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राहुल गांधी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, कोर्ट से जारी नोटिस में एक नवंबर को सुनवाई, जानें क्या है मामला

प्रकरण के मुताबिक कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के विरुद्ध दाखिल आपराधिक परिवाद को खारिज किए जाने के निचली अदालत के आदेश के विरुद्ध जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार त्रिपाठी के समक्ष आपराधिक निगरानी दायर की गई है.

Lucknow News: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं. राजधानी लखनऊ में उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे से संबंधित याचिका को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने स्वीकार कर लिय है. इसके साथ ही अदालत से केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद राहुल गांधी को नोटिस भेजा गया है. वहीं इस प्रकरण को एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश के न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है. अब कोर्ट में होनी वाली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.

याचिका एमपी एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित

प्रकरण के मुताबिक कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के विरुद्ध दाखिल आपराधिक परिवाद को खारिज किए जाने के निचली अदालत के आदेश के विरुद्ध जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार त्रिपाठी के समक्ष आपराधिक निगरानी दायर की गई है. इस निगरानी याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने सांसद राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी लोगों को नोटिस जारी करते हुए याचिका को एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश के न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया. इसके साथ ही प्रकरण में एक नवंबर को सुनवाई होगी.

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दरअसल परिवादी नृपेंद्र पाण्डेय ने राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय के समक्ष एक परिवाद दाखिल किया था. इसमें कहा गया कि विपक्षी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महानायक क्रांतिवीर विनायक दामोदर सावरकर पर अभद्र टिप्पणी करते हुए उन्हें अंग्रेजों से पेंशन लेने वाला तथा अंग्रेजों का नौकर सहित मददगार बताया था.

आरोप लगाया कि विपक्षी ने सोची समझी रणनीति और षड्यंत्र के तहत सावरकर को अपमानित करने के उद्देश्य से 17 नवंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में प्रेसवार्ता की. इस दौरान उन्होंने सार्वजनिक मंच से सावरकर के विरुद्ध दोषारोपण कर समाज में वैमनस्यता फैलाने के मकसद से आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसे निचली अदालत ने 14 जून 2023 को गुण-दोष के आधार पर खारिज कर दिया था. अब मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.

कांग्रेस सरकार बनने पर कराएंगे जातिगत जनगणना

राहुल गांधी ने इन दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के प्रचार में जुटे हैं. उन्होंने अपने ताजा बयान में कहा कि अगर कोई चोट लगती है तो सबसे पहले एक्सरे या एमआरआई होता है. इससे ही समस्या पता चलती है. हमारे देश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), आदिवासी और दलित कितने हैं, इसका सवाल किसी के पास नहीं है. हमें हिंदुस्तान का एक्सरे करना है. यह पता लगाना है कि देश के बजट पर ओबीसी का कितना कंट्रोल है? उनकी आबादी कितनी है? हिंदुस्तान के सामने सिर्फ एक मुद्दा है- जातिगत जनगणना. राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो पहला काम यही होगा. हम देश को बताएंगे कि हमारे यहां कितने ओबीसी हैं.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछते हुए कहा कि आप खुद को ओबीसी नेता कहते हैं. आप ओबीसी के लिए काम करते हैं. तब आपने महिला आरक्षण में ओबीसी आरक्षण क्यों नहीं किया? इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है. उन्होंने कहा कि आंकड़ों ने मुझे हैरान कर दिया. नरेंद्र मोदी कहते हैं कि बीजेपी में ओबीसी के विधायक और सांसद है. कांग्रेस की चार सरकारें हैं और इनमें से तीन मुख्यमंत्री ओबीसी है.

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि आप संसद या विधानसभा में जाकर भाजपा के सांसद-विधायक से पूछ लीजिए कि कानून बनाते समय क्या आपसे पूछा जाता है? कानून भाजपा के एमएलए-एमपी नहीं, आरएसएस वाले और अफसर बनाते हैं. हिंदुस्तान को 90 अफसर चलाते हैं. यह लोग कानून बनाते हैं. कितना पैसा कहां जाना है, यह तय करते हैं. बीजेपी की दस साल से सरकार है. दो-तीन साल पहले इन 90 में से शून्य अफसर ओबीसी के थे. आज तीन अफसर हैं. 43 लाख करोड़ रुपये के बजट में इन अफसरों का कंट्रोल सिर्फ पांच प्रतिशत है. वाकई में मोदी ओबीसी के लिए काम करते हैं तो 90 अफसरों में उनकी संख्या तीन क्यों है?

राहुल गांधी ने कहा कि हमने सवाल पूछा कि ओबीसी की आबादी कितनी है, तो इसका जवाब किसी के पास नहीं है. जातिगत जनगणना नहीं हुई है. हमारी सरकार ने जातिगत जनगणना कराई थी. लेकिन, उसके आंकड़े नरेंद्र मोदी के पास हैं. नरेंद्र मोदी बताना नहीं चाहते कि ओबीसी कितने हैं? वह आपको सच्ची शक्ति नहीं देना चाहते हैं. वह आपके लोगों को विधानसभा में बिठाते हैं लेकिन चुप करा देते हैं. उनसे सवाल पूछो तो वह इधर-उधर की बात करते हैं. भाग जाते हैं. अमित शाह भी कुछ नहीं बताते. हिंदू-मुस्लिम को भड़काने की बात करने लग जाते हैं. यह हिंदुस्तान सबका है. दो-तीन उद्योगपतियों का नहीं है. हमारी सरकार बनी तो पहला काम जातिगत जनगणना होगा. हमारी सरकार आएगी तो हम देश को बता देंगे कि कितने ओबीसी है.

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