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Radha Ashtami 2023: ” बधाई है बरसाने कुंवर किशोरी ने जनम लियौ “, 21 को जन्मेंगी राधाजी की प्रधानसखी, आएगी बधाई

राधाष्टमी पर बधाई गायन मंगलवार से ही शुरू हो गया था. 20 सितंबर की रात ढाई बजे से बड़ा मंगल शुरू जो सुबह छह बजे तक चला. विश्व में प्रसिद्ध लाडली के मंदिर " श्रीजी मंदिर " के राधाष्टमी महोत्सव के लिए मंदिर को अलौकिक रुप से सजाया गया है.बूढी लीला महोत्सव में ब्रज की प्राचीन लीलाओं का आयोजन होगा.

Mathura News : राधाष्टमी से पूर्व 21 सितंबर को ललिताजु की जन्मलीला बरसाना व उंचागांव में होंगी. 22 को राधाजन्म की बधाई नंदगांव से आएगी. 23 को राधाष्टमी आयोजित होगी. वहीं 24 से बूढी लीला आयोजन आरंभ हो जाएंगे. राधाष्टमी पर 21 सितंबर (गुरुवार)को राधारानी की प्रिय सखी ललिताजु का उंचागांव में मध्याह्न 12 बजे जन्मोत्सव होगा. इसके आयोजन अष्टसखी मंदिर व श्रीजी मंदिर में भी होंगे. शाम को नंदगांव से नंद बाबा की ओर से नंदगांववासी महाराज वृषभानजु को राधाजन्म की बधाई देने आएंगे. शयन दर्शनों के बाद रात को मंदिर में बंशी चोरी लीला आयोजित होगी. 23 सितंबर को रात ढाई बजे से मान सवासिन, नाईन, दाई के पदों का आयोजन होगा. उसके बाद भोर में साढे चार बजे बजे राधाजी का जन्मोत्सव वैदिक रीति के अनुसार मनाया जाएगा.

श्रीजी के स्वर्ण पालने में हाेंगे दर्शन

सुबह 10 बजे से बृषभानोत्सव व श्रीजी के स्वर्ण पालने में दर्शन होंगे. इस दौरान बरसाना व नंदगांव वाले बधाई और ढाढिन के पद गाएंगे.शाम को पांच बजे मंदिर से राधा का डोला निकाला जाएगा. 24 सितंबर से यहां के वन व आसपास के गांवों में बूढ़ी लीलाओं के उत्सव आरंभ हो जाएंगे. इसमें 24 सितंबर मोरकुटी पर मयूर लीला, शाम को गहवर वन में रासलीला होगी. 25 सितंबर को विलासगढ़ पर रासविलास लीला, झूला लीला, शंकर लीला होगी. 26 सितंबर प्रात: बरसाने की कुंजों में माखन चोरी लीला, दोपहर में सांकरी गली में चोटी बंधन लीला, शाम को गाजीपुर के प्रेम सरोवर में डोंगा लीला, 27 सितंबर को उंचागांव में ललिताजु का श्रीकृष्ण के साथ विवाह उत्सव, शाम को प्रियाकुंड में डोंगा लीला होगी.

28 सितंबर की सुबह राधारानी का छटी उत्सव

28 सितंबर की सुबह राधारानी का छटी उत्सव आयोजित होगा. इसमें सुदामा चौक वृषभानजु मंदिर में छटी पूजन एवं बधाई गायन होगा. 10 बजे सांकरी खोर में दानलीला होगी. वहीं दोपहर में कुश्ती दंगल होगा. 29 सितंबर को नागाजी की साधना स्थली कदम खंडी में केश सुरझाने की लीला होगी. 30 सितंबर को करहला में महारास लीला होगी. राधाष्टमी का मुख्य आयोजन श्रीजी मंदिर में होगा. इसके अलावा वृषभानजु मंदिर, जयपुर मंदिर, दानगढ़, मानगढ़, विलासगढ, गोपालजी मंदिर, श्यामाश्याम मंदिर में भी आयोजन होंगे. इसके लिए भक्तों ने एक माह पहले ही होटल, धर्मशाला, आश्रमों में बुकिंग करा ली है. यहां श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है.

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फूलबंगला  और छप्पन भोग कार्यक्रम शुरू

बरसाने स्थित राधाजी के मंदिर की छटा देखते ही बन रही है. लाडली राधरानी के जन्मोत्सव से कई दिन पहले से कार्यक्रम आयोजित किए जारहे हैं. मंगलवार से मंदिर में मंगल व बधाई गायन आरंभ हो गए हैं, जो भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.ब्रह्मगिरी पर्वत पर स्थित श्रीजी मंदिर पर राधाष्टमी महोत्सव के लिए बिजली की सजावट की गईं है. मंदिर में फूलबंगला व छप्पन भोग कार्यक्रम शुरू हो गए हैं. सुबह चार बजे से गोस्वामी समाज द्वारा मंगल गायन हो रहे हैं. आज बधाई है बरसाने, कुंवर किशोरी ने जनम लियौ, सब लोक बजे सहदाने व श्री वृषभान के आज बधाई, आनंद निधि, शोभा निधि सुख निधि कीरत कन्या जाई. प्रभुल्लित नर नारी बरसानै घर घर घर बजत बधाई. आदि पदों को सुनकर भक्त आनंदित हो रहे हैं. इनकी धुनों पर हर कोई थिरकने को मजबूर है.

हर दिन शाम को मंदिर प्रांगण में बधाई गायन हो रहे

हर दिन शाम को मंदिर प्रांगण में बधाई गायन हो रहे हैं. 20 सितंबर की रात ढाई बजे से बड़ा मंगल हो गया, यह जो सुबह छह बजे तक चला. बधाई गायन में मुखिया रामभरोसे गोस्वामी, सुमित श्रोत्रिय, सौरभ गोस्वामी, उमाशंकर गोस्वामी, तुलसी गोस्वामी, भोला गोस्वामी, सुशील गोस्वामी, मंत्री गोस्वामी, गोविंदा गोस्वामी, दानबिहारी गोस्वामी, बल्लू गोस्वामी, विष्णु गोस्वामी, मदन लाल गोस्वामी भगवानदास गोस्वामी, रमेश गोस्वामी, अनुराग श्रोत्रिय,रमेश गोस्वाम आदि ने भाग लिया.

लिलहारी लीला देखकर भक्त हुए आनंदित

बरसाना में चहुं ओर राधाष्टमी के बधाई गायन की धूम मची थी वहीं एक मैरिज होम में शंकर मिश्र के मंडली की रासलीलाएं भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी रहीं. बीती रात लिलहारी लीला का मंचन देख भक्त भाव विभोर हो गए थे. लीला में बन गए नंदलाल लिलहारी लीला गुदवा लेओ प्यारी की आवाज लगाते कन्हैया बरसाने की गलियों में घूमते है. तभी लिलहारिन श्यामा सखी की आवाज राधारानी को सुनती है. तो वे तुंरत ललिताजी से लिलहारिन को बुलावाती है. सखियां लिलहारिन को लेकर श्रीजी के पास पहुंचती हैं. तब राधाजी उनसे पूछती हैं कि तुम्हारा नाम क्या है कहां से आई हो.

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…नंदगांव में कोई ऐसी अच्छी लितहारिन नहीं

इस पर लिलहारिन कहती है उसका गांव नंदगांव है व शामरी लिलहारिन नाम है. राधाजी कहती हैं नंदगांव में कोई ऐसी अच्छी लितहारिन नहीं है जो अच्छी लीला गोद सके. लिलहारिन बने नंदलाल कहते हैं कि हे श्यामाजू आप लीला गुदवाकर तो देखों तब पता चलेगा कि मै कितनी अच्छी लिलहारिन हूं. लीला गोदते हुए लिलहारिन को सखियां पहचान जाती है वह कहती हैं हे श्यामा जु यह कोई सखी नहीं यह तो नंद कौ लाला है. तब राधाजी कान्हा से पूछती हैं कि यह भेष क्यों बनाया तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि आपसे मिलने के लिए यह भेष बनाया. तब श्यामजी उनको गले लगा लेती हैं. भक्त लाडली लाल की जयजय कार कर उठे.

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