Salil Vishnoi Beating Case: कानपुर, 19 वर्ष पुराने मामले में भाजपा विधायक सलिल विश्नोई वर्तमान एमएलसी पर लाठीचार्ज करने और टांग तोड़ने वाले सीओ समेत पांच पुलिसवालों को विशेषाधिकार हनन के मामले में विधानसभा में पेश करने का आदेश जारी हुआ है. सभी 2005 में ही विधानसभा की विशेषाधिकार समिति की जांच में दोषी पाए गए थे. विधानसभा अध्यक्ष ने समिति की रिपोर्ट पर उन्हें तलब करने का आदेश दिया है. इस मामले में सदन शुक्रवार को फैसला सुनाएगा.आज 12 बजे तक सभी पुलिसकर्मियों को हाजिर होना है.
बता दें कि शहर की बदहाल बिजली व्यवस्था के बीच आपूर्ति बहाल करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे सलिल को पुलिस ने न केवल बुरी तरह पीटा था, बल्कि बाद में दोषियों पर कार्रवाई तक नहीं की. पुलिस की बेरहमी से उनके पैर में चार फ्रैक्चर हुए थे. वह तीन दिन तक उर्सला अस्पताल में भर्ती रहे थे. बाद में महीनों बिस्तर पर रहे. मेडिकल रिपोर्ट के बाद कोतवाली में एफआईआर दर्ज तो की गई पर कार्रवाई कुछ नहीं हुई. उन्होंने बताया- पुलिस ने उस केस को दाखिल दफ्तर कर दिया. बस सदन से ही उम्मीद थी. अब विधानसभा ही मेरे साथ हुई बेरहमी का इंसाफ करेगी.
सलिल विश्नोई हर साल 15 सितंबर को संघर्ष दिवस के रूप में मनाते हैं. 2004 की इसी तारीख को उनका सामना पुलिस जुल्म से हुआ था. उन्होंने जनसमस्याओं को लेकर प्रदर्शन, पुतला फूंका था. उनका कहना है कि उन्हीने कोई अपराध नहीं किया था तत्कालीन बाबूपुरवा सीओ अब्दुल समद और एसओ ऋषिकांत ने साजिशन लाठीचार्ज किया था. इस बात की शिकायत पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने जांच समिति को मामला दिया था और इसमें लाठीचार्ज करने वाले दोषी पाए गए थे. मामलें में न्याय की उम्मीद थी पर वह नही मिली लेकिन अब सदन आगे का फैसला लेगा.
सलिल विश्नोई ने विधानसभा अध्यक्ष से 25 अक्तूबर 2004 को शिकायत की थी कि 15 सितंबर 2004 को वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ बिजली कटौती के खिलाफ डीएम को ज्ञापन देने जा रहे थे. तभी वहां तैनात सीओ अब्दुल समद ने अपने साथी पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर उन्हें व उनके साथियों को लाठी से जमकर पीटा. भद्दी-भद्दी गालियां भी दी. यहां तक कहा- मैं बताता हूं कि विधायक क्या होता है. मुलायम सरकार में भाजपा ने यह मामला सदन में उठाते हुए जोरदार हंगामा भी किया था तब सलिल भी स्ट्रेचर पर सदन पहुंचे थे.
डीएसपी पद पर तैनात तत्कालीन सीओ अब्दुल समद बाद में प्रशासनिक सेवा में आ गए. वह आईएएस हो गए और हाल ही में रिटायर हुए हैं. वहीं, ऋषिकांत शुक्ला, त्रिलोकी सिंह, छोटे सिंह, विनोद मिश्र व मेहरबान सिंह अभी सेवा में हैं.27 फरवरी 2023 को विशेषाधिकार समिति ने विशेषाधिकार हनन व सदन की अवमानना के दोषी पुलिस कर्मियों को कारावास का दंड देने की संस्तुति की है.
सीओ अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर के थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई थाना कोतवाली त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर थाने के सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के सिपाही विनोद मिश्र और काकादेव थाने के सिपाही मेहरबान सिंह शामिल हैं. ये सभी तत्कालीन है.
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समिति ने विशेषाधिकार हनन से संबंधित प्रस्ताव गुरुवार को सदन में सर्वसम्मति से पास कर दिया. डीजीपी को सभी पुलिस कर्मियों को हिरासत में लेकर आज दोपहर 12 बजे तक सदन में प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए. उन्हें क्या दंड दिया जाए, इस पर शुक्रवार यानी आज चर्चा होगी. दोषियों को कठघरे में खड़ा करने का प्रावधान है.