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Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन-बनेगी टेंशन, लोकसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों ने ठोंकी ताल

पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत लखनऊ से विजय कुमार बंधु (Vijay Kumar Bandhu) के नेतृत्व में कर्मचारियों ने की थी. आज उनके इस आंदोलन का असर देश भर में देखने को मिल रहा है. छह राज्यों में पुरानी पेंशन लागू हो चुकी है.

लखनऊ: पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन केंद्र व बीजेपी शासित राज्यों की सरकार के लिये टेंशन बनता जा रहा है. कांग्रेस ने कर्मचारियों से जुड़ा मुद्दा होने के कारण इसे अपना लिया है. कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और हेमंत सोरेन ने झारखंड, आम आदमी पार्टी ने पंजाब में पुरानी पेंशन बहाल कर दी है. ये सभी प्रदेश गैर भाजपा शासित हैं. अब बीजेपी शासित राज्यों में भी पुरानी पेंशन बहाल करने को लेकर कर्मचारी एकजुट होते जा रहे हैं. इस लोकसभा चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली सबसे बड़ा मुद्दा बनकर रूप में सामने आ रहा है. 01 अक्टूबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली रैली इस आंदोलन को नई दिशा देगी.

रामलीला मैदान दिल्ली से हुंकार

पुरानी पेंशन बहाली के लिये 1 अक्टूबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में कर्मचारी हुंकार भरेंगे. इस रैली में लाखों कर्मचारियों के दिल्ली पहुंचने की उम्मीद की जा रही है. अटेवा/एनएमओपीएस (ATEWA/NMOPS) के अध्यक्ष विजय बंधु अपनी टीम के साथ शु्क्रवार सुबह दिल्ली पहुंच चुके हैं. उन्होंने बीते रविवार को भी दिल्ली जाकर रैली की तैयारियों का जायजा लिया था. वहीं संगठन इस रैली की सफलता के लिये तीन-चार महीने से सदस्यता सहयोग महाअभियान चला रहा है. इसके साथ ही सांसदों के घर घंटी बजाओ अभियान, ट्वीटर ट्रेंडिंग का भी सहारा लिया जा रहा था.

कर्मचारियों ने छेड़ी आर-पार की लड़ाई

अटेवा (ATEWA) के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने बताया कि न्यू पेंशन स्कीम (NPS) निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा निकालने से पूरे देश के शिक्षक व कर्मचारी उत्साहित हैं. इस यात्रा में कई राज्यों में लगभग 18 हजार किलोमीटर दौरा किया गया. जहां-जहां यह यात्रा गयी, कर्मचारियों का आपार समर्थन मिला. विजय बंधु ने कहा कि कई राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल होने से लोगों का अटेवा पर विश्वास बढ़ा है.

एनएमओपीएस के प्रवक्ता डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली के आंदोलन की शुरुआत 30 जुलाई को लखनऊ में महिला पेंशन अधिकार सम्मेलन से की थी. इसके बाद 01 अगस्त से 09 अगस्त को सांसदों के आवास पर घंटी बजाकर पुरानी पेंशन बहाली की मांग की गयी.

यूपी में नहीं हो रही सुनवाई

अटेवा-एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु ने बताया कि अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अप्रैल 2005 के पहले विज्ञापित एवं चयनित शिक्षकों-कर्मचारियों को पुरानी पेंशन केंद्र की तर्ज पर बहाल करने की मांग की थी. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

विजय कुमार “बंधु” ने बताया कि 31 दिसंबर 2003 तक तकनीकी प्रक्रिया होने के बाद जो शिक्षक/कर्मचारी किसी प्रशासनिक वजह से 1 जनवरी 2004 तक ज्वाइन नहीं कर पाए थे, उन्हें सीसीएस पेंशन योजना 1972 के अंतर्गत केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को 17 फरवरी 2020 के आदेश के तहत पुरानी पेंशन से आच्छादित कर दिया. यहां तक कि 31 दिसंबर 2003 के पूर्व विज्ञापित पदों पर चयनित शिक्षकों/कर्मचारियों को भी लाभ देने का निर्णय लिया है.

केंद्र का आदेश यूपी में बेअसर

इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी 1 अप्रैल 2005 के पहले चयनित एवं विज्ञापित पदों पर सभी विभागों में कार्यरत शिक्षक/कर्मचारी बहुत बड़ी संख्या में हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार केंद्र के आदेशों का अनुपालन क्यों नहीं कर रही है. जबकि उत्तर प्रदेश सरकार हमेशा कहती है कि जैसा केंद्र सरकार करेगी वैसा हम भी करेंगे, तो इस तरह की दोहरी नीति क्यों अपनाई जा रही है.

उत्तराखंड और हरियाणा भी पुरानी पेंशन के हक में

विजय बंधु ने बताया कि इस संदर्भ में अटेवा कई बार मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री एवं मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिख चुका है. परंतु इस संदर्भ में केंद्र के निर्णय के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार हजारों शिक्षकों/कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. जबकि भाजपा शासित उत्तराखंड, हरियाणा सरकार अपने यहां इस संदर्भ में पूर्व के चयनित एवं विज्ञापित पद पर केंद्र के आदेशों के अनुरूप अपने शिक्षकों/कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

अटेवा के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार के आदेश के समानांतर उत्तर प्रदेश सरकार पुरानी पेंशन लागू करे. इस संदर्भ में कई विधायकों, सांसदों एवं मंत्रियों से पत्र लिखवा कर उत्तर प्रदेश शासन को भेजे गए हैं. परंतु दुर्भाग्य है कि इस प्रकरण पर अभी तक कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है.

यूपी से शुरू हुआ था आंदोलन

पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत लखनऊ से विजय कुमार बंधु (Vijay Kumar Bandhu) के नेतृत्व में कर्मचारियों ने की थी. आज उनके इस आंदोलन का असर देश भर में देखने को मिल रहा है. छह राज्यों में पुरानी पेंशन लागू हो चुकी है. लेकिन जिस राज्य से पुरानी पेंशन का आंदोलन शुरू हुआ था, वहां अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है.

रथ यात्रा को मिला कर्मचारियों का समर्थन

पुरानी पेंशन बहाली के लिये नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन (NMOPS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटेवा (ATEWA) के प्रदेश अध्यक्ष विजय बंधु के नेतृत्व में रथ यात्रा का आयोजन किया गया था. इसे नाम दिया गया था एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा. यह यात्रा 1 जून को चंपारण बिहार से शुरू हुई थी. यह यात्रा बिहार से होते हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से होते हुए मध्यप्रदेश और इसके बाद महाराष्ट्र तक गयी थी.

NMOPS के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु का कहना है कि NPS निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा ने 18000 किमी की लंबी यात्रा कर कर्मचारी शिक्षक समुदाय में पुरानी पेंशन बहाली के लिये भरोसा पैदा किया है. इसलिए अब पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई अपने निर्णायक मोड़ पर हैं. 1 अक्टूबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय करेगी.

पांच करोड़ है कर्मचारियों की संख्या

विजय बंधु का कहना है कि पूरे देश में कर्मचारी 1 करोड की संख्या में है. यदि एक परिवार के 5 वोट भी जोड़ लें तो संख्या पहुंचकर 5 करोड़ होती है. यदि ये सरकार पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल नहीं करती तो वोट की चोट से इस सरकार को हटाकर नई सरकार दिल्ली में बनवाएंगे. जिस तरह से हिमाचल प्रदेश एवं कर्नाटक में किया गया, वैसे ही पूरे देश में करेंगे. उन्होंने कहा कि जब तक पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल नहीं होगी एवं निजीकरण समाप्त नहीं होगा, तब तक चुप नहीं बैठेंगे.

सोशल मीडिया को बनाया है हथियार

ऑल टीचर्स इम्प्लाइज एसोसिएशन (अटेवा) और नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) ने सोशल मीडिया पर कई बार हैश टैग वोट फॉर ओपीएस को टॉप ट्रेंड कराया है. एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार ‘बंधु’ के आह्वान पर 16 जनवरी को दोपहर 2 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक कर्मचारियों, शिक्षकों, अधिकारियों की पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए ट्विटर पर #voteforOPS अभियान चलाया गया था.

देश में लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान चल रही है. गैर बीजेपी राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली बड़ा मुद्दा बना है. जबकि केंद्र सरकार नई पेंशन स्कीम को लेकर कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं है. यहां तक कि केंद्र से जुड़े नेता पुरानी पेंशन योजना लागू करने वाले राज्यों के खिलाफ हैं.

नई पेंशन स्कीम कब से लागू है?

देश में नई पेंशन स्कीम (NPS) 1 जनवरी 2004 से लागू है. पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने पर सरकार भुगतान करती है. इसमें अंतिम वेतन का लगभग आधा पेंशन के रूप में कर्मचारी को दिया जाता है. जबकि नई पेंशन शेयर बाजार पर आधारित है और इसमें भुगतान की कोई गारंटी नहीं है. जो भी भुगतान होता है वह बाजार की चाल के आधार पर होता है.

क्या है नई पेंशन स्कीम

नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से 10 फीसदी की कटौती की जाती है. इसमें जीपीएफ की सुविधा नहीं है. एनपीएस में शेयर बाजार अच्छा रहता है तो सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को बेहतर पैसा मिल सकता है. यदि बाजार डाउन है तो यह भुगतान भी कम हो सकता है.

जबकि पुरानी पेंशन स्कीम में जीपीएफ की सुविधा है. कर्मचारी को 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है. यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो परिवारीजनों को फैमिली पेंशन के रूप में हर माह एक निश्चित रकम मिलती रहती है. पुरानी पेंशन में हर छह माह पर डीए का प्रावधान है. नया वेतन आयोग लागू करने पर पेंशन भी बढ़ जाती है.

केंद्र सरकार का कहना है कि पुरानी पेंशन स्कीम से सरकार की आर्थिक स्थिति बिगड़ती है और सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता है. रिजर्व बैंक भी ओपीएस को सरकार पर बोझ बताता है. लेकिन पुरानी पेंशन अब बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है. यह लोकसभा चुनाव 2024 में सत्ता हासिल के लिये बड़ा मुद्दा बनेगा.

ये भी समझें

अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार “बंधु” ने बताया कि 31 दिसंबर 2003 तक तकनीकी प्रक्रिया होने के बाद जो शिक्षक/कर्मचारी किसी प्रशासनिक वजह से 1 जनवरी 2004 तक ज्वाइन नहीं कर पाए थे, उन्हें सी.सी.एस. पेंशन योजना 1972 के अंतर्गत केंद्रीय कर्मचारियों को 17 फरवरी 2020 के आदेश के तहत पुरानी पेंशन से आच्छादित कर दिया है. यहां तक कि 31 दिसंबर 2003 के पूर्व विज्ञापित पदों पर चयनित शिक्षकों/कर्मचारियों को भी लाभ देने का निर्णय लिया है.

इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी 1 अप्रैल 2005 के पहले चयनित एवं विज्ञापित पदों पर सभी विभागों में कार्यरत शिक्षक/कर्मचारी बहुत बड़ी संख्या में हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार केंद्र के आदेशों का अनुपालन नहीं कर रही है. भाजपा शासित उत्तराखंड, हरियाणा सरकार अपने यहां इस सन्दर्भ मे पूर्व के चयनित एवं विज्ञापित पद पर केंद्र के आदेशों के अनुरूप अपने शिक्षकों/कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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