अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से जारी है. जनवरी 2024 में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर तेजी से काम किया जा रहा है.इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण की नई तस्वीरें जारी की हैं.
राम मंदिर के गर्भगृह का कार्य अंतिम दौर में है. भूतल में संगमरमर का फर्श भी बनकर तैयार है. प्रथम तल में पिलर का कार्य लगभग 50 प्रतिशत पूरा हो गया है. नवंबर तक भूतल पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा.
दिसंबर तक प्रथम तल भी पूरा करने की तैयारी है. जनवरी में रामलला गर्भगृह में विराजमान होंगे. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रण भेजा जा चुका है. पीएमओ से तारीख फाइनल होने के बाद आधिकारिक तौर पर ऐलान किया जाएगा.
राम मंदिर तीव्र गति से आकार ले रहा है. लगभग हर सप्ताह निर्माण कार्य की जानकारी देने के लिए तस्वीरें जारी की जाती हैं और समय-समय राम मंदिर निर्माण समिति की बैठकें होती रहती हैं, जिसमें निर्माण कार्यों को लेकर समीक्षा की जाती है.
ये निर्माणधीन श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के आंतरिक भाग में गणेशजी की उत्कीर्ण प्रतिमा है. वहीं कहा जा रहा है कि अगले 100 दिन में राममंदिर उद्घाटन के लिए तैयार हो जाएगा. श्रीराम मंदिर निर्माण समिति ने मंदिर व मंदिर से जुड़े कार्यों की समय सीमा निर्धारित कर दी है. मंदिर निर्माण में मजदूरों की संख्या भी बढ़ा दी गई है.
श्री रामजन्मभूमि पर खुदाई में कई प्राचीन मंदिर के अवशेष भी मिले हैं. इसमें अनेकों मूर्तियां और स्तंभ शामिल हैं. वहीं करीब तीन हजार मजदूर दिन-रात राम मंदिर को आकार देने में जुटे हैं. 10 जनवरी तक सभी कार्यों को पूरा करने की योजना है.
इस बीच यात्री सुविधाएं विकसित करने को लेकर भी तेजी से काम किया जा रहा है.मंदिर के साथ यात्री सुविधा केंद्र, पार्किंग, श्रीराम जन्मभूमि पथ, ओवरब्रिज आदि सुविधाओं को भी इन 100 दिनों में पूरा करने की तैयारी है. इसके लिए हर 15 दिन पर बैठकें होंगी.
इस बीच राम वनगमन मार्ग के 290 स्थानों पर अशोक सिंहल फाउंडेशन की ओर से श्रीराम स्तंभ लगाने की तैयारी है. श्रीराम स्तंभ हाईटेक होगा, इस पर अंकित क्यूआर कोड को स्कैन करते ही राम वनगमन पथ की पूरी गाथा दिख जाएगी.
पहला श्रीराम स्तंभ अयोध्या के पौराणिक मणिपर्वत पर लगाया जाएगा, यह स्तंभ 30 सितंबर तक अयोध्या पहुंच रहा है.राजस्थान में श्रीराम स्तंभ को तैयार किया जा रहा है.
राजस्थान में मिलने वाले बलुआ पत्थर से स्तंभ बन रहे हैं. इसकी विशेषता यह है कि इस पर कई वर्षों तक काई नहीं जमती और सैकड़ों वर्षों तक इसकी आयु होती है. इन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल काशी विश्वनाथ कॉरीडोर बनाने में भी किया गया है. यह स्तंभ तीन भागों में बनेगा और एक साथ एक जगह पर ले जाया जाएगा और उसी जगह इसे स्थापित किया जाएगा. 30-35 लोगों की कुल टीम काम कर रही है और मुख्यतः पॉलिशिंग का काम महिलाएं करती हैं.