पूर्व विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के निधन के बाद पूर्वांचल के राजभर बाहुल्य इलाकों के राजभर समुदाय के वोटों के लिये अब सभी दलों के द्वारा भारी खींचातानी होने की संभावना को बल मिल रहा है. अधिवक्ता से नेता बने सुखदेव राजभर की राजभर समुदाय में गहरी पैठ थी और यही कारण था कि बसपा के संस्थापक मान्यवर कांशीराम ने शुरू से ही उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां दी थीं. सुखदेव के कारण बसपा हर बार चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से आगे निकल कर राजभर वोटों का ध्रुवीकरण पूर्वांचल की अधिकांश सीटों में अपने पक्ष में करने में सफल हो जाती थी
क्या होगा अब राजभर वोटों का समीकरण – उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय के वोटों का प्रतिशत लगभग 3 प्रतिशत है, लेकिन पूर्वांचल में यह औसत लगभग 18-20 प्रतिशत हो जाता है. पूर्वांचल की कुछ सीटों में 25- 35 प्रतिशत राजभर वोट हैं.पूर्वांचल की लगभग 125 विधान सीटों एवं एक दर्जन से अधिक लोक सभा सीटों में राजभर वोटों की निर्णायक संख्या है.
इन जनपदों में है राजभर वोटों का बाहुल्य – पूर्वांचल के मऊ गाज़ीपुर , बलिया, देवरिया एवं जौनपुर समेत वाराणसी चंदौली जनपदों के अतिरिक्त महाराजगंज, श्रावस्ती, अम्बेडकरनगर एवं बहराइच जैसे जनपदों में राजभर समुदाय के वोटों की अच्छी खासी संख्या है.
अब तक के सबसे राजभर नेता रहे सुखदेव – आजमगढ़ जनपद के बड़गहन गाँव के निवासी सुखदेव कानून की पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद ही सुखदेव बामसेफ का हिस्सा बन गये थे. दीवानी न्यायालय के अच्छे वकीलों में जल्द शुमार हो जाने के बाद वे बसपा के संस्थापक सदस्य भी बने. राजभर समाज के अतिरिक्त दलित एवं अन्य पिछड़े वर्ग में उनकी पैठ का फायदा बसपा को पहले दिन से मिला और 1991 में राम लहर के बावजूद वे आजमगढ़ की लालगंज सीट से विधायक चुने गये.
पुत्र ने हाल ही थामा है सपा का दामन– चार बार से विधायक रहे सुखदेव राजभर भले ही बसपा के सिपहसालार थे लेकिन हाल ही में अगस्त महीने इनके पुत्र कमलाकांत राजभर उर्फ़ पप्पू ने सपा की सदस्यता ग्रहण करते हुए अपने पिता की चिर परिचित निर्वाचन क्षेत्र आजमगढ़ जनपद की दीदारगंज विधानसभा से दावेदारी की है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हाल ही में सुखदेव राजभर से मिलने उनके गाँव भी गये थे. सपा ने बड़े ही सही समय पर सुखदेव के पुत्र को अपने पाले में लाकर पूर्वांचल के राजभर समुदाय को सन्देश देने की कोशिश की है.
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रिपोर्ट: उत्पल पाठक