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बुंदेलखंड की महिलाएं बनी स्वावलंबन की मिसाल, ‘बलिनी’ का टर्नओवर पहुंचा 150 करोड़, PM नरेंद्र मोदी तक हैं मुरीद

बुंदेलखंड में बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी ने महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है. जो महिलाएं कुछ वर्षों पहले तक परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के बारे में सोचकर परेशान रहती थीं, वह अब स्वावलंबी बन चुकी हैं. सूखे से बेहाल बुंदेलखंड में बलिनी दुग्ध क्रांति लाने में जुटी है.

Lucknow: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का बुंदेलखंड (Bundelkhand) इलाका पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है. यहां की भौगोलिक परिस्थितियां विषम होने के कारण आम जनजीवन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बुंदेलखंड की बदहाली का जिक्र आजादी के बाद देश की संसद तक में हो चुका है.

इसके बाद से यहां के विकास के लिए तमाम योजनाओं की घोषणाएं हुईं. लेकिन, बुंदेलखंड की बदहाली दूर नहीं हुई. हालांकि बीते कुछ वर्षों में हालात परिवर्तन जरूर हुए हैं. इनमें विभिन्न योजनाओं के साथ लोगों के सामूहि​क प्रयास शामिल हैं. इन्हीं में से एक है ‘बलिनी’ (Balinee Milk Producer Company Limited incorporated), जो आज उत्तर प्रदेश में बड़ा नाम बन चुका है.

आधी आबादी के स्वावलंबन की बनी मिसाल

बलिनी (Balinee) आज बुंदेलखंड की महिलाओं के बीच आत्मनिर्भरता का दूसरा नाम बन गया है. दरअसल बुंदेलखंड की महिलाएं ‘बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी’ का संचालन कर रहीं हैं. ये कंपनी आज आधी आबादी के स्वावलंबन के लिए मिसाल बन चुकी है. कंपनी दुग्ध उत्पादकों से दूध इकट्ठा करने के बाद उसे संरक्षित कर बेचती है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और अन्य हस्तियां इसकी प्रशंसा कर चुके हैं. महिलाओं की इस सामूहिक पहल ने आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में भी बड़ी सफलता अर्जित की है. बीते वर्ष इस कंपनी का 150 करोड़ का टर्नओवर रहा. खास बात है कि इसमें 15 करोड़ का लाभ भी अर्जित किया गया.

बुंदेलखंड में दुग्ध क्रांति लाने की पहल

वास्तव में अक्सर दैवीय आपदा का दंश झेलने वाले बुंदेलखंड में बलिनी मिल्क कंपनी ने दुग्ध व्यवसाय शुरू कराकर इसे एक नई दिशा दी है. एक समय था जब पशुपालकों को दूध का वाजिब दाम नहीं मिल पाता था. लेकिन, अब स्थिति बदल चुकी है.

बुंदेलखंड में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका से ये मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी चलाई जा रही है. इसमें प्रतिदिन एक लाख 20 हजार लीटर से अधिक दूध एकत्र किया जा रहा है. कंपनी सदस्यों को कृत्रिम गर्भाधान, हरे चारे की व्यवस्था व गुणवतायुक्त पशु आहार आदि सुविधाएं भी मुहैया करा रही है.

बलिनी से जुड़ी हैं 63 हजार महिलाएं

वर्तमान में कंपनी ने लगभग 63000 महिला दूध उत्पादकों को संगठित किया है. साल दर साल ये संख्या बढ़ती जा रही है. इतनी बढ़ी संख्या में महिलाएं दुग्ध कंपनी से जुड़कर बुंदेलखंड की तस्वीर बदल रही हैं. कंपनी के मुताबिक ये सदस्य मिलकर प्रतिदिन लगभग 2.15 लाख लीटर से अधिक दूध की आपूर्ति करती हैं. कंपनी अपने गठन के बाद से अब तक करीब 300 करोड़ का कारोबार कर चुकी है.

प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी कर चुके हैं प्रशंसा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर की डायरेक्टर उमाकान्ती पाल से बात कर उनके हौसले की सराहना कर चुके हैं. उन्होंने बुन्देलखंड को वीरांगनाओं की भूमि बताते हुए कहा था कि यहां की महिलाएं सभी कार्य अच्छे तरह से कर सकती हैं. उन्होंने वर्चुअल संवाद करते हुए उमाकान्ती पाल को गुजरात में अमूल डेयरी देखने का निमंत्रण भी देते हुए इसके लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री को निर्देश दिए थे. उन्होंने बलिनी के सदस्यों को शहद उत्पादन कर अपना ब्रांड बनाकर बेचने का भी मंत्र दिया. इसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बलिनी के सदस्यों की हौसला अफजायी कर चुके हैं.

झांसी में की गई कंपनी की शुरुआत

बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की स्थापना कंपनी अधिनियम 2013 के तहत 24 जनवरी 2019 को झांसी में की गई थी. कंपनी का उद्देश्य सदस्य उत्पादकों, विशेष रूप से महिलाओं के हितों की रक्षा करना है. दूध उत्पादकता बढ़ाने के लिए पारदर्शी तरीके, समय पर भुगतान, क्षमता निर्माण और पशुधन सहायता सेवाएं प्रदान करने के अपने इन उद्देश्यों को पूरा करने में बलिनी आज बड़ा नाम बन चुकी है.

कंपनी की स्थापना एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज (एनडीएस) के साथ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (यूपी-एसआरएलएम) द्वारा वित्तीय रूप से समर्थित ‘उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में डेयरी मूल्य श्रृंखला विकास’ नामक परियोजना के तहत की गई. इस प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में बुंदेलखंड के पांच जिलों झांसी, हमीरपुर, जालौन, बांदा और चित्रकूट को कवर किया गया. बाद में बुंदेलखंड के दो अन्य जनपदों ललितपुर और महोबा तक इसका विस्तार किया गया.

आधुनिक तरीके से होती है दूध की गुणवत्ता की जांच

खास बात है कि कंपनी ने प्रत्येक खरीद गांव में दूध खरीद की एक कुशल प्रणाली स्थापित की है. डाटा प्रोसेसर-सह-दूध संग्रह इकाई (डीपीएमसीयू) का उपयोग करके उत्पादक की मौजूदगी में मैन्युअल हस्तक्षेप के बिना दूध का वजन और गुणवत्ता परीक्षण किया जाता है. दुग्ध उत्पादक के दूध की पूरी जीपीआरएस के जरिए केंद्रीय सर्वर को स्थानांतरित की जाती है. इसकी मदद से दूध का भुगतान दस दिनों में एक बार सीधे व्यक्तिगत सदस्य के बैंक खाते में स्थानांतरित किया जाता है.

सदस्यों को दी जाती है रसीद

सदस्यों को कंपनी को दिए गए दूध के विवरण और मूल्य के बारे में रसीद भी प्रदान की जाती है. सब कुछ इतना सुव्यवस्थित तरीके से होता है कि आज बलिनी बुंदेलखंड में दुग्ध उत्पादकों के बीच विश्वास का दूसरा नाम बन गई है. खास बात है कंपनी ने घी का अपना ब्रांड ‘बलिनी’ भी लॉन्च किया है.

महिलाओं के जीवन में आया सकारात्मक पहल

झांसी के रुंड करारी गांव निवासी 32 वर्षीय रानी राजपूत पिछले तीन वर्षों से बलिनी दुग्ध उत्पादक कंपनी की सदस्य हैं, जिन्हें डेयरी व्यवसाय से लाभ हुआ है. रानी कहती हैं कि उनके पास खेती के लिए कोई जमीन नहीं थी, ऐसे में वह बलिनी से जुड़ी. बलिनी हर महीने लगभग बारह हजार कमाने में मदद करती है.

वह बलिनी से जुड़ने के बाद अपनी बचत और दूध उत्पादन से अर्जित धन से खरीदी गई पांच पशुओं की मालिक है. रानी कहती हैं कि स्वावलंबी बनने के कारण वह अपनी दो लड़कियों और एक लड़के को नियमित रूप से स्कूल भेजने में सक्षम हैं.

आर्थिक रूप से सक्षम बनी महिलाएं

इसी तरह झांसी के पृथ्वीपुर नयाखेड़ा गांव की किसान मीना राजपूत कहती हैं कि वह पति के साथ अपने तीन एकड़ खेत में काम करती हैं. बलिनी के सदस्य के रूप में वह अतिरिक्त दूध उत्पादन के साथ आर्थिक रूप से सक्षम हुई हैं.

बिचौलियों को पूरी प्रक्रिया से रखा जाता है दूर

दूध उत्पादक कंपनी के मुताबिक बलिनी अपने भंडारण केंद्रों में संग्रह से भंडारण तक की प्रक्रिया से बिचौलियों को पूरी तरह दूर रखती है. इससे सीधे किसानों को लाभ मिलता है. वह कंपनी से सीधे तौर पर जुड़े हैं. करीब आठ सौ गांवों में मिल्क पूलिंग पॉइंट (एमपीपी) पूरी तरह से स्वचालित हैं, जो कि बलिनी के नेटवर्क का हिस्सा हैं. यहां डेयरी किसानों की उपस्थिति में दूध का वजन और परीक्षण किया जाता है.

समय के साथ बदल गई तस्वीर

डाटा संग्रह के साथ पारदर्शिता बनाए रखी जाती है और रसीद सदस्यों को तुरंत भेज दी जाती है. इन पूलिंग पॉइंट्स पर दूध संग्रह दो पालियों में प्राप्त किया जाता है और सदस्यों को दूध की गुणवत्ता जैसे वसा और पीएच गणना के आधार पर भुगतान किया जाता है.

इनमें से कई सदस्य तो ऐसे हैं, जिनके पास पहले सिर्फ कहने को बैंक खाता था. लेकिन उसमें लेन देन नहीं होता था. लेकिन, बलिनी से जुड़ने के बाद इन लोगों का बैंक खाता पुनर्जीवित हो गया है. महिला सदस्य अपनी जरूरत के हिसाब से बैंक शाखा में जाती हैं और आसानी से रुपए निकाल लेती हैं. बलिनी के जरिए दूध विक्रय की पूरी धनराशि बैंक खाते में भेजे जाने के कारण महिला केवल जरूरत के मुताबिक ही रुपए निकालती हैं, इससे उनकी बचत भी हो जाती है.

गांवों में स्थापित की गई हैं कूलिंग यूनिट

दुग्ध परिवहन के लिए गांव-गांव कनेक्टिविटी गांवों में पूलिंग केंद्रों से दूध को कंटेनर के जरिए ले जाया जाता है. इसके बाद इन्हें परीक्षण केंद्रों तक पहुंचाया जाता है और थोक दूध शीतलन इकाइयों में इकट्ठा किया जाता है. बुंदेलखंड में जनपदों में बलिनी ने करीब 70 से अधिक कूलिंग यूनिट स्थापित की हैं. बालिनी कंपनी अपने दूध संग्रह का एक बड़ा हिस्सा मदर डेयरी और अन्य निजी संगठनों को बेचती है. कंपनी से जुड़े सदस्यों के पशुओं से जुड़ी समस्याओं और चिकत्सीय सहायता को लेकर भी पूरा ध्यान दिया जाता है.

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