Lakhimpur Kheri: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद राहुल गांधी को कांग्रेस को उबारने आना पड़ रहा है. राहुल गांधी उत्तर प्रदेश पहले आना चाहते थे. लेकिन, पंजाब कांग्रेस में जारी सियासी खींचतान के बीच राहुल गांधी व्यस्त थे. इसी कारण राहुल गांधी को देश के सबसे बड़े सूबे में राजनीतिक जमीन वापस पाने की शुरुआत करने का मौका नहीं मिल पा रहा था.
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प्रियंका गांधी के नजरबंद होने के बाद प्रदेश स्तर पर कांग्रेसियों ने कुछ खास विरोध नहीं किया था. दूसरी तरफ सपा हर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करके बाजी मार चुकी थी. ऐसे में शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष से भी नाराज हो रहा था कि लखनऊ महज कुछ दूर सीतापुर में भी वो कांग्रेसियों को भारी संख्या में लामबंद क्यों नहीं कर पाए. ऐसे में पुलिस की नजरबंदी में रह रही प्रियंका गांधी को अकेला देख राहुल गांधी खुद उतर आने की बात की. राहुल गांधी ना सिर्फ आए बल्कि उन्होंने पीडितों से मुलाकात भी की.
ऐसा उत्तर प्रदेश की राजनीति के इतिहास में पहली बार हुआ कि किसी हादसे में मृत लोगों के लिए किसी अन्य राज्य सरकार ने मुआवजा दिया है. राहुल गांधी ने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस शासन के दो राज्यों छत्तीसगढ़ और पंजाब के मुख्यमंत्रियों द्वारा किसानों को उचित समय पर मुआवजा दिया जाए. साथ ही उनके साथ पहुंचे सचिन पायलट, अमरेश बघेल समेत दीपेंद्र हुडा वगैरह को अपने साथ लाकर यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में किसको बड़ी जिम्मेदारियां मिल सकती हैं.
माना जाता है कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश को लेकर काफी संजीदा हैं. उनका निशाना विधान सभा चुनाव न होकर 2024 के लोक सभा चुनाव हैं. राहुल के करीबियों ने उन्हें उत्तर प्रदेश की हालिया स्थिति से अवगत करवाया है और यही वजह है कि बीते दिनों आखिरी समय में बघेल समेत दीपेंद्र हुडा को उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में प्रभार दिए गए हैं. बताया जा रहा है कि प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति से राहुल वाकिफ हैं वो पीढ़ियों पुराने कांग्रेसियों के मोह में नहीं पड़ना चाहते हैं. वो बड़ी शिद्दत से नए विकल्प ढूंढ रहे हैं.
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राजनीति के जानकार मानते हैं कि भाजपा इस वक्त उत्तर प्रदेश में सपा के बढ़ते जनाधार को लेकर चिंतित है. ऐसे में राहुल गांधी को थोड़ा गेटवे दिए जाने से सपा के कुछ वोट टूटकर कांग्रेस की तरफ जाएंगे. इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. ऐसे में भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा होगा. यही वजह रही कि राहुल गांधी और उनके सहयोगियों को बाकायदा एयरपोर्ट पर चाय-नाश्ता करवाया गया. मनचाही संख्या में गाड़ियों को ले जाने दिया गया. दूसरी तरफ अखिलेश यादव को सिर्फ उनके निजी सुरक्षाकर्मियों के साथ अनुमति मिली.
(रिपोर्ट: उत्पल पाठक, लखनऊ)