Lucknow: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने इस बार हिंदी, उर्दू और संस्कृत की किताबें भी छपवाने का अहम निर्णय किया है. इसके पीछे छात्रों को इन विषयों की त्रुटिहीन पुस्तकें उपलब्ध कराना वजह बताई जा रही है.
यूपी बोर्ड ने अपने इस निर्णय के तहत किताबें उपलब्ध कराने के लिए प्रकाशन का टेंडर जारी कर दिया है. इससे आने वाले दिनों में इन विषयों की किताबें पहले की अपेक्षा कम दरों में उपलब्ध होंगी. अभी तक इन विषयों का पाठ्यक्रम भले ही यूपी बोर्ड निर्धारित करता था. लेकिन, किताबों के प्रकाशन पर उसका नियंत्रण नहीं था.
ऐसे में कोई भी प्रकाशक इन्हें छाप सकता था. इसकी वजह से निजी प्रकाशन के कारण न सिर्फ किताबें महंगी होती थीं, बल्कि इन विषयों में गलत तथ्यों की शिकायतें भी सामने आती थीं. ऐसे में छात्रों का नुकसान होता था. अब जब बोर्ड की निगरानी में इन विषयों की किताबों का प्रकाशन होगा, तो गलत तथ्यों की शिकायतें नहीं आएंगी.
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इसके साथ ही यूपी बोर्ड ने 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्र छात्राओं को सस्ती किताबें मुहैया कराने के लिए प्रकाशकों से आवेदन मांगे हैं. यूपी बोर्ड में कक्षा 9 से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राए हैं, जो 28000 से अधिक स्कूलों में पढ़ते हैं. शैक्षिक सत्र 2023—24 शुरू होने के तीन महीने बाद इन्हें सस्ती किताबें मिल सकेंगी.
बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने किताबों के प्रकाशन का अधिकार देने के लिए टेंडर जारी कर दिया है. इसके तहत 9 जून तक प्रकाशकों से आवेदन मांगे हैं. इसके बाद आवेदन पर निर्णय करते हुए 16 जून को प्रकाशकों से अनुबंध होगा.
इस तरह विभिन्न विषयों की एनसीईआरटी से अधिकृत 70 और नॉन एनसीईआरटी की 12 किताबें 30 जून तक बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी. इससे पहले वर्ष 2022 में भी जुलाई के पहले सप्ताह में किताबों का टेंडर जारी हो सका था. बाजार में देर से किताबें आने के कारण ज्यादातर बच्चे अनाधिकृत प्रकाशकों की महंगी किताबें और गाइड खरीद लेते हैं. वैसे तो एनसीईआरटी की किताबें बाजार में उपलब्ध हैं. लेकिन, इसमें कई तरह की दिक्कते हैं. बाजार में ये किताबें बच्चों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं. वहीं इनके यूपी बोर्ड की किताबों से महंगी होने के कारण अभिभावकों की जेब पर ज्यादा बोझ पड़ता है.