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फोन टैपिंग डेटा लीक केस: CBI निदेशक को मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने किया तलब

Mumbai Police Cyber Cell Summon CBI Director मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने सीबीआई निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल को ट्रांसफर-पोस्टिंग में महाराष्ट्र इंटेलीजेंस विभाग का डेटा लीक होने के मामले में तलब किया है. सीबीआई निदेशक को ई-मेल के जरिए समन भेजकर उन्हें 14 अक्टूबर से पहले पेश होने के लिए कहा गया है.

Mumbai Police Cyber Cell Summon CBI Director मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने सीबीआई निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल को ट्रांसफर-पोस्टिंग में महाराष्ट्र इंटेलीजेंस विभाग का डेटा लीक होने के मामले में समन जारी किया है. सीबीआई निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल को ई-मेल के जरिए समन भेजकर उन्हें 14 अक्तूबर से पहले पेश होने के लिए कहा गया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई पुलिस ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा है कि राज्य खुफिया विभाग की पूर्व प्रमुख रश्मि शुक्ला ने ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में एक खुफिया रिपोर्ट तैयार की थी. इस संबंध में बांद्रा कुर्ला स्थित साइबर सेल विभाग में ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस वार्ता के दौरान उस वक्त गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख को निशाने पर लिया था. देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि आईपीएस रश्मि शुक्ला के पत्र का जिक्र करते हुए महाराष्ट्र में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट चलने व बड़े नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया था.

पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस वार्ता के दौरान जिस आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला का जिक्र किया था वह अभी सीआरपीएफ में सहायक महानिदेशक हैं. इससे पहले वह महाराष्ट्र के इंटेलिजेंस विभाग में आयुक्त थीं. परमबीर सिंह व रश्मि शुक्ला दोनों 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. रश्मि शुक्ला ने पिछले साल लिखे पत्र में पुलिस के कुछ बड़े अफसरों और अन्य अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के रैकेट में शामिल होने का दावा किया था. पत्र के साथ सबूत के तौर पर रश्मि शुक्ला ने फोन रिकॉर्डिंग होने का भी दावा किया था.

उल्लेखनीय है कि रश्मि शुक्ला ने यह चिट्ठी पिछले साल 25 अगस्त को लिखी थी. जिसमें कहा था कि महाराष्ट्र के पुलिस विभाग में अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. इसके तार राज्य के कुछ नेताओं से जुड़े हैं. उन्होंने पत्र में लिखा कि मामले से जुड़े लोगों के फोन कॉल ट्रेस किए गए. इसमें रैकेट की बात सच साबित हुई. इससे कुछ दलाल व ताकतवर लोग जुड़े थे. आईपीएस अधिकारी भी इन अवांछित लोगों के संपर्क में थे.

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