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यूपी निकाय चुनाव: जानें कौन हैं सुषमा खर्कवाल, भाजपा ने क्यों बड़े नामों के बजाय लखनऊ से बनाया प्रत्याशी

यूपी निकाय चुनाव: लखनऊ में मेयर पद पर भाजपा का लंबे समय से कब्जा है. एससी राय से लेकर डॉ. दिनेश शर्मा ने इस पद पर काफी सुर्खियां बटोरी. पिछले निकाय चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया ने जीत दर्ज की. ऐसे में इस बार पार्टी उम्मीदवार सुषमा खर्कवाल की स्थिति मजबूत मानी जा रही है.

UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव में लखनऊ से मेयर प्रत्याशी सुषमा खर्कवाल उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद बेहद सुर्खियों में आ गई हैं. सुषमा भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की सदस्य हैं. लेकिन, अभी तक उनसे बेहद कम लोग ही परिचित थे. यहां तक की जिन नामों को लेकर चर्चा हो रही थी, उसमें भी सुषमा खर्कवाल का नाम नहीं था. उन्होंने कई बड़े और चर्चित नामों को पीछे छोड़कर मेयर पद का टिकट हासिल किया है.

लखनऊ में मेयर पद पर भाजपा का लंबे समय से कब्जा

लखनऊ नगर निगम में भाजपा की स्थिति बेहद मजबूत मानी जाती है. यहां मेयर पद पर भाजपा का लंबे समय से कब्जा है. एससी राय से लेकर डॉ. दिनेश शर्मा ने इस पद पर काफी सुर्खियां बटोरी. डॉ. दिनेश शर्मा तो मेयर बनने के बाद ही उपमुख्यमंत्री बनाए गए. पिछले निकाय चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया ने जीत दर्ज की. ऐसे में इस बार सुषमा खर्कवाल की स्थिति मजबूत मानी जा रही है.

यूपी निकाय चुनाव में इन नामों पर हुआ बैठक में मंथन

इससे पहले चर्चा थी आरएसएस की पसंद होने के कारण संयुक्ता भाटिया या उनकी बहू को फिर मौका मिला सकता है. संयुक्ता भाटिया शुरुआत में स्वयं को इस रेस में बता रहीं ​थीं. इसके अलावा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव के नाम भी चर्चाओं में था. कहा जा रहा था कि सामाजिक कार्यों में सक्रिय होने से लेकर चर्चित चेहरा होने के कारण पार्टी अपर्णा यादव पर अपनी मुहर लगा सकती है. अपर्णा यादव के मुलायम परिवार से होने के कारण सपा को चुनौती देने में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा उनके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पारिवारिक संबंधों का भी हवाला दिया जा रहा था.

वहीं उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक, विधायक डॉ. नीरज बोरा की पत्नी बिंदु बोरा और बीबीडी ग्रुप के चेयरमैन अलका दास गुप्ता के नामों की भी काफी चर्चा थी. कई बार तो अलका दास का नाम भी तय बताया जा रहा था. अलका दास के पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. अखिलेश यादव भी लखनऊ से मेयर रह चुके हैं. लेकिन, इन सभी नामों को पीछे छोड़ते हुए सुषमा खर्कवाल के नाम पर मुहर लगाई गई.

स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक से पहले आया सुषमा खर्कवाल का नाम

पार्टी नेताओं के मुताबिक सुषमा खर्कवाल का नाम 13 अप्रैल को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक शुरू होने से एक दिन पहले ही चर्चा में आया था. लखनऊ के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना के आवास पर आयोजित बैठक में विधायक, एमएलसी, भाजपा महानगर अध्यक्ष और महामंत्री के साथ नामों पर चर्चा हुई. इसमें महानगर अध्यक्ष ने सपा से ब्राह्मण चेहरे को टिकट मिलने का तर्क देते हुए भाजपा से भी किसी ब्राह्मण नाम का सुझाव दिया. बैठक में महानगर महामंत्री ने सुषमा खर्कवाल का नाम रखा.

सुषमा खर्कवाल नाम पर इसलिए लगी मुहर

भाजपा की सियासत समझने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि महानगर अध्यक्ष और महामंत्री दोनों राजनाथ सिंह के करीबी हैं. इस तरह स्क्रीनिंग कमेटी में रक्षा मंत्री की पंसद के तौर पर सुषमा खर्कवाल का नाम शामिल किया गया. कहा जा रहा है कि इसके अलावा दो विधायकों ने बिंदु बोरा को टिकट देने की पैरवी की. इसी तरह संयुक्ता भाटिया का नाम भी सामने आया. विभिन्न माध्यमों से आए कुल 26 नामों पर चर्चा हुई. काफी विचार विमर्श के बाद अंत में छह नाम तय किए गए. इनमें आम सहमति नहीं बनने पर प्रभाारी मंत्री ने बैठक में मतों के आधार पर सुषमा खर्कवाल का नाम फाइनल किया. इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने इस पर अपनी मंजूरी देते हुए मुहर लगा दी.

एक तीर से साधे ब्राह्मण और उत्तराखंड के समीकरण

सुषमा खर्कवाल मूल रुप से उत्तराखंड की ब्राह्मण हैं. वह पिछले 30 वर्षों से भाजपा में सक्रिय हैं. वर्तमान में अवध क्षेत्र बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री रह चुकी हैं. उनके पति प्रेम खर्कवाल सेना में रहे हैं. माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व सुषमा खर्कवाल के जरिए ब्राह्मण और उत्तराखंड दोनों समीकरणों को साधने का प्रयास करेगी.

लखनऊ के इंदिरानगर, गोमतीनगर विस्तार, कल्याणपुर, कैंट सहित कई इलाकों में उत्तराखंड मूल के मतदाताओं की अच्छी संख्या है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. केंद्रीय रक्षा मंत्री और सांसद राजनाथ सिंह की बहू भी उत्तराखंड से हैं. अभी तक भाजपा में रीता बहुगुणा जोशी को ब्राह्मण और उत्तराखंड के बड़े चेहरे के तौर पर देखा जाता रहा है. अब पार्टी ने सुषमा खर्कवाल के जरिए एक नया चेहरा सामने लाने का प्रयास किया है. इसके पीछे भविष्य की राजनीति के समीकरण और मतदाताओं को संतुष्ट करने का प्रयास देखा जा रहा है.

सपा-बसपा-कांग्रेस से ये मेयर उम्मीदवार

समाजवादी पार्टी ने भी लखनऊ में ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए 74 वर्षीय वंदना मिश्रा को मेयर प्रत्याशी बनाया है. वहीं बसपा ने लखनऊ में मुस्लिम कार्ड खेलते हुए 45 वर्षीय शाहीन बानो को महापौर पद का प्रत्याशी बनाया है. दोनों उम्मीदवार नामांकन कर चुके हैं. जबकि कांग्रेस से संंगीता जायसवाल मैदान में हैं.

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