Swami Prasad Maurya Resigns: उत्तर प्रदेश की राजनीति में मंगलवार को एक बड़ी हलचल हुई है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि वह जल्द ही भाजपा का साथ छोड़कर सपा को ज्वॉइन कर लिया है. इस संबंध में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट कर जानकारी भी दी है. बता दें कि प्रदेश सरकार श्रम मंत्री का पदभार संभाले हुए थे. भाजपा से पहले स्वामी प्रसाद बसपा में थे.
स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर कई दिनों से अटकलों का बाजार गर्म था. उनके करीबियों के माध्यम से यह खबर मिल रही थी कि वे भाजपा से कुछ नाराज चल रहे हैं. वे पूर्व की बसपा सरकार में भी अहम मंत्रालयों का पदभार संभाल चुके हैं. पिछड़े और दलित वर्ग की राजनीति करने वाले स्वामी प्रसाद ने इसी क्रम में मंगलवार की दोपहर सूबे की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. इस संबंध में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है, ‘सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता स्वामी प्रसाद मौर्या एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा, बाइस में बदलाव होगा.’
सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!
सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा ~ बाइस में बदलाव होगा#बाइसमेंबाइसिकल pic.twitter.com/BPvSK3GEDQ
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 11, 2022
राजनीतिक गलियारों में हलचल है कि वे अब समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं. यूं भी बताया जाता है कि बसपा से अलग होने के बाद उनके और पार्टी सुप्रीमो मायावती से संबंध खराब हो गए थे. ऐसे में भाजपा से दूरी बनाने के बाद उनके सपा में ही जाने के आसार थे. वहीं, प्रदेश के ऊंचाहार क्षेत्र में इनकी काफी पकड़ बताई जाती है. बसपा में इनका कद और पद काफी मजबूत माना जाता था. मगर विचारों में मतभेद के बाद इन्होंने भाजपा के साथ साल 2014 में ही गलबहियां कर ली थीं.
उनके करीबियों की ओर से अंदेशा जताया जाता था कि वे पार्टी में अपने कद से संतुष्ट नहीं थे. ऐसे में मंगलवार को इस तरह की सभी अफवाहों को मजबूती देते हुए उन्होंने प्रदेश की राजयपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. खास बात यह है कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा की जा चुकी है. उम्मीदवारों के चयन को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदितयनाथ सहित कई कद्दावर नेता दिल्ली में बैठ कर रहे हैं. इस बीच यूपी कैबिनेट सहित पार्टी से एक बड़े नेता के चले जाने से भाजपा को जमीनी स्तर पर नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है.
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