14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आप जो करे वो कूटनीति और हम जो करें वो क्या बेईमानी है? देवेंद्र फडणवीस पर संजय राउत का जोरदार हमला

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हमारा गठबंधन एक भावनात्मक गठबंधन है. देवेंद्र फडणवीस के बयान पर संजय राउत ने जोरदार हमला किया है.

महाराष्ट्र की राजनीति में बयानबाजी का दौर जारी है. ताजा बयान सांसद संजय राउत (उद्धव ठाकरे गुट) का सामने आया है. उन्होंने कहा है कि देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे, इन दोनों ने कल कूटनीति की बात की है कि हम एनसीपी के साथ गये हैं तो ये कूटनीति है. 2.5 साल पहले हमने एनसीपी और कांग्रेस के साथ जो गठबंधन किया था, वो क्या था? आप जो करे वो कूटनीति और हम जो करें वो क्या बेईमानी है? आप बेईमान है और आप जैसे लोगों को सत्ता से दूर रखने के लिए हमने भी 2019 में वही कूटनीति की थी जो आप अभी कर रहे हैं.

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने गुरुवार को कहा था कि भाजपा का शिवसेना के साथ भावनात्मक गठबंधन है और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के साथ राजनीतिक गठबंधन है. उन्होंने कहा कि भाजपा जो भी इसमें शामिल होने को इच्छुक है, उसका स्वागत कर सकती है लेकिन ‘कांग्रेस जैसी सोच’ हमें स्वीकार नहीं है. भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने उक्त बातें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के तहत भिवंडी में आयोजित पार्टी कार्यकर्ताओं की ‘महाविजय 2024’ कार्यशाला में कही.

एनसीपी के साथ भावनात्मक गठबंधन

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हमारा गठबंधन एक भावनात्मक गठबंधन है. भाजपा और शिवसेना 25 साल से अधिक समय से एक साथ रहे हैं. अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ हमारा गठजोड़ एक राजनीतिक गठबंधन है. अगले 10-15 साल में हम एनसीपी के साथ भी भावनात्मक गठबंधन बनाने की बात सोच सकते हैं. यदि आपको याद हो तो महाराष्ट्र में नयी सरकार बनाने के लिए शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने पिछले साल भाजपा से हाथ मिलाया था, वहीं दूसरी ओर अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी का विद्रोही समूह इस महीने की शुरुआत में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हुआ था.

शपथ लिए हुए हो गये करीब 15 दिन

अजित पवार और अन्य 8 एनसीपी विधायकों ने पिछले दिनों मंत्री पद की शपथ ली थी. शपथ के बाद करीब 15 दिन से ज्यादा हो गये लेकिन विभागों का बंटवारा अभी तक नहीं हो सका है. इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. सूत्रों का कहना है कि शिंदे गुट नाराज चल रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम विभाग बंटवारे को जल्द से जल्द सुलझा लेना चाहते हैं. यही वजह है कि वे रात में भी मामले को लेकर मंथन कर रहे हैं और सीक्रेट मीटिंग कर रहे हैं.

अजित पवार के नाम रिकॉर्ड

यहां चर्चा कर दें कि अजित पवार पांचवीं बार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बने हैं. 14वीं विधानसभा में उनके नाम तीन बार शपथ लेने का रिकॉर्ड दर्ज है. वहीं अजित पवार साल 2019 के बाद की तीसरी बार राज्य के उपमुख्यमंत्री बने हैं. 23 नवंबर 2019 की सुबह आठ बजे की घटना को याद करें तो उस वक्त महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी भूचाल आया था. भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया था. वहीं एनसीपी की ओर से अजित पवार ने चाचा शरद पवार से बगावत की थी और उपमुख्यमंत्री का पद लिया था. हालांकि, शपथ लेने के बाद दोनों 80 घंटे ही अपने पदों पर रह पाए थे, जिसके बाद यह सरकार नहीं बच पायी. उस सरकार की जगह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार अस्तित्व में आयी थी, जिसमें अजित पवार फिर से उपमुख्यमंत्री बने थे. पिछले दिनों एक बार फिर से उनको एकनाथ शिंदे की सरकार में वे उपमुख्यमंत्री बने हैं.

2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना में हुआ था गठबंधन

महाराष्ट्र में साल 2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस साल भाजपा ने 105 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी. दोनों पार्टियां गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरे थे. भाजपा और शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने का स्पष्ट जनादेश मिला था, लेकिन 24 अक्टूबर को कुछ अलग ही देखने को मिला. नतीजों के बाद दोनों पार्टियों के बीच दरार आ गयी. दोनों दलों में सत्ता को लेकर खींचतान शुरू हो गयी और वे एक दूसरे से दूर होते चले गये. शिवसेना ने यह कहते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोका था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसका भरोसा दिया था कि यदि जनादेश मिलता है तो उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनेंगे.

Also Read: महाराष्ट्र में शिवसेना और NCP में टूट के बाद कांग्रेस में हलचल तेज, एकजुट करने में जुटे खरगे और राहुल गांधी

उल्लेखनीय है कि उस वक्त शिवसेना की ओर से कहा गया था कि ढाई-ढाई साल के लिए दोनों पार्टियों से मुख्यमंत्री चुना जाए लेकिन भाजपा को ये प्रस्ताव रास नहीं आया और नतीजा आज सबके सामने है. शिवसेना टूट चुकी है और उद्धव ठाकरे गुट और भाजपा के नेता लगातार एक दूसरे पर हमलावर हैं. 288 विधानसभा सीट वाले महाराष्ट्र राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत थी लेकिन किसी भी पार्टी के पास यह जादूई आंकडा नहीं था. फिर केंद्र सरकार ने राज्यपाल की सिफारिश पर 12 नवंबर 2019 को राष्ट्रपति शासन प्रदेश में लगा दिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें