मधुबनी: कोरोना काल में जिले की जीविका दीदियां आत्मनिर्भर बनने की मिसाल कायम कर रही हैं. इस संकट काल में एक हजार दीदीयों ने मास्क बनाने का बीड़ा उठाया. सस्ती दर पर बेहतर मास्क तैयार कर बाजार में उतार आपूर्ति की स्थिति को संभाला. इसके साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को भी बेहतर किया. पिछले चार महीने के दौरान दीदियों ने नौ लाख मास्क तैयार किया. इससे करीब 80 से 90 लाख रुपये का कारोबार किया है. इससे इन्हें करीब 40 लाख रुपये की अमदनी हुई है. जीविका दीदियों द्वारा बनाये गये मिथिला पेंटिंग वाले मास्क पूरे देश भर में धूम मचा रहे हैं.
जिले में जब कोरोना ने पांव पसारना शुरू किया तो सरकार से लेकर आम आदमी भी घबरा गये. इससे बचने के लिए मास्क का उपयोग सबसे अहम था. हर घर में मास्क उपलब्ध कराना था. यह काम आसान नहीं था. जीविका परियोजना के तहत इस काम की जिम्मेदारी दीदियों को दी गयी. दीदीयों ने इसे आपदा में अवसर के रूप में लिया. जिले के 21 प्रखंडों की 399 पंचायतों को मांग के अनुसार मास्क उपलब्ध कराना शुरू कर दिया.
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जीविका की परियोजना प्रबंधक ऋचा गार्गी बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह से कर्ज लेकर सिलाई मशीन खरीदने वाली करीब एक हजार दीदियों ने मास्क उत्पादन शुरू किया. उनके बनाये मास्क की प्रखंड कार्यालयों, मनरेगा कार्यालय व जन प्रतिनिधियों को उनके मांग के अनुसार आपूर्ति की गयी. अभी तक जिले में में जीविका परियोजना के माध्यम लगभग नौ लाख मास्क का उत्पादन व विपणन किया जा चुका है. इसका भुगतान भी किया गया है. मास्क का मूल्य गुणवत्ता पर आधारित है, जो 10 से 15 रुपये के बीच है.
मास्क उत्पादन से हुई आय से दीदियों ने समस्याओं का निदान किया. कलुआही भल्ली गांव की दीदी चंदा कुमारी को पंचायत प्रतिनिधि से पांच हजार मास्क बनाने का आदेश मिला. इतने ही मास्क की आपूर्ति उन्होंने जनप्रतिनिधि को की. इससे प्राप्त राशि से उन्होंने परदेस में रह रहे ससुर व पति की सहायता की. उनके पति एवं ससुर मुंबई में काम करते थे. फैक्ट्री बंद हो जाने के कारण उनके परिवार को भोजन में भी कठिनाई हो रही थी.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya