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राम मंदिर परिसर में होगी छह करोड़ पुरानी पवित्र नेपाल शिलाओं की पूजा, दरार के कारण नहीं बनी राम लला की मूर्ति

नेपाल से अयोध्या लाई गईं दो दुर्लभ और पवित्र चट्टानों को राम मंदिर परिसर में संरक्षित किया जाएगा.

लखनऊ. नेपाल से अयोध्या लाई गईं दो दुर्लभ और पवित्र चट्टानों को राम मंदिर परिसर में संरक्षित किया जाएगा. कई परीक्षणों के बाद, वे (नेपाल की चट्टानें) राम लला की मूर्ति के लिए उपयुक्त नहीं पाईं गई, इस कारण भले ही उन्हें राम लला की मूर्ति के लिए उपयोग में नहीं लाया गया. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट के निर्माण में उपयोग करने से इंकार कर दिया था. नेपाल से दो विशाल शालिग्राम शिला को अयोध्या ले जायी गईं थीं. इनसे श्रीराम और माता सीता की मूर्तियां बना जायेंगी. दावा है कि ये शिलाएं करीब छह करोड़ साल पुरानी हैं. नेपाल में पोखरा स्थित शालिग्रामी नदी (काली गंडकी ) से यह दोनों शिलाएं जियोलॉजिकल और आर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की देखरेख में निकाली गयी थीं.

कई परीक्षणों के बाद मूर्ति के लिए अनुपयुक्त पाई गईं 

ट्रस्ट के एक सदस्य के अनुसार मूर्ति के लिए नेपाल से प्राचीन चट्टानों को बाहर करना एक कठिन निर्णय था. सदस्य ने कहा, “कई परीक्षणों के बाद, वे (नेपाल की चट्टानें) राम लल्ला की मूर्ति के लिए उपयुक्त नहीं पाए गए क्योंकि उनमें दरारें आ गई हैं.” “हालांकि, ट्रस्ट ने इन शिलाओं को राम मंदिर परिसर में ही रखने का फैसला किया है ताकि श्रद्धालु इनकी पूजा कर सकें. वे देवशिला हैं और उन्हें पूरा सम्मान दिया जाएगा.’ इस बीच, प्रसिद्ध मूर्तिकार कर्नाटक और राजस्थान की चट्टानों से भगवान राम की तीन मूर्तियों को तराश रहे हैं. उनमें से सर्वश्रेष्ठ को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. सदस्य ने कहा, “ट्रस्ट ने रामलला की मूर्ति के लिए कर्नाटक और राजस्थान की चट्टानों का उपयोग करने का फैसला किया है.”

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