वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और प्रयागराज के पूर्व एसएसपी अभिषेक दीक्षित के खिलाफ विजिलेंस ने यूपी सरकार से एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है. विजिलेंस बीते एक वर्ष से अभिषेक दीक्षित की संपत्तियों की जांच कर रही है. दीक्षित पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके बाद यूपी सरकार ने मामले की जांच विजिलेंस को सौपी थी.
बता दें कि प्रयागराज में तैनाती के दौरान ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार अंजाम दिए जाने की शिकायतों के बाद विगत 8 सितंबर 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभिषेक दीक्षित को सस्पेंड करते हुए संपत्तियों की जांच करने के आदेश विजिलेंस को दिए थे. तामिलनाडु कैडर के वर्ष 2006 बैच के आईपीएस अभिषेक दीक्षित फिलहाल निलंबित चल रहे हैं.
विजिलेंस ने इससे पूर्व उनके खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश भी की थी, जिसके बाद लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के जेसीपी क्राइम नीलाब्जा चौधरी को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. अभिषेक दीक्षित कई बार अपने कामों को लेकर सुर्खियों में रह चुके हैं.
वहीं प्रयागराज में तैनाती के दौरान अभिषेक दीक्षित पर थानों में ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर भ्रष्टाचार करने, शासन के निर्देशों का पालन न करने और पुलिस मुख्यालय के निर्देशों को अनदेखा करने जैसे गंभीर आरोप लगे थे. वहीं अभिषेक दीक्षित माफिया अतीक अहमद पर कार्रवाई कर सुर्खियां बटोर चुके हैं.
सूत्रों की माने तो विभागीय जांच में भी अभिषेक दीक्षित पर लगे आरोप सही पाए गये हैं. इस मामले में नीलाब्जा चौधरी के समक्ष प्रयागराज के एडीजी जोन प्रेम प्रकाश ने भी अपना बयान दर्ज कराया था. वहीं दूसरी ओर विजिलेंस ने उनकी संपत्तियों की जांच कर रही है, जिसमें अब बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को अंजाम देकर संपत्तियों अर्जित करने के पुख्ता सुबूत हाथ लगने के बाद उनके खिलाफ अब एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी गयी है.
शासन की अनुमति मिलने पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, पद के दुरूपयोग व आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा. मूल रूप से यूपी के निवासी अभिषेक दीक्षित को तामिलनाडु कैडर से डेपुटेशन पर आने के बाद पीएसी में तैनात किया गया था. तत्पश्चात उनको पीलीभीत का एसपी बनाया गया था. इसके बाद 17 जून 2020 का उन्हें प्रयागराज का एसएसपी बनाया गया था.
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