Lucknow Residency: दीवारें बयां करती हैं क्रांतिकारियों के शौर्य की गाथा, मिट्टी में दफन हैं कई अंग्रेज अफसर

Sanjay Singh

लखनऊ में कई ऐसे स्थान मौजूद हैं, जो आजादी की लड़ाई से जुड़ी यादों की गवाही देते हैं. ऐतिहासिक स्थल रेजीडेंसी इन्हीं में से एक है.

Lucknow Residency | Social Media

बेगम हजरत महल के बेटे के नेतृत्व में 40 दिनों तक अंग्रेजों को गोलाबारी के बीच रेजीडेंसी में ही कैद रहना पड़ा.

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रेजीडेंसी में एडवर्ड पाउनी व सर हेनरी लॉरेंस जैसे अंग्रेजी सेना के प्रमुखों की चौबीस से अधिक कब्रें वर्तमान में मौजूद हैं, तो कई कब्रों के निशान आज भी मौजूद हैं.

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कहते हैं कि गदर के निशान देखने हों तो रेजीडेंसी से ज्यादा मकबूल जगह और कहीं नहीं मिलेगी.

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क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत को खत्म करने के लिए वाजिद अली शाह के बेटे को अवध का नवाब घोषित कर दिया. उनकी मां बेगम हजरत महल के नेतृत्व में क्रांति की लड़ाई लड़ी गई.

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1857 में रेजीडेंसी स्वतंत्रता संग्राम की लम्बी लड़ाई का गवाह बना, जिसे सिज ऑफ लखनऊ कहा जाता है. यहां की दीवारें आज भी गोलियों और तोप के गोलों के छेद से पटी पड़ी है.

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रेजीडेंसी में विद्रोह की पटकथा उस समय लिखी जानी शुरू हो गई थी, जब अवध में अंग्रेज अफसरों ने धीरे धीरे नवाबों के प्रशासनिक कार्यों में भी दखल देना शुरू कर दिया था.

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रेजीडेंसी में मौजूद चर्च के पास करीब दो हजार अंग्रेज अधिकारियों और उनके परिवार की कब्र हैं. यहीं पर सर हेनरी लॉरेंस मारा गया था.

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