Lucknow : उत्तर प्रदेश में जो विद्युत उपभोक्ता अपना बिजली का बिल जमा करने की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए काम की खबर है. 7 अगस्त रात 10.00 बजे से 10 अगस्त की शाम 6.00 बजे तक बिजली का बिल जमा नही होगा. उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के सर्वर पर काम होने की वजह से परेशानी रहेगी.
UPPCL ने इसको लेकर उपभोक्ताओं के लिए सूचना भी जारी किया है. इसमें 7 अगस्त की रात 10.00 बजे से 10 अगस्त की शाम 6.00 बजे तक कोई भी बिल नहीं जमा होगा. ऐसे में यूपी के 3 करोड़ 28 लाख उपभोक्ता अपना बिजली का बिल जमा नहीं कर पा रहे है.
इस दौरान लखनऊ में ही करीब 80 हजार से ज्यादा लोग बिजली का बिल जमा नहीं कर पाएंगे. लेसा, सिस और ट्रांस गोमती को मिलाकर करीब प्रतिदिन 25 से 30 हजार लोग बिजली का बिल जमा करते है. ऐसे में करीब 75 हजार से 90 हजार तक उपभोक्ता अपना बिल जमा नहीं कर पाएंगे.
बता दें कि प्रदेश में कुछ दिन पहले बिजली बिल की दरें बढ़ाने की चर्चा चल रही थी. मगर, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने साफ कर दिया था कि फिलहाल शासन और सरकार की मंशा यूपी में बिजली बिल बढ़ाने की नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ कंपनियां वार्षिक तुलना के आधार पर अपनी जो रिपोर्ट दी थी, उसके आधार पर बिजली बिल की दरें बढ़ाने पर चर्चा हो रही थी. लेकिन, सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है.
बिजली कंपनियां प्रस्ताव तैयार कर रही हैं. 15 अगस्त से पहले यह प्रस्ताव फाइलन करने की चर्चा है. इसमें नियामक आयोग के सामने कंपनियां बिजली बिल बढ़ोतरी को लेकर प्रस्ताव बनाएंगी. पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य ने सभी बिजली कंपनियों को निर्देश जारी कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि यह प्रस्ताव जून 2023 के बढ़ोतरी, डिमांड और सप्लाई के हिसाब से भेजा जाएगा. यूपी में बिजली के 3 करोड़ 28 लाख उपभोक्ता हैं.
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा था कि जो कंपनियां फ्यूल चार्ज के नाम पर बिजली दर बढ़ाने की बात कर रही हैं, यह सरकार का विषय नहीं है. यह UPRC का सब्जेक्ट है. सरकार बिजली बिल की दरें बढ़ाने पर अभी विचार नहीं कर रही. इस बारे में उनका कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा. ऊर्जा मंत्री से जब सवाल किया गया कि अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं. खुद उन्हीं की पार्टी के सांसद कौशल किशोर इसको लेकर शिकायत कर चुके हैं. इस पर उन्होंने कहा कि अधिकारियों को सबका फोन उठाना चाहिए और इसकी मॉनिटरिंग होगी.
बता दें कि यूपी में बिजली दर पिछले चार साल से नहीं बढ़ी है. आयोग में लगातार प्रस्ताव खारिज होता रहा है. कोविड के दौरान दो साल तक बिजली बिल बढ़ाने पर कोई बात नहीं हुई थी. अगस्त के महीने में प्रस्ताव देने के पीछे पावर कॉरपोरेशन के निर्देशक वाणिज्य ने हवाला दिया है कि अक्सर प्रक्रिया में देरी की वजह से बिजली कंपनियों पर अर्थदंड लगाया जाता है. साथ ही दूसरी कटौतियां भी की जाती हैं. जानकारों का कहना है कि कॉर्पोरेशन के इस कदम को जल्द बिजली दरें बढ़ाने का प्रयास मान रहे हैं.
विभाग की तरफ से फ्यूल सरचार्ज लगाने की तैयारी चल रही है. घरेलू, कॉमर्शियल, इंडस्ट्री को लेकर अलग-अलग फ्यूल सरचार्ज लगातार बिजली बढ़ाने की तैयारी है. अगर यह पास होता है तो 28 पैसे से लेकर 1.09 रुपए प्रति यूनिट बिजली महंगी हो जाएगी. इसमें उपभोक्ताओं से कुल 1437 करोड़ रुपए की वसूली की बात कही जा रही है. 61 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर अलग-अलग श्रेणीवार औसत बिलिंग की दर पावर कॉर्पोरेशन की तरफ से तैयार की गई है.
कंपनियों के खिलाफ उपभोक्ता परिषद ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है. उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि इसके खिलाफ वह भी प्रत्यावेदन दाखिल करेंगे. इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा. परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अगर बिजली कंपनियां 15 अगस्त तक बिजली दर बढ़ोतरी का प्रस्ताव दायर करती हैं तो उपभोक्ता परिषद इसका विरोध करेगा.
अलग-अलग श्रेणी के हिसाब से यह प्रस्ताव गया था. इसमें प्रति यूनिट बिजली दर बढ़ाने की इच्छा कंपनियों ने जताई थी. हालांकि, इस पर अंतिम फैसला नियामक आयोग को लेना होता है. वहीं, बिजली बिल बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग के पास जाता है. वहां से यह तय होता है कि रेट बढ़ेगा कि नहीं. पिछले चार साल से आयोग लगातार बिजली बिल बढ़ोतरी के प्रस्ताव को खारिज करता आ रहा है.