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Vikas Dubey Encounter Case : पूर्व जज बीएस चौहान होंगे जांच आयोग के अध्यक्ष, दो माह में पूरी हो जांच : कोर्ट

Vikas Dubey Encounter Case Kanpur Police Yogi Govt Supreme Court of India नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों की मौत की घटनाओं की जांच के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन के मसौदे को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी. प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी देते हुए कहा कि इसे अधिसूचित कर दिया जाये.

Vikas Dubey Encounter Case Kanpur Police Yogi Govt Supreme Court of India नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों की मौत की घटनाओं की जांच के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन के मसौदे को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी. प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी देते हुए कहा कि इसे अधिसूचित कर दिया जाये.

राज्य सरकार द्वारा गठित जांच आयोग के अन्य सदस्यों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशि कांत अग्रवाल और उप्र के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता शामिल हैं. इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने केन्द्र को जांच आयोग को सचिवालय सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और कहा कि यह सहयोग राष्ट्रीय जांच एजेन्सी या किसी अन्य केन्द्रीय एजेन्सी द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

पीठ ने कहा कि यह जांच आयोग कानून के तहत अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत के साथ ही राज्य सरकार को भी सौंपेगा. पीठ ने कहा कि वह कार्य शर्तों के साथ आयोग के हाथ बांधने के पक्ष में नहीं है. पीठ का कहना था कि जांच आयोग की जांच का दायरा पर्याप्त व्यापक होना चाहिए. न्यायालय ने कहा कि जांच आयोग को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद विकास दुबे तथा उसके कथित सहयोगियों की मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की जांच करनी होगी.

इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि न्यायमूर्ति चौहान ने जांच आयोग का हिस्सा बनने के लिये अपनी सहमति दे दी है. उन्होंने कहा कि जांच आयोग उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिनमें विकास दुबे, जिसके खिलाफ 65 प्राथमिकी दर्ज थीं, जमानत पर रिहा हुआ.

शीर्ष अदालत विकास दुबे और उसके पांच कथित सहयोगियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई या एनआईए से जांच कराने के लिये दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इनके अलावा कुछ याचिकाओं में कानपुर के बिकरू गांव में तीन जुलाई को आधी रात के बाद विकास दुबे को गिरफ्तार करने गयी पुलिस की टुकड़ी पर घात लगाकर पुलिस पर हुये हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने की घटना की जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है.

विकास दुबे 10 जुलाई को मुठभेड़ में उस समय मारा गया, जब उज्जैन से उसे लेकर आ रही पुलिस की गाड़ी कानपुर के निकट भौती गांव इलाके में कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी और मौके का फायदा उठाकर दुबे ने भागने का प्रयास किया. दुबे के मारे जाने से पहले अलग-अलग मुठभेड़ों में उसके पांच कथित सहयोगी भी मारे गये थे.

न्यायालय ने 20 जुलाई को इन याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि विकास दुबे मुठभेड़ की जांच के लिये गठित समिति में शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार किया जाये. साथ ही पीठ ने इन घटनाओं पर सख्त टिप्पणी करते हुये कहा था, ‘‘आपको एक राज्य के रूप में कानून का शासन बरकरार रखना है। ऐसा करना आपका कर्तव्य है.”

न्यायालय ने इस दौरान यह टिप्पणी भी की थी कि गैंगस्टर विकास दुबे जैसे व्यक्ति के खिलाफ अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलना संस्था की विफलता है. पीठ ने कहा था, ‘‘एक व्यक्ति, जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए था, उसे जमानत मिल जाना संस्था की विफलता है. हम इस तथ्य से स्तब्ध हैं कि अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद विकास दुबे जैसे व्यक्ति को जमानत मिल गयी.”

यूपी सरकार ने इन घटनाओं का विवरण देते हुये न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया था. इसमें कहा गया था कि सरकार ने दुबे और उसके कथित सहयोगियों की मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिये उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल की अध्यक्षता में एक न्यायिक समिति गठित की है. राज्य सरकार के पुलिस महानिदेशक ने हलफनामे में दावा किया था कि गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद दुबे ने जब भौती गांव के निकट भागने के प्रयास में पुलिस पर गोलियां चलायीं तो पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की जिसमें यह अपराधी मारा गया.

हलफनामे में यह भी कहा गया था कि इस खतरनाक अपराधी द्वारा किये गये अपराधों तथा दुबे, पुलिस और नेताओं के बीच कथित साठगांठ की जांच के लिये 11 जुलाई को प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष जांच दल भी गठित किया गया है.

Upload By Samir Kumar

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