Raksha Bandhan 2023: उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में रक्षाबंधन के पर्व पर बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा. इस मौके पर अयोध्या में भगवान रामलला और वृंदावन में बांके बिहारी की कलाई में भी राखी बांधी गई.
रामलला के लिए हिमाचल प्रदेश से उनकी बड़ी बहन शांता राखी भेजती हैं. इसके अलावा जगन्नाथ पुरी से सुभद्रा की राखी भी पहनाई जाने की परंपरा है. वहीं भगवान बांके बिहारी को उनकी तीन बहनें एकानंगा, सुभद्रा और सती की तरफ से रक्षासूत्र बांधा जाता है. इसके साथ ही काशी में बाबा विश्वनाथ के दरबार में राखियां अर्पित की गईं. पूरे देश से उत्तर प्रदेश के अयोध्या, मथुरा और काशी में भगवान के लिए हजारों बहनों ने राखियां भेजी गई हैं.
अयोध्या में रामलला ने बहन सुभद्रा की राखी बांधी. भद्रा का योग समाप्त होते ही मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने रामलला को राखी बांधी. सुभद्रा द्वारा भेजी गई यह राखी मुख्य अर्चक सत्येंद्रदास को पहले ही मिल गई थी. उन्हें रामलला की राखी सौंपने पुरी स्थित सुप्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के प्रधान पुजारी जनार्दन पट्टा जोशी पहुंचे थे.
जगन्नाथ मंदिर में श्रीकृष्ण के उत्तरवर्ती माने जाने वाले भगवान जगन्नाथ सहित श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा और बलराम का विग्रह स्थापित है. श्रीराम और कृष्ण में अभिन्नता की भावना के अनुरूप जगन्नाथ मंदिर के पुजारी बहन सुभद्रा की ओर से राखी लेकर अयोध्या आए थे.
रामलला के मुख्य अर्चक सत्येंद्रदास ने बताया कि यह भाव विरासत का मनोहारी परिचायक होने के साथ इस संदेश का संवाहक है कि भाई बहन की रक्षा करने के साथ सभी संबंधों में रक्षण-संरक्षण का बोध हो.
आचार्य सत्येंद्रदास ने बताया कि भगवान राम की बड़ी बहन शांता हैं. उनका विवाह श्रृंगी ऋषि के साथ हुआ था. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में श्रृंगी ऋषि और शांता का मंदिर है. यहां से भगवान राम के लिए हर वर्ष राखी भेजी जाती है. पुजारी रामलला की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं. भगवान राम की बहन शांता के देश में दो मंदिर हैं.
इसके लिए उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर के प्रमुख पुजारी जनार्दन पट्टाजोशी महापात्रा विशेष रूप से अयोध्या पहुंचे. उन्होंने रामलला का दर्शन कर जगन्नाथ मंदिर से लाई गई राखी और ध्वज को रामलला मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास को भेंट किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कलयुग के भगवान श्रीजगन्नाथ हैं. श्रीराम जी व जगन्नाथ जी में कोई अंतर नहीं है.
उन्होंने कहा कि राखी भाई-बहन की प्रेम की परंपरा है. जगन्नाथ जी व श्रीराम जी से जुड़ी परंपरा सदियों तक कायम रहेगी. इससे पूर्व जगन्नाथ जी से फागुन का रंग भी होली उत्सव के लिए भेजा गया था. उन्होंने कहा कि जगन्नाथ जी के आदेश पर रामलला का दर्शन करने आया. रामलला की आरती में शामिल होकर मन आनंदित है.
वहीं मथुरा में बांके बिहारी का दरबार देश-विदेश से डाक से आने वाली राखियों से भरा है. इन्हें रक्षाबंधन पर बांके बिहारी के चरणों में रखा गया. वहीं भगवान कृष्ण के हाथों में उनकी तीन बहनों की राखी बांधी गई. मां यशोदा की पुत्री एकानंगा, वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी की पुत्री सुभद्रा और सती जिसे कंस ने पटक दिया था और वह उसके हाथों से छिटक कर विंध्याचल धाम में स्थापित हो गईं, उनकी राखियां बांके बिहारी को बांधी गई.
बांके बिहारी मंदिर प्रबंध समिति के अनुसार रक्षाबंधन पर चुनिंदा राखियां ही बिहारी जी की कलाई पर सजती हैं. बांके बिहारी मंदिर के पुजारी अभिषेक गोस्वामी के अनुसार यहां से कुछ राखियां अयोध्या भी भेजी गई हैं.
बांके बिहारी के दरबार में राखी भेजने की परंपरा सालों से चली आ रही है. किसी पत्र में बहन भगवान बांके बिहारी जी से कहती हैं कि शुभ मुहूर्त में राखी बांध लेना तो किसी पत्र में वह कहती हैं इस बार नहीं आ सकी माफ करना. मान्यता है कि जिन बहनों के कोई भाई नहीं होता है, वो ठाकुर जी को भाई मानकर अपनी राखी पोस्ट कर देती है और पूरे साल अपनी सुरक्षा, सुख और सौभाग्य को लेकर उनसे वचन लेती हैं. हर साल की तरह इस साल भी बांके बिहारी मंदिर में बड़ी संख्या में राखी कोरियर और डाक के जरिये पहुंची.
बहनों के द्वारा भेजी गई राखी के लिफाफे में उनके द्वारा लिखे गये पत्र और मनोकामनाओं के साथ रोली चावल और गिफ्ट भी पहुंच रहा है. कुछ बहनों के खत में तमाम तरह की कामनाओं के पूरा होने का जिक्र होता है तो वहीं कुछ का शिकायत भरा पत्र होता है, जिसमें उनकी कृपा बरसने में देरी होने या फिर मनोकामनाएं न पूरा होने का जिक्र होता है.
इसके साथ ही वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दरबार में भी श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में रक्षासूत्र अर्पित किया. इन राखियों को पूजा के बाद बाबा के चरणों में अर्पित किया गया.