लखनऊ. उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में बड़ा कदम उठाते हुए अब नायब तहसीलदार भी आईएएस अधिकारी बनेंगे. उन्हें आईएएस रैंक पर प्रमोट किया जाएगा. नायब तहसीलदार एक यूपीपीसीएस (राज्य सिविल सेवा) अधिकारी होता है जो भू-राजस्व के संबंध में एक तहसील से कर एकत्र करने का प्रभारी होता है. अभी तक यूपी में सिर्फ एसडीएम (UPPCS अधिकारी) को ही आईएएस में प्रमोट किया जाता रहा है. एसडीएम (सब डिवीजनल कलेक्टर)डिप्टी कलेक्टर रैंक का अधिकारी होता है. यूपी सरकार के एक अभूतपूर्व कदम में, राज्य की प्रशासनिक सेवा में पहली बार दो नायब तहसीलदारों को आईएएस रैंक पर पदोन्नत किया जाएगा.
पीसीएस से आईएएस संवर्ग में पदोन्नति देने के लिए 21 अगस्त को मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की मौजूदगी में विभागीय प्रोन्नति कमेटी (डीपीसी) की बैठक हुई. लखनऊ में हुई इस बैठक में संघ लोक सेवा आयोग और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे. इस बैठक में 22 अधिकारियों का आईएएस के लिए चयन किया जाना था लेकिन कमेटी ने 16 नामों पर प्रोन्नति के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. जिन पीसीएस अफसरों को प्रमोशन मिला है उनमें उमाकांत त्रिपाठी और नरेंद्र सिंह का भी नाम शामिल हैं. दोनों ही अधिकारी नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति हुए थे और 2006 में पीसीएस संवर्ग में पदोन्नत हुए थे.
अंजू कटियार, प्रीती जयसवाल, भीष्म लाल, हरीश चंद्र, श्रीप्रकाश गुप्ता, प्रभु नाथ, रितु सुहास, संतोष कुमार वैश्य, शत्रोहन वैश्य, धर्मेंद्र सिंह, आनंद कुमार शुक्ला, अरविंद कुमार मिश्रा, विजय कुमार, अवनीश सक्सेना, केशव कुमार, राजेश कुमार , विनोद कुमार, रवीन्द्र कुमार, हिमांशू गौतम, मुकेश चन्द्र, अमरपाल सिंह, उमाकान्त त्रिपाठी, नरेन्द्र सिंह. भीष्म लाल, हरीश चंद्र, प्रभु नाथ, अंजू कटियार के नाम पर विचार नहीं किया गया. इन अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न मामलों में जांच चल रही है. इस कारण इनका लिफाफा बंद ही रहा. वहीं भर्ती घोटाले में नाम आने के कारण दो अधिकारियों को बाहर कर दिया गया. इस तरह फिलहाल कुल 16 अफसरों को आईएएस कैडर मिल गया है.
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राज्य पीसीएस अधिकारियों को यूपीएससी द्वारा निर्धारित कुछ शर्तों के अधीन आईएएस में पदोन्नत किया जा सकता है. हर साल, आईएएस (किसी राज्य में) की कुल रिक्तियों में से 33% पदोन्नति के माध्यम से भरी जाती हैं. जिस अधिकारी का नाम सूची में रखा जाता है उसकी सेवा न्यूनतम वर्ष 12 वर्ष की होनी चाहिए. सेवा में इतने वर्ष पूरे करने के बाद ही उम्मीदवार इस तरह की पदोन्नति के लिए पात्र हो जाता है. यूपीएससी प्रमोशन के लिए यूपीएससी सदस्य की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाती है. राज्यों के मुख्य सचिव भी उस समिति के सदस्य होते हैं.
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नरेंद्र सिंह वर्तमान में अपर आयुक्त परिवहन एवं मुख्य महाप्रबंधक राज्य परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) उ.प्र. के पद पर कार्यरत हैं. उमाकांत त्रिपाठी बांदा में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के पद पर तैनात हैं. नियम यह है कि जिन पीसीएस अफसरों की उम्र 56 साल से ज्यादा न हो और इस पीसीएस कैडर में आठ साल की सेवा पूरी कर ली हो, उनका नाम आईएएस में प्रमोशन के लिए भेजा जा सकता है. नरेंद्र सिंह और उमाकांत त्रिपाठी ये दोनों अधिकारी इन मानकों पर खरे उतरते हैं, इसलिए इनका नाम डीपीसी के लिए शामिल किया गया है.