है. इसी वजह से बिल्डर ने इमारत खड़ी कर दी और उसे रोका नहीं गया. 2017 में विधानसभा चुनाव भी बसपा की टिकट से लड़ लिया. बिल्डर फहद बसपा से वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है.