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मुंबई में डरा रहा है ब्लैक फंगस
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तीन बच्चों की निकालनी पड़ी आंखें
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‘आंखें नहीं निकालते तो जान बचाना था मुश्किल’
देश में ब्लैक (Black Fungus) फंगस की जकड़ बढ़ती जा रही है. पोस्ट कोविड मरीजों के बाद अब इसके शिकार बच्चे भी होने लगे हैं. ताजा मामला मुंबई का है, जहां ब्लैंक फंगस के कारण तीन बच्चों की आंखे निकालनी पड़ी. इनकी हालत इतनी बिगड़ गई थी कि उनकी एक आंख निकालनी पड़ी. इन बच्चों की उम्र 4 से लेकर 16 साल के बीच है. इधर, अब बच्चों में बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मामले से डॉक्टर भी चिंतित हैं.
जानकारी के मुताबिक तीनों बच्चे कोरोना से रिकवर हो गये थे. लेकिन ब्लैक फंगस के शिकार हो गये. इनमें 16 साल की एक बच्ची को कोरोना के बाद डायबिटिक भी हो गय था. जांच कराने के बाद उसके पेट में ब्लैक फंगस संक्रमण पाया गया. फोर्टिस हास्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट ने बताया कि दोनो बच्चियों की आंखें ब्लैक फंगस के कारण काली पड़ गई थी. जिसे निकालना पड़ा.
फोर्टिस हास्पिटल के डॉक्टर्स का कहना है कि ब्लैक फंगस का असर उनके आंख, नाक, और सायनस में फैला हुआ था. राहत की बात यही रही कि फंगस का असर उनके दिमाग तक नहीं पहुंचा था. जिसके कारण भले ही लंबा इलाज चला, और एक आंख तक निकालनी पड़ी. लेकिन मरीज की जान बच गई. वहीं डॉक्टर्स का ये बी कहना है कि अगर आंखें नहीं निकालते तो जान बचानी भी मुश्किल थी.
इस मामले में फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टर और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जेसल शेठ ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि, हमने दो लड़कियों में ब्लैक फंगस के लक्षण देखे, दोनों बच्चियां डायबिटिक थीं. जो 14 साल की बच्ची थी उसे अस्पताल में भर्ती कराने के 48 घंटे के भीतर ही उसकी एक आंख काली हो गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि 40 दिनों से भी ज्यादा समय तक इलाज करने और एक आंख निकालने के बाद कहीं जाकर उसकी जान बचाई जा सकी.
Posted by: Pritish Sahay