Gonda News: उत्तर प्रदेश में गोंडा जनपद के तरबगंज इलाके में दलित युवक की हत्या के मामले की जांच छह साल में फर्जी तरीके से 14 बार बदलने के मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. अब सामने आया है कि जांच बदलने के इस पुलिस खेल में भाजपा सांसद के लेटर का भी दुरुपयोग किया गया. एक बार भाजपा सांसद के लेटर पैड पर फर्जी साइन कर जांच ट्रांसफर होने का खुलासा हुआ है. भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के लेटर पैड और उनके फर्जी दस्तखत का दुरुपयोग किया गया. अब इसकी जानकारी होने पर सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने प्रमुख सचिव गृह को चिट्ठी लिखी है. इसमें उन्होंने कहा है कि मुकदमा अपराध संख्या 238/2017 की विवेचना ट्रांसफर करने के संबंध में उनके फर्जी दस्तखत से पत्र भेजा गया. इसमें किसी व्यक्ति ने फोटो स्टेट कराकर उनके हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया. उन्होंने हकीकत में जांच स्थानांतरण करने का कोई पत्र नहीं दिया. ऐसे में इस मामले में कार्रवाई की जाए. भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के फर्जी दस्तखत और लेटर पैड के दुरुपयोग की अब हर तरफ चर्चा है. माना जा रहा है कि इस तरह के कई और खुलासे आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं. दरअसल गोंडा के तरबगंज इलाके में वर्ष 2017 में दलित युवक की हत्या के मामले की जांच छह साल में फर्जी तरीके से 14 बार बदल दी गई. मृतक की पत्नी का फर्जी अंगूठा लगाकर प्रत्यावेदन देकर जांच ट्रांसफर कराने का खेल चलता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी. इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में होने पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने डीजी सीबीसीआईडी को पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच करने को कहा है. कहा जा रहा है कि डीजी सीबीसीआईडी ने इसका आदेश जारी कर दिया है.
भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के मामले में शिकायत करने के बाद और अहम खुलासे होने की उम्मीद है. अहम बात है कि गोंडा पुलिस और सीबीसीआईडी के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने पर अदालत ने कुर्की का आदेश भी दिया, इसके बावजूद जांच बदलने का खेल जारी रहा. गोंडा के थाना तरबगंज पर वादिनी सुंदरपति ने अपने पति रमई की हत्या की एफआईआर 5 जून 2017 को दर्ज कराई थी. इसमें उसने राधेश्याम दुबे, विष्णुशंकर दुबे, कलूट, मोहर अली को नामजद कराया था. इस मामले की जांच सबसे पहले सीओ तरबगंज को सौंपी गई. विवेचना के दौरान ही एसपी गोण्डा के आदेश से जांच सीओ मनकापुर विजय आनंद को दे दी गई. कुछ दिन बाद विवेचना सीओ मनकापुर से सीओ तरबगंज ब्रह्म सिंह को मिल गई. बार-बार जांच बदलने की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग में होने पर आईजी जोन गोरखपुर के आदेश पर विवेचना बस्ती जिले के सीओ हरैया सतीश चंद्र शुक्ला को दी गई.
Also Read: UP Police: महोबा में पेशी पर जाते समय बंदी ने किया फेसबुक LIVE, दुश्मनों को दी धमकी, तीन पुलिसकर्मी निलंबितइसके बाद यह बस्ती के सीओ कलवारी अरविंद कुमार वर्मा को सौंप दी गई. इसके बाद आईजी गोरखपुर जोन ने जांच बहराइच जिले के सीओ नानपारा सुरेंद्र कुमार यादव और फिर सीओ बहराइच विजय प्रकाश सिंह से कराने का आदेश दिया. वहीं 27 अगस्त 2018 को एससी-एसटी आयोग ने जांच सीबीसीआईडी से कराने का आदेश जारी कर दिया. एससी-एसटी आयोग के आदेश के बाद डीजी सीबीसीआईडी ने डिप्टी एसपी प्रमोद कुमार को जांच आवंटित कर दी है. इसके बाद सीबीसीआईडी, गोरखपुर सेक्टर के डिप्टी एसपी आशापाल सिंह, एएसपी अखिलेश्वर पांडेय, एएसपी राजेश कुमार भारती, एएसपी डॉ. कृष्ण गोपाल को जांच की जिम्मेदारी देने का सिलसिला चलता रहा.
अपर पुलिस अधीक्षक डाॅ. कृष्ण गोपाल ने जांच में पुख्ता प्रमाण के आधार पर अदालत में चार्जशीट दाखिल करने की संस्तुति करते हुए अंतिम आख्या प्रस्तुत की. इसे आईजी, सीबीसीआईडी ने 31 मई 2022 को मंजूर करते हुए शासन को भेज दिया. इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई बार दबिश दी गई, लेकिन सफलता नहीं मिली. आरोपियों की गिरफ्तारी का जिम्मा नवागंतुक एएसपी रचना मिश्रा को दिया गया.
आरोपियों के खिलाफ अदालत से गैर जमानती वारंट और कुर्की का आदेश होने के बावजूद शासन में सुंदरपति के फर्जी दस्तखत कर जांच बदलने का प्रत्यावेदन दिया गया. इस पर जांच रचना मिश्रा से लेकर सीबीसीआईडी, लखनऊ सेक्टर के एएसपी लल्लन प्रसाद को आवंटित कर दी गई. इसके बाद डीजी सीबीसीआईडी ने 30 मार्च 2023 को यह जांच लल्लन प्रसाद से लेकर प्रयागराज सेक्टर के एएसपी समीर सौरभ के सुपुर्द कर दी गई. सुंदरपति का आरोप है कि राजनीतिक दबाव की वजह से जिला पुलिस और सीबीसीआईडी के अफसर आरोपियों को बचा रहे हैं. वहीं आरोपी कूटरचित दस्तावेजों पर उसके अंगूठे का निशान लगाकर लगातार जांच बदलवा रहे हैं.