Lucknow: उत्तर प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद लोकायुक्त जांच में कई अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. आईएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और प्रांजल यादव के खिलाफ लोकायुक्त ने विस्तृत जांच शुरू कर दी है. इन पर मानकों की अनदेखी कर फायर फाइटिंग सिस्टम और बिजली के काम कुछ खास कंपनियों को देने का आरोप है.
इसकी शिकायत पर उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने मामले में प्राथमिक जांच की थी. इसमें गड़बड़ी के साक्ष्य मिलने पर विस्तृत जांच शुरू की गई है. जांच के दायरे में तीन अन्य अधिकारी भी आ रहे हैं. उपलोकायुक्त ने इन सभी से प्राथमिक जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर शपथ पत्र के साथ बिंदुवार जवाब मांगा है.
लोकायुक्त संगठन के सचिव अनिल कुमार सिंह ने बताया कि लखनऊ निवासी महेश चंद्र श्रीवास्तव ने दो वर्ष पूर्व लोकायुक्त संगठन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद, विशेष सचिव प्रांजल यादव, संयुक्त सचिव प्राणेश चंद्र शुक्ला, अपर निदेशक विद्युत महानिदेशालय डीके सिंह और चिकित्सा विभाग के अनुभाग अधिकारी चंदन कुमार रावत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.
Also Read: मिशन 2024: BJP का गोरखपुर क्षेत्र की सभी 13 लोकसभा सीटें जीतने का प्लान, क्षेत्र समिति की बैठक में बनाई रणनीतिमहेश चंद्र श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि उप्र राज्य निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के लिए चयनित किया गया. इसमें अग्निशमन व्यवस्था का काम भी शामिल है. विभाग में कई वर्षों से मुख्य अभियंता, विद्युत का पद रिक्त होने के बावजूद संबंधित विभाग बिजली कार्यों के लिए निविदा प्रकाशित कर रहा है.
आरोपी लोकसेवक अनुचित लाभ प्राप्त करके अपनी चहेती कंपनी एवं फर्म को कार्य आवंटित कर रहे है. आरोप है कि फायर फाइटिंग का काम उन कंपनियों को दे दिया गया, उन्हें इसका कोई अनुभव नहीं था.
महेश चंद्र श्रीवास्तव के आरोपों के दौरान वरिष्ठ आईएएस अफसर अमित मोहन प्रसाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में अपर मुख्य सचिव के पद पर तैनात थे. अभी अपर मुख्य सचिव एमएसएमई हैं. वहीं प्रांजल यादव तब चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में सचिव के पद पर तैनात थे. अभी वह सचिव एमएसएमई हैं.