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महाराष्ट्र राजनीतिक संकट: बीएस कोश्यारी ने सरकार से जवाब किया तलब, 22-24 जून तक के आदेशों का मांगा ब्योरा

राज्यपाल ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर 22 से 24 जून तक सरकार की ओर से जारी किए गए सभी प्रस्ताव (जीआर) और सर्कुलरों की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है.

मुंबई : महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार से जवाब तलब किया है. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य सरकार से 22 से 24 जून तक लिये गए फैसलों का विस्तृत ब्योरा पेश करने का आदेश दिया है. इसमें उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर सरकारी प्रस्तावों और सर्कुलरों की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.

राज्यपाल ने मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी

भगत सिंह कोश्यारी के प्रमुख सचिव संतोष कुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि राज्यपाल ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर 22 से 24 जून तक सरकार की ओर से जारी किए गए सभी प्रस्ताव (जीआर) और सर्कुलरों की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है. उन्होंने बताया कि राज्यपाल ने जानकारी उपलब्ध कराने का यह निर्देश महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के सहयोगी दलों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के नियंत्रण वाले विभागों की ओर से 22 से 24 जून तक विकास कार्यों के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये की रकम जारी करने के आदेश देने के बाद दिया है. महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को लिखी गई चिट्ठी में राज्यपाल ने 22 से 24 जून को राज्य सरकार की ओर से जारी जीआर और सर्कुलरों के बारे में पूरी पृष्ठभूमि की जानकारी देने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई तक लगाई विधायकों की अयोग्यता कार्रवाई पर रोक

बताते चलें कि महाराष्ट्र में करीब एक हफ्ते से राजनीतिक संकट बरकरार है. यह संकट शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे द्वारा सरकार के खिलाफ बागी तेवर अपनाने के बाद पैदा हुआ. एकनाथ शिंदे के बागी तेवर के बाद राज्य की उद्धव सरकार शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी भेजी और मंत्रियों के विभागों में बदलाव किया. उधर, बागी 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदम के विरोध में एकनाथ शिंदे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं. शिंदे गुट की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर द्वारा विधायकों की अयोग्यता की कार्यवाही पर 11 जुलाई तक रोक लगा दी.

सरकार ने बदले मंत्रियों के विभाग

उधर, राजनीतिक संकट के बीच महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने सोमवार को एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी में बैठे मंत्रियों के विभाग दूसरे मंत्रियों को आवंटित कर दिए. इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि प्रशासनिक कार्यों को आसानी से चलाने के लिए मंत्रियों के विभागों में बंटवारा किया गया है. मंत्रियों के विभागों में बंटवारे के बाद अब उद्धव सरकार में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या केवल चार रह गई है. इनमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अनिल परब और सुभाष देसाई शामिल हैं.

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किसे मिला कौन सा विभाग

उद्धव सरकार ने मंत्रियों के विभागों में बदलाव करते हुए एकनाथ शिंदे के शहरी विकास और सार्वजनिक उपक्रम विभागों को शिवसेना के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई को दिया गया है. उदय सामंत के उच्च शिक्षा विभाग आदित्य ठाकरे को आवंटित किया गया है. गुलाब राव पाटिल से जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग लेकर अनिल परब को सौंपा गया है. संदीपान भुमरे के रोजगार गारंटी और बागबानी महकमे तथा दादा भूसे के कृषि एवं पूर्व सैनिक कल्याण विभाग शंकरराव गडाख को दिए गए हैं. राज्य मंत्री शम्बुराज देसाई को आवंटित विभागों का जिम्मा संजय बनसोडे (गृह-ग्रामीण) और विश्वजीत कदम (वित्त, योजना एवं कौशल विकास) को सौंपा गया है. वहीं राज्य मंत्री राजेंद्र पाटिल-यड्रावकर के विभागों को विश्वजीत कदम (लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण), प्रजक्त तानपुरे (मेडिकल शिक्षा एवं कपड़ा), सतेज पाटिल (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) और अदिति तटकरे (सांस्कृतिक गतिविधियां) को सौंपे गए हैं.

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