Lucknow: राजधानी लखनऊ में वरिष्ठ आईएएस अफसर की लोकायुक्त जांच को लेकर मुश्किलें बढ़ सकती हैं. प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीणा के खिलाफ लोकायुक्त की ओर से जमानती वारंट जारी किया गया है. उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने ये वारंट जारी किया है. प्रमुख सचिव पर भ्रष्टाचार के मामले को लेकर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप है. मामला वर्ष 2021 का है, जब बीएल मीणा प्रमुख सचिव समाज कल्याण के पद पर थे.
प्रमुख सचिव पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में फायर फाइटिंग सिस्टम स्थापित करने का टेंडर नियम विरुद्ध तरीके से जारी करने का आरोप है. इस प्रकरण में उन्हें साक्ष्य सहित पूछताछ के लिए लखनऊ में लोकायुकत संगठन के समक्ष तलब किया गया था. वरिष्ठ आईएएस अफसर को 15 अप्रैल को पेश होने का अंतिम नोटिस दिया गया था. इसके बाद भी वह हाजिर नहीं हुए.
इस पर उनके खिलाफ दस हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया गया है. साथ ही वारंट तामील कराने के लिए लखनऊ के पुलिस आयुक्त को आदेश भी दिया जा चुका है. इस मामले में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री, आईएएस अफसर अमित मोहन प्रसाद, बीएल मीना, शिवप्रसाद समेत सात आरोपियों के खिलाफ भी सम्मन भी जारी हो चुका है.
मामले के अनुसार लोकायुक्त संगठन में वर्ष 2021 में लखनऊ की फर्म आरके इंजीनियर्स सर्विसेज के पार्टनर सतनाम सिंह ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अग्निशमन व्यवस्था के कार्यों की निविदा जारी करने में हुई अनियमिताओं को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य चिकित्सा एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद, प्रमुख सचिव समाज कल्याण बीएल मीना और चार अन्य अफसरों पर भ्रष्टाचार को लेकर आरोप लगाए गए थे.
प्रकरण में लोकायुक्त में की गई शिकायत में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री को घोटाले में शामिल होने की वजह से 120बी का आरोपी बनाने की मांग की गई थी. इसी तरह अमित मोहन प्रसाद और बीएल मीणा पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था. अन्य चार अफसरों पर भी इस तरह भ्रष्टाचार को लेकर आरोप लगाया गया था.