लखनऊ: उत्तर प्रदेश लिफ्ट एंड एस्केलेटर बिल-2024 यूपी का दोनों सदनों में ध्वनिमत से पास हो गया. इस बिल में लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं. इस अधिनियम के दायरे में यूपी के सभी निजी और सार्वजनिक दोनों प्रकार के भवनों व परिसरों को लाया गया है. निजी उपयोग में लगवाई गई लिफ्ट में इस अधिनियम की कुछ शर्तों में छूट दी गई है, लेकिन सार्वजनिक उपयोग में लगाई गई लिफ्ट व एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन, मेंटेनेंस, हादसे के दौरान संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचना देने, हादसे में पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं.
नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत औद्योगिक एरिया या परिसर में लगी लिफ्ट य एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें लागू नहीं होगी. बाकी प्रदेश की सभी निजी व सार्वजनिक भवनों व परिसरों पर लगी लिफ्ट एवं एस्केलेटर पर इस अधिनियम की शर्तें प्रभावी होंगी. बिल को विधान सभा में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अभी तक लिफ्ट एंड एस्केलेटर के उपयोग, सावधानियां, निगरानी, रजिस्ट्रेशन व रेगुलेट करने संबंधी कोई अधिनियम नहीं था. देश के कुछ राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में लिफ्ट एस्केलेटर के संबंध में उनके अधिनियम हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसी व्यवस्था नहीं थी.
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नोएडा में हुई एक दुर्घटना की ओर पिछले सदन में ही सदस्य योगेंद्र सिंह और पंकज सिंह ने सदन का ध्यान आकर्षित कराया था. उसी समय से इस अधिनियम को प्रदेश में भी लागू करने के प्रति कदम आगे बढ़ाया गया. गौरतलब है कि प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण व नगरीकरण के कारण बहुमंजिला इमारतें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए जा रहे हैं. इनमें लिफ्ट और एक्सलेटर की भी मांग बढ़ी है. रेलवे स्टेशन और तीर्थ स्थलों पर भी लिफ्ट व एस्केलेटर का उपयोग बढ़ा है. लिफ्ट व एस्केलेटर का प्रयोग आसक्तजनों के साथ बच्चे, बुजुर्ग, युवा सभी लोग करते हैं. इस व्यवस्था के लागू होने से लिफ्ट संचालक सावधानी बरतेंगे और हादसे भी कम होंगे.
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