12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लखनऊ: मियावाकी पद्धति से तीन नए उद्यान किए जाएंगे विकसित, पीएम नरेंद्र मोदी ने की प्रशंसा, जानें क्या है खास

लखनऊ में मियावाकी पद्धति से हरियाली लाने के लिए तीन नए क्षेत्रों का चयन किया गया है. ये पद्धति कम समय में वन क्षेत्र विकसित करने के लिए बेहतर प्रसिद्ध है. राजधानी के अलीगंज में इसके तहत उद्यान भी तैयार किया गया है, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम में कर चुके हैं.

Lucknow: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लखनऊ के अलीगंज में जापानी मियावाकी पद्धति से उद्यान तैयार किए जाने की प्रशंसा के बाद राजधानी में अन्य जगहों पर भी इस तरह की पहल की जाएगी.

वन महकमा अब तीन और ऐसे वन क्षेत्र शहर में तैयार करने जा रहा है. इसके साथ ही लखनऊ नगर निगम ने भी एक और उद्यान इसी तर्ज पर तैयार करने का निर्णय किया है. वन विभाग और नगर निगम ने मिलकर राजधानी में मियावाकी पद्धति से जो हरियाली लाने की कवायद की है, उसके बेहतर नतीजे देखने को मिले हैं.

इनमें अलीगंज सेक्टर डी, एफ और क्यू के अलावा एफ सी-11, तालकटोरा, नगर निगम पार्क, कान्हा उपवन अंबेडकर विश्वविद्यालय, अमौसी में इंडियन ऑयल के बॉटलिंग प्लांट परिसर शामिल हैं. इसके साथ ही अब एसजीपीजीआई लखनऊ मार्ग पर बाएं और दाएं पट्टी पर मियावाकी पद्धति से हरियाली लाने की पहल की जाएगी.

Also Read: UP Weather Live: यूपी में भीषण गर्मी के बाद अब इस सप्ताह मानसून देगा दस्तक

इनमें एक जगह इंदिरा नहर के करीब की बताई जा रही है. ये जगह पहले कूड़े के ढेर के कारण पहचानी जाती थी. यहां पर अवैध कब्जा भी किया जा रहा था. लेकि, अब मियावाकी पद्धति से वन क्षेत्र विकसित करते हुए यहां सदाबहार फूल भी लगाए जाएंगे. इससे यहां का माहौल पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेहतर होगा.

मियावाकी पद्धति में ऐसा किया जाता है पौधारोपण

मियावाकी पद्धति में प्रति वर्गमीटर में 3 से 5 पौधे लगाते हैं. पौधों की ऊंचाई 60 से 80 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इसमें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध प्रजातियों के 40 से 50 फीसद पौधे लगाते हैं. उसके बाद सामान्य नेटिव प्रजातियों के 50-40 फीसद पौधे लगाते हैं. बाकी माइनर नेटिव प्रजातियों का चयन किया जाता है.

मियावाकी पद्धति की विशेषता

मियावाकी पद्धति से तैयार जंगल सामान्य के मुकाबले 30 गुना ज्यादा घना होता है. पारंपरिक विधि से जंगल तैयार होने में 300 वर्ष लग जाते हैं. वहीं मियावाकी पद्धति से 20 से 30 वर्ष में ही जंगल तैयार हो जाता है. स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के अनुकूल इसमें देसी प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं. इसमें रोग, कीट आदि का प्रकोप कम होता है.

मियावाकी तकनीक एक छोटी सी जगह में जंगल उगाने का बेहतरीन तरीका है. मियावाकी जंगल को खास प्रक्रिया के जरिए उगाया जाता है, ताकि ये हमेशा हरे-भरे रहें. जंगल उगाने के इस खास तरीके को जापान के बॉटेनिस्ट अकीरा मियावाकी ने खोजा था. अकीरा का मानना था कि चर्च और मंदिर जैसी धार्मिक जगहों पर पौधे अपने-आप पैदा होते हैं, यही वजह है कि ये लम्बे समय तक बरकरार रहते हैं. इसी सोच के साथ मियावाकी तकनीक की नींव पड़ी.

डीएफओ डॉ. रवि कुमार सिंह के मुताबिक मियावाकी पद्धति बेहद कारगर है. इसमें एक वर्ग मीटर में तीन पेड़ विकसित हो जाते हैं. कई जगह पर इस पद्धति का इस्तेमाल किया गया है. राजधानी में एसजीपीजीआई परिसर और अयोध्या राजमार्ग पर भी मियावाकी पद्धति से पौधे लगाए जाएंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें