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Gandhi Jayanti 2023: महात्मा गांधी का लखनऊ से रहा खास लगाव, बरगद के वृक्ष से लेकर चारबाग स्टेशन दे रहा गवाही

लखनऊ में उत्तर रेलवे का चारबाग स्टेशन ऐतिहासिक घटना का साक्षी रहा है. स्मारक के लिहाज से भी और इस मामले में भी कि गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू की पहली मुलाकात यहीं हुई थी. कांग्रेस की वार्षिक मीटिंग में शामिल होने के लिए 26 दिसंबर, 1916 को जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से लखनऊ ट्रेन से आए थे.

Gandhi Jayanti 2023: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154वीं जयंती पर पूरा देश उनको याद कर रहा है. उत्तर प्रदेश में एक दिन पहले से ही महात्मा गांधी को श्रद्धां​जलि देते हुए स्वच्छता सहित कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. महात्मा गांधी के विचार आज भी बेहद प्रा​संगिक हैं. इसलिए पूरी दुनिया उनके प्रति आदर भाव व्यक्त करती है. हाल ही में जी 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देकर ये जता भी चुके हैं. वहीं महात्मा गांधी की जयंती पर लखनऊ भी उन्हें याद कर रहा है. इस शहर में उनसे जुड़ी तमाम यादें हैं, जो आजादी के आंदोलन से जुड़ी हैं. महात्मा गांधी वर्ष 1916 से 1939 के बीच लखनऊ में वह कई बार आए . इस दौरान उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ न केवल रणनीति बनाई बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण का संदेश देकर सामाजिक सरोकारों से भी आम लोगों को जोड़ने का काम किया.

चारबाग स्टेशन पर पहली बार मिले थे गांधी और नेहरू, शिलापट्ट में है जिक्र

लखनऊ में उत्तर रेलवे का चारबाग स्टेशन ऐतिहासिक घटना का साक्षी रहा है. स्मारक के लिहाज से भी और इस मामले में भी कि गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू की पहली मुलाकात यहीं हुई थी. इंडियन नेशनल कांग्रेस की वार्षिक मीटिंग में शामिल होने के लिए 26 दिसंबर, 1916 को 27 वर्षीय जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से लखनऊ ट्रेन से आए थे. इसी बैठक में शामिल होने के लिए महात्मा गांधी आए हुए थे और चारबाग स्टेशन के पास ही दोनों की मुलाकात हुई. करीब 20 मिनट तक दोनों के बीच बातचीत हुई.

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इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम के बाबत बाचतीत हुई. पं. नेहरू ने इस बारे में अपनी आत्मकथा में भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि महात्मा गांधी जी साउथ अफ्रीका में हुई घटना को लेकर कैसे आगे आए. इसमें अहिंसा आंदोलन व चम्पारण जीत वगैरह का जिक्र किया है. नेहरू ने गांधी जी से देश के युवाओं और मजदूर वर्ग की ओर ध्यान देने की अपील की थी. नेहरू चाहते थे कि गांधी देश के मजदूरों को विदेशों में जाकर काम करने से रोकें.

दरअसल, उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत हिंदुस्तानियों को अफीक्रा, कैरिबियाई देशों, फिजी वगैरह में मजदूरी के लिए ले जाया करते थे, जिसका विरोध किया गया. इस बिल को नेहरू ने कांग्रेसियों के सामने रखा था, जिसका गांधी जी ने समर्थन भी किया था. इसके बाद जब चारबाग रेलवे स्टेशन का विस्तार हुआ और देश आजाद हुआ तो रेलवे ने इस यादगार लमहों को संजोने के लिए वहां गांधी उद्यान बना दिया, जहां हेरिटेज इंजन रखा हुआ है और एक शिलापट्ट भी लगा है, जिसमें इस मुलाकात का जिक्र है.

आटे को बेचकर चंदे से बनाया स्कूल

अहम बात है कि महात्मा गांधी ने लखनऊ में शिक्षा को लेकर भी सामाजिक आंदोलन चलाया. हुसैनगंज में चुटकी भंडार स्कूल की स्थापना 1921 में गांधी के आह्वान पर ही की गई थी. तिलक स्वराज फंड के लिए चंदा एकत्र करने का जिम्मा महिलाओं को सौंपा गया था. इस आह्वान पर महिलाओं ने खाना बनाते वक्त चंदे वाली हांडी में थोड़ा थोड़ा आटा रोज डालना शुरू कर दिया था. इस आटा को बेचकर 64 रुपए चार आना एकत्र किया गया था. इस रकम से आठ अगस्त 1921 को नागपंचमी के दिन चुटकी भंडार स्कूल की नींव रखी गई थी. वर्तमान समय में जब हम बालिका शिक्षा की बात करते हैं तो महात्मा गांधी जी का यह प्रयास बरबस लोगों के जहन में अपना अलग स्थान बनाता है. वहीं 28 सितंबर 1929 को महात्मा गांधी ने चिनहट में स्कूल के पास ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापना की.

महात्मा गांधी का रोपा बरगद का पौधा अब बन चुका विशालकाय वृक्ष

वर्ष 1916 से 1939 के बीच लखनऊ में अपने कई प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रणनीति बनाई बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण का महत्व भी शहरवासियों को बता गए थे. महात्मा गांधी ने यहां एक पौधा रोपा, जो आज विशालकाय बरगद का रूप ले चुका है. ये वृक्ष महात्मा गांधी की याद को भी ताजा कर देता है. महात्मा गांधी ने गोखले मार्ग पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं शीला कौल के आवास पर 1936 में बरगद के पौधे को लगाया था. मार्च 1936 में रोपे गए इस पेड़ के पास लगा शिलापट अब कोठी के अंदर हो गया है और इस कारण नई पीढ़ी इस पेड़ के महत्व से दूर है.

महात्मा गांधी और लखनऊ

  • 26 दिसंबर 1916 को चारबाग स्टेशन पर आयोजित सम्मेलन को महात्मा गांधी ने जवाहर लाल नेहरू के साथ संबोधित किया था.

  • 26 दिसंबर से 30 दिसंबर 1916 तक लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भाग लिया था.

  • महात्मा गांधी ने मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू और सैयद महमूद के साथ 17 अक्टूबर 1925 को त्रिलोकनाथ हाल, वर्तमान में नगर निगम का सदन में सार्वजनिक सभा में भाषण दिया.

  • वर्ष 1926 में राजधानी आए महात्मा गांधी ने जवाहर लाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय और सरोजनी नायडू के साथ बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनाई थी.

  • 31 दिसंबर 1931 को मुस्लिम लीग के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए महात्मा गांधी लखनऊ आए थे.

  • मार्च 1936 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लेने के लिए गांधी दूसरी बार फिर यहां आए थे.

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