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National Dengue Day: बच्चों को तेजी से शिकार बनाता है डेंगू, जानें यूपी में कितनी है मृत्यु दर, बचाव के उपाय

डेंगू के कारण हर साल अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. डेंगू एक जानलेवा बीमारी है, जिसके शुरुआती लक्षण की पहचान न होने पर स्थिति गंभीर हो सकती है. यूपी में डेंगू से होने वाली मृत्यु दर एक फीसदी से भी नीचे आ गई है.

Lucknow: डेंगू के मामले हर साल सुर्खियों में रहते हैं. इस बीमारी में लापरवाही बरतने के साथ खुद से इलाज कई बार जानलेवा साबित हो जाता है. दुनिया के 100 से अधिक देश इस बीमारी का दंश झेल चुके हैं. इन देशों में 40 प्रतिशत से अधिक आबादी डेंगू प्रभावित इलाकों में रहती है. वहीं भारत की बात करें तो यूपी सहित सभी राज्यों में इसका प्रभाव है. हर साल डेंगू की वजह से लोगों की मौत की खबरें सुर्खियों में रहती हैं. बच्चों में इसका ज्यादा असर देखने को मिलता है.

यूपी में डेंगू से मौतों के आंकड़े

यूपी में डेंगू के संक्रमण पर लगाम कसने के लिए लोगों के बीच जागरूकता पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया है. वेक्टरजनित रोग (वीबीडी) के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने बताया कि यूपी में डेंगू से होने वाली मृत्यु दर एक फीसदी से भी नीचे आ गई है. जहां वर्ष 2011 में ये 3.2 फीसदी थी, वहीं पांच साल बाद 2016 में मृत्यु दर घटकर 0.28 फीसदी और 2018 में 0.10 फीसदी आ गई. हालांकि वर्ष 2019 में इसमें कुछ इजाफा हुआ और यह 0.25 प्रतिशत तक आई. वर्ष 2022 में वापस घटकर यह 0.17 फीसदी पर आ गई.

इस दौरान डेंगू के सबसे ज्यादा आते हैं केस

डेंगू के केस मानसून और उसके बाद के महीनों में सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं. डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है. इसके वायरस की कोई विशेष दवा नहीं होने से लक्षणों के आधार पर इसका इलाज किया जाता है. सबसे पहले बीमारी की पुष्टि की जाती है. इसके लिए जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर फीवर डेस्क की स्थापना से लेकर इलाज के लिए डेंगू वार्ड बनाए गए हैं. जहां पर डेंगू पीड़ितों के लिए मच्छरदानी लगे बेड आरक्षित किए जाते हैं.

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डेंगू का एक मच्छर भी क्यों है घातक

वेक्टरजनित रोग (वीबीडी) के संयुक्त निदेशक डॉ. विकास सिंघल डेंगू एक मच्छर जनित रोग है. जो डेंगू वायरस से होता है. डेंगू मादा प्रजाति एडीज एजिप्टाई नामक मच्छर से फैलता है. इस मच्छर की यह विशेषता है कि एक बार डेंगू वायरस से संक्रमित होने के बाद जब यह अंडे देता है तो वह अंडे भी डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं. इन अंडों से बनने वाले मच्छर भी संक्रमित होते हैं, जो रोग फैला सकते हैं. इसके अंडे एक वर्ष तक जीवत रह सकते हैं. सूखा अंडा पानी पाते ही नए मच्छर तैयार कर देता है.

सही समय पर इलाज और सतर्कता जरूरी

डेंगू बुखार से ठीक हो चुकी हिंद नगर निवासी ईशा बताती हैं कि उन्हें पिछले साल अक्टूबर में दो तीन दिन तक तेज बुखार आया था. उन्होंने स्वयं कोई दवा नहीं ली. चिकित्सक की सलाह पर सबसे पहले जांच कराई. डेंगू की पुष्टि होने पर नियमित दवाएं लीं और खूब पानी और तरल पदार्थों जैसे नारियल पानी, फलों का रस का सेवन किया. पांच से छह दिन में मैं पूरी तरह से ठीक हो गई. मैं इस बात का पूरा ध्यान रखती हूं कि घर में कहीं भी चाहे वह ड्राइंग रूम में रखा मनी प्लांट का पौधा ही क्यों न हो, उसमें पानी इकट्ठा न रहने पाए, जिससे की मच्छर न पनपने पाएं.

जानकीपुरम निवासी वृद्धि मिश्र ने बताया कि डेंगू बुखार होने पर डर तो बहुत लगा था. लेकिन, नियमित तरल आहार और दवा लेने से एक हफ्ते के अंदर ही मैं स्वस्थ हो गई. अब तो हर रविवार घर के सारे कबाड़ बेच देती हूं और उस दिन घर की कायदे से सफाई करवाती हूं. मैं सभी से अपील करूंगी कि मच्छर से दूर रहिए तो यह बीमारी पास नहीं आएगी.

डेंगू से इस तरह करें बचाव

  • डेंगू बचाव के लिए सबसे पहले आसपास जलजमाव होने से रोकें.

  • सभी पानी की टंकियों को ठीक से बंद होने वाले ढक्कनों से ढकें, जिससे मच्छर न पनपने पाएं.

  • फूलदान, पौधों के बर्तन, फ्रिज की ट्रे, चिड़ियों के लिए या एकत्रित जल को हर सप्ताह बदलें.

  • पूरी बांह के कपड़े पहने, सोते समय मच्छरदानी, मच्छर रोधी क्रीम या क्वायल का प्रयोग करें.

  • घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगवाएं. घर और आस पास अनावश्यक पानी का ठहराव नहीं होने दें. टूटे बर्तन, टायर और शीशी को खुला नहीं छोड़ें. बुखार होने पर स्वयं कोई दवा नहीं लें.

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