Lucknow: कोरोना संक्रमण काल में बंद की गई लखनऊ कानपुर मेमू ट्रेन तीन साल बाद सोमवार से एक बार फिर दौड़ती नजर आएगी. लखनऊ से कानपुर के बीच ट्रेनों से प्रतिदिन करीब 20 हजार लोग यात्रा करते हैं. ऐसे में अब इस ट्रेन के चलने से उनका सफर आसान होगा. उत्तर रेलवे ने इसे एक्सप्रेस ट्रेन के तौर पर चलाने का फैसला किया है. यह ट्रेन शनिवार और रविवार को छोड़कर हफ्ते में पांच दिन चलेगी. इसमें लखनऊ से कानपुर सेंट्रल तक का किराया 45 रुपये होगा. इस ट्रेन के सभी 12 डिब्बे जनरल ही होंगे.
उत्तर रेलवे की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा ने बताया कि 04298 कानपुर सेंट्रल-लखनऊ अनारक्षित स्पेशल कानपुर से दोपहर 12:10 बजे चलेगी और दोपहर 02:15 बजे चारबाग स्टेशन पहुंचेगी. वापसी में 04295 लखनऊ-कानपुर सेंट्रल चारबाग स्टेशन से दोपहर 02:30 बजे चलेगी और शाम 04:25 बजे कानपुर सेंट्रल पहुंचेगी. दोनों तरफ से यह ट्रेन मानकनगर, अमौसी, पिपरसंड, हरौनी, जैतीपुर, कुसुंभी, अजगैन, सोनिक, उन्नाव जंक्शन, मगरवारा, कानपुर पुल बायां किनारा स्टेशन पर रुकेगी.
रेलवे के नई किराया निर्धारण सूची के मुताबिक सभी गाड़ियों में न्यूनतम किराया 30 रुपये हो चुका है. वहीं कोरोना संक्रमण काल से पहले मेमू ट्रेनों में न्यूनतम किराया 10 रुपये था. इसी तरह लखनऊ से कानपुर का किराया 20 रुपये था, जो अब 45 रुपये हो गया है. इस लिहाज से यात्रियों को अब सफर करने में ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ रही है.
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रेलवे की वेबसाइट के मुताबिक 64211/64212 कानपुर सेंट्रल-लखनऊ मेमू पहले लखनऊ जंक्शन से कानपुर सेंट्रल के लिए चलती थी. यह ट्रेन लखनऊ जंक्शन से छूटकर सीधे अमौसी रुकती थी. वहीं, 04295 अनारक्षित एक्सप्रेस स्पेशल अब चारबाग से होकर मानकनगर होते हुए अमौसी रूट से कानपुर सेंट्रल जाएगी. मेमू ट्रेन एक घंटा 40 मिनट का समय लेती थी, जबकि एक्सप्रेस ट्रेन एक घंटे 55 मिनट में पहुंचाएगी.
हालांकि लखनऊ कानपुर मेमू ट्रेन को एक्सप्रेस ट्रेन के तौर पर चलाने के निर्णय से दैनिक यात्री एसोसिएशन नाराज है. संगठन के अध्यक्ष एसएस उप्पल ने इसे रेलवे की मनमानी करार दिया है. उनका कहना है कि लखनऊ से कानपुर के बीच मेमू ट्रेनें बंद करने से करीब 20 हजार यात्री प्रभावित हुए. अब इन ट्रेन को स्पेशल बनाकर चलाया जा रहा है. किराया बढ़ाया गया है, जबकि सुविधाएं पुरानी ही हैं. ऐसे में यात्रियों की जेब पर अधिक बोझ डाला जा रहा है, जो किसी भी लिहाज से सही नहीं है. जब सुविधाएं नहीं बढ़ाई गई हैं, तो किराया बढ़ाने का क्या औचित्य है.